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एनएसई घोटाला : आनंद को चित्रा ने दिए थे एमडी के बराबर अधिकार, बोर्ड को नहीं दी थी जानकारी

एनएसई घोटाला : आनंद को चित्रा ने दिए थे एमडी के बराबर अधिकार, बोर्ड को नहीं दी थी जानकारी

एनएसई की पू्र्व सीईओ एमडी चित्रा रामकृष्णा ने अपने सलाहकार आनंद सुब्रमण्यन को गोपनीय सूचनाओं तक पहुंच रखने के लिए एमडी के बराबर अधिकार दिए थे। चित्रा ने इस फैसले की जानकारी एनआरसी और बोर्ड को नहीं दी थी। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में हुए को-लोकेशन घोटाले को लेकर जारी सीबीआई जांच में यह जानकारी सामने आई।

दिल्ली में सीबीआई की विशेष अदालत में जारी इस मामले की सुनवाई के दौरान जांच एजेंसी ने बताया कि एक अप्रैल, 2015 को चित्रा ने आनंद को अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर व एमडी का सलाहकार बनाया था।

सुब्रमण्यन की जमानत याचिका पर जवाब देते हुए सीबीआई ने कहा, आनंद और चित्रा पहले से परिचित थे। 2015 में आनंद को एनएसई एमडी का सलाहकार बनाए जाने से पहले आनंद की पत्नी सुनीता सुब्रमण्यन 2011 में चेन्नई में एनएसई के क्षेत्रीय कार्यालय की प्रमुख रह चुकी थी।

सुब्रमण्यन के अधिवक्ता अर्शदीप सिंह खुराना ने कहा, आनंद का इससे कोई लेना देना नहीं है। उन्हें इस मामले में गलत फंसाया गया है। यहां तक कि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में भी आनंद के खिलाफ कोई आरोप नहीं है।

सीबीआई बोली, जमानत मिलते ही भाग सकते हैं आरोपी….
सीबीआई की तरफ से कहा गया कि अबतक की जांच में 832 जीबी डाटा मिला है। माइक्रोसॉफ्ट से बात की गई है, ताकी पूरा डाटा मिल सके। आरोपी की तरफ से जांच में सहयोग भी नहीं किया जा रहा है, जिससे आशंका है कि जमानत मिलते ही वह देश छोड़कर भी भाग सकता है।

सीबीआई ने जमानत की मांग को खारिज करने का अनुरोध करते हुए  कहा, आरोपी ने कुछ ट्रेडरों को एनएसई सर्वर तक अनुचित पहुंच देकर राष्ट्रीय वित्तीय जोखिम पैदा किया था। जमानत देने से सबूत जुटाने के प्रयासों को नुकसान हो सकता है।

लिखावट के नमूने लेने की मांगी मंजूरी
सीबीआई ने अदालत से आरोपी की लिखावट के नमूने लेने की मंजूरी देने की मांग की, जिस पर अदालत ने सुब्रमण्यन से जवाब मांगा है। सुब्रमण्यन के अधिवक्ता को 23 मार्च को जवाब देने का निर्देश दिया गया है।  

इससे पहले  अदालत ने शुक्रवार को जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा था। सीबीआई ने अदालत से कहा कि फिलहाल आनंद के स्थानीय और विदेशी संपर्कों की पुख्ता जांच व पहचान जरूरी है। आनंद को जमानत मिलने पर वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है।

इस तरह सामने आया घोटाला
को-लोकेशन की सुविधा लेने वाले एक ब्रोकर ने 2015 में सेबी से शिकायत कर कहा था कि को-लोकेशन सुविधा लेने वाले बाकी लोगों के मुकाबले कुछ लोगों को ज्यादा जल्दी डाटा मिल रहा था, जो को-लोकेशन के सिद्धांत के खिलाफ है। को-लोकेशन में डाटा तक हर सदस्य के लिए पारदर्शी और बराबर पहुंच होनी चाहिए।

शिकायत के बाद सेबी ने जांच शुरू की, पता चला कि एनएसई ने सदस्यों के बीच भेदभाव किया है। जांच में यह बात भी सामने आई कि कंपनी के सीईओ रवि नारायण और चित्रा रामकृष्णा के कार्यकाल में सबसे ज्यादा गड़बड़ियां हुईं।

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