न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Wed, 09 Mar 2022 09:21 PM IST
सार
कार्वी समूह पर आरोप है कि उसने अपने ग्राहकों के 2800 करोड़ के शेयरों को गैरकानूनी तरीके से गिरवी रखकर बैंकों से मोटा कर्ज लिया था। बाद में बाजार नियामक सेबी और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आदेश पर ग्राहकों के शेयर जारी किए गए तो वह कर्ज गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) हो गया। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड देश की प्रमुख शेयर दलाल कंपनी है और उसके लाखों क्लाइंट हैं।
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विस्तार
कार्वी समूह पर आरोप है कि उसने अपने ग्राहकों के 2800 करोड़ के शेयरों को गैरकानूनी तरीके से गिरवी रखकर बैंकों से मोटा कर्ज लिया था। बाद में बाजार नियामक सेबी और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आदेश पर ग्राहकों के शेयर जारी किए गए तो वह कर्ज गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) हो गया। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड देश की प्रमुख शेयर दलाल कंपनी है और उसके लाखों क्लाइंट हैं।
यह घोटला उस वक्त पकड़ में आया, जब एनएसई ने 2019 में कंपनी का निरीक्षण किया। जांच में पता चला कि कंपनी ने डीपी खाते का खुलासा नहीं किया था और अपने ग्राहकों के शेयर को गिरवी रखकर जुटाए गए फंड को स्टॉक ब्रोकर क्लाइंट अकाउंट के बदले अपने (स्टॉक ब्रोकर ओन अकाउंट) छह बैंक खातों में जमा कर लिया। ईडी की जांच के मुताबिक केएसबीएल ने ग्राहकों द्वारा दी गई पावर ऑफ अटॉर्नी का दुरुपयोग किया। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा है कि इस मामले की आगे की जांच अभी जारी है।
102 भूखंड और करोड़ों की अन्य संपत्ति
ईडी ने अपराध से जुड़े आय की पहचान की है। इनमें 213.69 करोड़ के 102 भूखंड, केफिन टेक्नोलॉजीज में सी पार्थसारथी के 438.70 करोड़ की हिस्सेदारी के अलावा केडीएमएसएल, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी केएफएसएल और केएसबीएल की 1280 करोड़ की अन्य संपत्ति शामिल हैं। जांच के मुताबिक फंड को केडीएमएसएल सहित अन्य फर्जी कंपनियों में डायवर्ट किया गया।
पिछले साल 9 ठिकानों पर छापे
ईडी ने पिछले साल 22 सितंबर को 9 ठिकानों पर छापे मारकर कार्वी समूह के सीएमडी सी पार्थसारथी, मुख्य वित्तीय अधिकारी जी हरिकृष्णा को विशेष ईडी अदालत में पेश किया था। उन्हें इस साल 20 जनवरी को मनी लॉन्ड्रिंग निषेध कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था और दोनों अभी न्यायिक हिरासत में हैं। एजेंसी ने कहा कि पार्थसारथी जांच में बिलकुल सहयोग नहीं कर रहे थे। हालांकि कुछ गलतियों को उन्होंने स्वीकार किया और अन्य को कंपनी के सीईओ और सीएफओ पर डाल दिया।
अक्षय गोल्ड फार्म्स एंड विलाज इंडिया लिमिटेड पर भी कार्रवाई
दूसरी ओर अक्षय गोल्ड फार्म्स एंड विलाज इंडिया लिमिटेड और उसके प्रमोटरों द्वारा चलाए जा रहे पोंजी घोटाले के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच में बैंक खातों में जमा 268 करोड़ रुपये और 376 अचल संपत्ति को कुर्क किया है। प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को यह कार्रवाई की।