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इस साल फेल हो जाएगी जीरो कोविड नीति: चीन की बढ़ेंगी मुश्किलें

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, हांग कांग
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 06 Jan 2022 06:38 PM IST

सार

यूरेशिया ग्रुप अमेरिका स्थित संस्था है। ग्रुप ने चेतावनी दी है कि इस वक्त वैश्विक नेतृत्व का अभाव हो गया है। इसका नुकसान पूरी दुनिया को हो सकता है। ग्रुप ने टेक कंपनियों के बढ़ते असर पर नजर रखने की सलाह दी है। साथ ही कहा है कि इस साल नवंबर में अमेरिका में होने वाले संसदीय चुनाव के नतीजों का दुनिया पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा…

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चीन को अपनी सख्त जीरो-कोविड नीति का इस साल भारी खामियाजा चुकाना होगा। ये भविष्यवाणी कंसल्टैंसी फर्म यूरेशिया ग्रुप ने की है। उसने अपने एक आकलन में कहा है कि जीरो-कोविड नीति से देश के अंदर चीन सरकार के लिए सियासी चुनौतियां खड़ी होंगी। उसका असर विदेश में भी महसूस किया जाएगा।

यूरेशिया ग्रुप अमेरिका स्थित संस्था है। ग्रुप ने चेतावनी दी है कि इस वक्त वैश्विक नेतृत्व का अभाव हो गया है। इसका नुकसान पूरी दुनिया को हो सकता है। ग्रुप ने टेक कंपनियों के बढ़ते असर पर नजर रखने की सलाह दी है। साथ ही कहा है कि इस साल नवंबर में अमेरिका में होने वाले संसदीय चुनाव के नतीजों का दुनिया पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।

लॉकडाउन से चौपट होगी अर्थव्यवस्था

ग्रुप ने 2022 के अपने आकलन में कहा है- ‘अपनी जीरो कोविड नीति के कारण चीन सबसे कठिन स्थिति में है। 2020 में ये नीति सफल नजर आई थी, लेकिन अब बढ़ते संक्रमण और बार-बार लॉकडाउन के कारण इसका प्रभाव घट रहा है।’ यूरेशिया ग्रुप ने भविष्यवाणी की है कि जीरो कोविड नीति के जरिए महामारी को काबू में रखने की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नीति इस वर्ष फेल हो जाएगी। इस नीति से कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट का संक्रमण नहीं रुकेगा। बार-बार लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था में रुकावट आएगी। ग्रुप ने अपने आकलन में कहा है कि जीरो कोविड की नीति से शी जिनपिंग का व्यक्तिगत लगाव दिखता है। इसलिए इस नीति में चीन कोई सुधार कर पाएगा, इसकी संभावना नहीं दिखती।

ग्रुप ने वर्तमान दुनिया को ‘टेक्नोपोलर वर्ल्ड’ कहा है, जहां बड़ी टेक कंपनियों की प्रमुख भूमिका बन गई है। ये कंपनियां ही डिजिटल दुनिया को नियंत्रित कर रही हैं। यूरेशिया ग्रुप ने इसे दुनिया के लिए एक बड़ा जोखिम बताया है। उसने कहा है कि आज लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े महत्त्वपूर्ण काम डिजिटल क्षेत्र में चले गए हैं। जबकि इस क्षेत्र को बड़ी कंपनियां ही नियंत्रित कर रही हैं। ग्रुप के आकलन में कहा गया है कि यूरोपियन यूनियन और कुछ देशं की सरकारें टेक कंपनियों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन उनसे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।  

अमेरिका के पतन की शुरुआत

इस आकलन में कहा गया है कि इस वर्ष होने वाले संसदीय चुनाव के साथ अमेरिका ऐसे बिंदु पर पहुंच जाएगा, जहां से उसके पतन की शुरुआत हो सकती है। ग्रुप ने कहा है कि इस चुनाव के बाद यह लगभग तय है कि अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत हो जाएगा। उससे तुरंत तो संकट पैदा नहीं होगा, लेकिन उससे 2024 के राष्ट्रपति चुनाव की दिशा तय हो जाएगी। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2024 में फिर से चुनाव लड़ने का इरादा दिखा रहे हैं।

आकलन में कहा गया है- ‘इस दौरान जो बाइडन के चार साल के कठिन कार्यकाल का परिणाम होगा कि मतदाता ट्रंप की तरफ झुक जाएंगे। उस समर्थन की बदौलत बाइडन या किसी दूसरे डेमोक्रेटिक उम्मीदवार को पराजित करने की स्थिति में होंगे।’ इनके अलावा यूरेशिया ग्रुप ने रूस और टर्की पर नजर रखने की सलाह दी है। उसने कहा है कि ये देश इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय स्थिति को और उलझा सकते हैँ।

विस्तार

चीन को अपनी सख्त जीरो-कोविड नीति का इस साल भारी खामियाजा चुकाना होगा। ये भविष्यवाणी कंसल्टैंसी फर्म यूरेशिया ग्रुप ने की है। उसने अपने एक आकलन में कहा है कि जीरो-कोविड नीति से देश के अंदर चीन सरकार के लिए सियासी चुनौतियां खड़ी होंगी। उसका असर विदेश में भी महसूस किया जाएगा।

यूरेशिया ग्रुप अमेरिका स्थित संस्था है। ग्रुप ने चेतावनी दी है कि इस वक्त वैश्विक नेतृत्व का अभाव हो गया है। इसका नुकसान पूरी दुनिया को हो सकता है। ग्रुप ने टेक कंपनियों के बढ़ते असर पर नजर रखने की सलाह दी है। साथ ही कहा है कि इस साल नवंबर में अमेरिका में होने वाले संसदीय चुनाव के नतीजों का दुनिया पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।

लॉकडाउन से चौपट होगी अर्थव्यवस्था

ग्रुप ने 2022 के अपने आकलन में कहा है- ‘अपनी जीरो कोविड नीति के कारण चीन सबसे कठिन स्थिति में है। 2020 में ये नीति सफल नजर आई थी, लेकिन अब बढ़ते संक्रमण और बार-बार लॉकडाउन के कारण इसका प्रभाव घट रहा है।’ यूरेशिया ग्रुप ने भविष्यवाणी की है कि जीरो कोविड नीति के जरिए महामारी को काबू में रखने की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नीति इस वर्ष फेल हो जाएगी। इस नीति से कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट का संक्रमण नहीं रुकेगा। बार-बार लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था में रुकावट आएगी। ग्रुप ने अपने आकलन में कहा है कि जीरो कोविड की नीति से शी जिनपिंग का व्यक्तिगत लगाव दिखता है। इसलिए इस नीति में चीन कोई सुधार कर पाएगा, इसकी संभावना नहीं दिखती।

ग्रुप ने वर्तमान दुनिया को ‘टेक्नोपोलर वर्ल्ड’ कहा है, जहां बड़ी टेक कंपनियों की प्रमुख भूमिका बन गई है। ये कंपनियां ही डिजिटल दुनिया को नियंत्रित कर रही हैं। यूरेशिया ग्रुप ने इसे दुनिया के लिए एक बड़ा जोखिम बताया है। उसने कहा है कि आज लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े महत्त्वपूर्ण काम डिजिटल क्षेत्र में चले गए हैं। जबकि इस क्षेत्र को बड़ी कंपनियां ही नियंत्रित कर रही हैं। ग्रुप के आकलन में कहा गया है कि यूरोपियन यूनियन और कुछ देशं की सरकारें टेक कंपनियों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन उनसे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।  

अमेरिका के पतन की शुरुआत

इस आकलन में कहा गया है कि इस वर्ष होने वाले संसदीय चुनाव के साथ अमेरिका ऐसे बिंदु पर पहुंच जाएगा, जहां से उसके पतन की शुरुआत हो सकती है। ग्रुप ने कहा है कि इस चुनाव के बाद यह लगभग तय है कि अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत हो जाएगा। उससे तुरंत तो संकट पैदा नहीं होगा, लेकिन उससे 2024 के राष्ट्रपति चुनाव की दिशा तय हो जाएगी। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2024 में फिर से चुनाव लड़ने का इरादा दिखा रहे हैं।

आकलन में कहा गया है- ‘इस दौरान जो बाइडन के चार साल के कठिन कार्यकाल का परिणाम होगा कि मतदाता ट्रंप की तरफ झुक जाएंगे। उस समर्थन की बदौलत बाइडन या किसी दूसरे डेमोक्रेटिक उम्मीदवार को पराजित करने की स्थिति में होंगे।’ इनके अलावा यूरेशिया ग्रुप ने रूस और टर्की पर नजर रखने की सलाह दी है। उसने कहा है कि ये देश इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय स्थिति को और उलझा सकते हैँ।

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