बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली 
                                  Published by: गौरव पाण्डेय
                                  Updated Thu, 14 Apr 2022 07:49 PM IST
                                 
                                
                                सार
                                क्तूबर-दिसंबर तिमाही में इन्फोसिस के 25.5 फीसदी कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी थी। जुलाई-सितंबर तिमाही में यह आंकड़ा 20.1 फीसदी और अप्रैल-जून तिमाही में 13.9 फीसदी रहा था।
                                
                                
                                
                                  
                                    देश की दूसरी सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनी इन्फोसिस ने बुधवार को वित्त वर्ष 2021-22 की आखिरी तिमाही के लिए अपने परिणाम जारी किए थे। इस तिमाही में इन्फोसिस से नौकरी छोड़कर जाने वाले कर्मचारियों की संख्या काफी अधिक रही है। इस दौरान 27.7 फीसदी कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा यह तीसरी लगातार ऐसी तिमाही रही है जिसमें इस्तीफा देने वाले लोगों की संख्या 20 फीसदी से अधिक रही है। 
                                    
                                    इस हिसाब से जनवरी-मार्च तिमाही में इन्फोसिस से इस्तीफा देने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 80,000 रही। वहीं, अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में इन्फोसिस के 25.5 फीसदी कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी थी। जुलाई-सितंबर तिमाही में यह आंकड़ा 20.1 फीसदी और अप्रैल-जून तिमाही में 13.9 फीसदी रहा था। पिछले साल जनवरी मार्च तिमाही में कंपनी छोड़ कर जाने वाले कर्मचारियों की दर 15.2 फीसदी थी। 
                                    हालांकि, ऐसा नहीं है कि कंपनी से केवल कर्मचारी इस्तीफा ही दे रहे हैं। इस दौरान  इन्फोसिस ने बड़ी संख्या में नए कर्मचारियों की भर्ती भी की है। वित्त वर्ष 2021-22 में इन्फोसिस ने भारत और दुनियाभर में 85 हजार नए कर्मचारियों की भर्ती की। साथ ही, वित्त वर्ष 2023 में कंपनी की योजना 50 हजार से अधिक फ्रेशर्स को नौकरी पर रखने की है। मार्च 2022 के अंत तक कंपनी के कर्मचारियों की कुल संख्या दो लाख 97 हजार 859 रही।
                                    कोरोना वायरस महामारी का असर कम होने के साथ आईटी क्षेत्र में कुशल कर्मचारियों की मांग बढ़ी है। इसके लिए कंपनियां बेहतर पैकेज की पेशकश कर रही हैं। इसके अलावा कुछ अध्ययनों में कहा गया है कि अब लोगों में काम के बदले निजी जीवन को अधिक अहमियत देने की भावना आई है। इसके चलते जब काम पर उन्हें मन का माहौल नहीं मिलता या फ्लेक्सिबिलिटी नहीं मिल पाती, तो वे नौकरी छोड़ने से झिझक नहीं रहे हैं। 
                                   
                                 
                                
                                  विस्तार
                                  
                                    देश की दूसरी सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनी इन्फोसिस ने बुधवार को वित्त वर्ष 2021-22 की आखिरी तिमाही के लिए अपने परिणाम जारी किए थे। इस तिमाही में इन्फोसिस से नौकरी छोड़कर जाने वाले कर्मचारियों की संख्या काफी अधिक रही है। इस दौरान 27.7 फीसदी कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा यह तीसरी लगातार ऐसी तिमाही रही है जिसमें इस्तीफा देने वाले लोगों की संख्या 20 फीसदी से अधिक रही है। 
                                    
                                    इस हिसाब से जनवरी-मार्च तिमाही में इन्फोसिस से इस्तीफा देने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 80,000 रही। वहीं, अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में इन्फोसिस के 25.5 फीसदी कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी थी। जुलाई-सितंबर तिमाही में यह आंकड़ा 20.1 फीसदी और अप्रैल-जून तिमाही में 13.9 फीसदी रहा था। पिछले साल जनवरी मार्च तिमाही में कंपनी छोड़ कर जाने वाले कर्मचारियों की दर 15.2 फीसदी थी। 
                                    हालांकि, ऐसा नहीं है कि कंपनी से केवल कर्मचारी इस्तीफा ही दे रहे हैं। इस दौरान  इन्फोसिस ने बड़ी संख्या में नए कर्मचारियों की भर्ती भी की है। वित्त वर्ष 2021-22 में इन्फोसिस ने भारत और दुनियाभर में 85 हजार नए कर्मचारियों की भर्ती की। साथ ही, वित्त वर्ष 2023 में कंपनी की योजना 50 हजार से अधिक फ्रेशर्स को नौकरी पर रखने की है। मार्च 2022 के अंत तक कंपनी के कर्मचारियों की कुल संख्या दो लाख 97 हजार 859 रही।
                                    कोरोना वायरस महामारी का असर कम होने के साथ आईटी क्षेत्र में कुशल कर्मचारियों की मांग बढ़ी है। इसके लिए कंपनियां बेहतर पैकेज की पेशकश कर रही हैं। इसके अलावा कुछ अध्ययनों में कहा गया है कि अब लोगों में काम के बदले निजी जीवन को अधिक अहमियत देने की भावना आई है। इसके चलते जब काम पर उन्हें मन का माहौल नहीं मिलता या फ्लेक्सिबिलिटी नहीं मिल पाती, तो वे नौकरी छोड़ने से झिझक नहीं रहे हैं। 
                                   
                                 
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