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आरबीआई की रिपोर्ट: विकास के लिए खतरा साबित हो सकता है ओमिक्रॉन, बैंक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार

आरबीआई की रिपोर्ट: विकास के लिए खतरा साबित हो सकता है ओमिक्रॉन, बैंक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Wed, 29 Dec 2021 07:28 PM IST

सार

भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कोरोना वायरस के नए और अधिक संक्रामक वैरिएंट ओमिक्रॉन का विकास पर पड़ने वाले असर को लेकर आशंका व्यक्त की। हालांकि, आरबीआई ने कहा कि देश के बैंक मजबूत स्थिति मैं हैं और किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक
– फोटो : पीटीआई (फाइल)

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वर्तमान वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटती दिखाई दी है और मजबूती का प्रदर्शन किया है। लेकिन, कोरोना वायरस के नए और अधिक संक्रामक वैरिएंट ओमिक्रॉन प्रमुख चुनौती बन गया है और इसके चलते महंगाई बढ़ने का दबाव भी बढ़ा है। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी दूसरी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कही है। 

बुधवार को जारी हुई इस रिपोर्ट की प्रस्तावना में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि 2021 में अप्रैल-मई में विनाशकारी दूसरी लहर के बाद आर्थिक वृद्धि में उल्लेखनीय बेहतरी आई है। लेकिन, वैश्विक घटनाओं और हाल ही में सामने आए कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की वजह से एक बार फिर से प्रतिकूल परिस्थियों का निर्माण हो रहा है। 

‘महंगाई से बचने के लिए मजबूत आपूर्ति के मानक अमल में लाए जाएं’
आरबीआई गवर्नर के अनुसार एक मजबूत और सतत सुधार निजी निवेश और निजी खपत को बढ़ाने पर निर्भर करता है। लेकिन दुर्भाग्य से यह अभी भी अपने महामारी से पूर्व के स्तर पर है। शक्तिकांत दास ने यह स्वीकार किया कि महंगाई चिंता का विषय है। इस चुनौती से निपटने के लिए उन्होंने मजबूत आपूर्ति मानकों को अमल में लाए जाने की अपील की है।

‘बैंकों की मजबूत बैलेंस शीट से कम होगा भविष्य के झटके का प्रभाव’
हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई है कि उच्च पूंजी और लिक्विडिटी बफल वाले बैंकों की मजबूत बैलेंस शीट भविष्ट के झटके के असर को कम करने में मदद करेगी। आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि कोरोना वायरस महामारी के बीच देश के वित्तीय संस्थान लचीले बने हुए हैं और वित्ती बाजारों में नीति और नियामक समर्थन के चलते स्थिरता की स्थिति बनी हुई है। 

‘सितंबर 2022 तक एनपीए में हो सकता है 9.5 फीसदी तक का इजाफा’
इसके अलावा बैंकों पर तनाव परीक्षणों का हवाला देते हुए गवर्नर ने यह चेतावनी भी दी है कि सकल एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) में सितंबर 2022 तक 8.1 से 9.5 फीसदी तक का इजाफा दर्ज किया जा सकता है, जो सितंबर 2021 में 6.9 फीसदी था। दास ने इस रिपोर्ट में मजबूत और कुशल वित्तीय प्रणाली सुनिश्चिक करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

विस्तार

वर्तमान वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटती दिखाई दी है और मजबूती का प्रदर्शन किया है। लेकिन, कोरोना वायरस के नए और अधिक संक्रामक वैरिएंट ओमिक्रॉन प्रमुख चुनौती बन गया है और इसके चलते महंगाई बढ़ने का दबाव भी बढ़ा है। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी दूसरी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कही है। 

बुधवार को जारी हुई इस रिपोर्ट की प्रस्तावना में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि 2021 में अप्रैल-मई में विनाशकारी दूसरी लहर के बाद आर्थिक वृद्धि में उल्लेखनीय बेहतरी आई है। लेकिन, वैश्विक घटनाओं और हाल ही में सामने आए कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की वजह से एक बार फिर से प्रतिकूल परिस्थियों का निर्माण हो रहा है। 

‘महंगाई से बचने के लिए मजबूत आपूर्ति के मानक अमल में लाए जाएं’

आरबीआई गवर्नर के अनुसार एक मजबूत और सतत सुधार निजी निवेश और निजी खपत को बढ़ाने पर निर्भर करता है। लेकिन दुर्भाग्य से यह अभी भी अपने महामारी से पूर्व के स्तर पर है। शक्तिकांत दास ने यह स्वीकार किया कि महंगाई चिंता का विषय है। इस चुनौती से निपटने के लिए उन्होंने मजबूत आपूर्ति मानकों को अमल में लाए जाने की अपील की है।

‘बैंकों की मजबूत बैलेंस शीट से कम होगा भविष्य के झटके का प्रभाव’

हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई है कि उच्च पूंजी और लिक्विडिटी बफल वाले बैंकों की मजबूत बैलेंस शीट भविष्ट के झटके के असर को कम करने में मदद करेगी। आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि कोरोना वायरस महामारी के बीच देश के वित्तीय संस्थान लचीले बने हुए हैं और वित्ती बाजारों में नीति और नियामक समर्थन के चलते स्थिरता की स्थिति बनी हुई है। 

‘सितंबर 2022 तक एनपीए में हो सकता है 9.5 फीसदी तक का इजाफा’

इसके अलावा बैंकों पर तनाव परीक्षणों का हवाला देते हुए गवर्नर ने यह चेतावनी भी दी है कि सकल एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) में सितंबर 2022 तक 8.1 से 9.5 फीसदी तक का इजाफा दर्ज किया जा सकता है, जो सितंबर 2021 में 6.9 फीसदी था। दास ने इस रिपोर्ट में मजबूत और कुशल वित्तीय प्रणाली सुनिश्चिक करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

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