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आरबीआई का दावा: उपभोक्ताओं का लौटा भरोसा, दूसरी तिमाही में तेज सुधार से जीडीपी कोरोना पूर्व स्तर पर

आरबीआई का दावा: उपभोक्ताओं का लौटा भरोसा, दूसरी तिमाही में तेज सुधार से जीडीपी कोरोना पूर्व स्तर पर

एजेंसी, मुंबई।
Published by: देव कश्यप
Updated Thu, 16 Dec 2021 06:18 AM IST

सार

आरबीआई ने बुलेटिन में प्रकाशित लेख में कहा कि बिजली बिल, ई-वे बिल जैसे महत्वपूर्ण संकेतक आने वाले समय में उत्साहजनक दिख रहे हैं। उपभोक्ताओं में भरोसा भी धीरे-धीरे सामान्य स्तर पर लौट रहा है।

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आरबीआई ने बुधवार को कहा कि अर्थव्यवस्था महामारी के झटकों से उबरकर लगातार आगे बढ़ रही है। आर्थिक और कारोबारी गतिविधियों के दम पर 2021-22 की दूसरी तिमाही में तेज सुधार से जीडीपी कोरोना पूर्व स्तर के पार पहुंच गई है। महंगाई कुल मिलाकर तय लक्ष्य के दायरे में है।

केंद्रीय बैंक ने बुलेटिन में प्रकाशित लेख में कहा कि बिजली बिल, ई-वे बिल जैसे महत्वपूर्ण संकेतक आने वाले समय में उत्साहजनक दिख रहे हैं। उपभोक्ताओं में भरोसा भी धीरे-धीरे सामान्य स्तर पर लौट रहा है। हालांकि, कोरोना के नए स्वरूप ओमिक्रॉन के प्रसार को देखते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बनी हुई है। नए स्वरूप के रोकथाम को लेकर कई देशों में फिर से पाबंदी लगानी शुरू कर दी है।

आरबीआई ने आगे कहा कि विभिन्न कारकों की वजह से अर्थव्यवस्था में मौजूदा सुधार दिख रहा है। इनमें दबी मांग का सामने आना, पूंजीगत खर्च पर सरकार का जोर, मजबूत बाहरी मांग और सामान्य मानसून शामिल हैं। इसके अलावा, संपर्क से जुड़ीं सेवाओं के चालू होने व उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ने से निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था को लेकर संभावनाएं बेहतर होंगी।

केंद्र व राज्यों की वित्तीय हालत सुधरी
आरबीआई ने बुलेटिन में कहा है कि चालू वित्तवर्ष की पहली छमाही में केंद्र और राज्य सरकारों की वित्तीय हालत में बड़ा सुधार हुआ है। टैक्स वसूली अनुमान से भी ज्यादा होने से बजट में तय खर्च के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिली और राजकोषीय घाटे की खाई भी ज्यादा चौड़ी नहीं हुई। केंद्र की कर वसूली में इस दौरान 83.7 फीसदी उछाल आया। आयकर 64.7 फीसदी और कंपनी कर में 105.1 फीसदी की वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार की अप्रत्यक्ष कर वसूली में भी उछाल आया, जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी सीमा शुल्क की रही।

बैंकों के लिए जोखिम वाली पूंजी की जरूरत से जुड़े नए मानक बनाएगा आरबीआई
केंद्रीय बैंक ने बुधवार को एक बैंकों की पूंजी जरूरतों से जुड़े नए मानकों का मसौदा जारी किया। इसका मकसद बेसल-3 मानक में जोखिम वाली पूंजी तय करने व बैंकों की परिचालन पूंजी जरूरतों का नया दायरा बनाना है। रिजर्व बैंक ने 31 जनवरी  तक सभी हितधारकों से सुझाव मांगे हैं। आरबीआई के मुताबिक, परिचालन जोखिम से मतलब उनके आंतरिक अथवा बाहरी कारणों से प्रक्रिया में असफल होना है। नया नियम मौजूदा बेसल-3 नियमों की जगह लेगा और 1 अप्रैल 2023 से लागू किया जाएगा। 

कपड़ा निर्यात बढ़ाने के लिए एफटीए में रखना होगा भारत को पक्ष
आरबीआई ने कहा, बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच भारत को कपड़ा निर्यात बढ़ाने के लिए यूरोपीय संघ एवं अमेरिका जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर आगे बढ़कर अपना पक्ष रखना होगा। भारत को बांग्लादेश, कंबोडिया से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वहां शुल्कों में रियायत है। पिछले एक दशक में भारत के कपड़ा निर्यात में ठहराव देखने को मिला है। 

विस्तार

आरबीआई ने बुधवार को कहा कि अर्थव्यवस्था महामारी के झटकों से उबरकर लगातार आगे बढ़ रही है। आर्थिक और कारोबारी गतिविधियों के दम पर 2021-22 की दूसरी तिमाही में तेज सुधार से जीडीपी कोरोना पूर्व स्तर के पार पहुंच गई है। महंगाई कुल मिलाकर तय लक्ष्य के दायरे में है।

केंद्रीय बैंक ने बुलेटिन में प्रकाशित लेख में कहा कि बिजली बिल, ई-वे बिल जैसे महत्वपूर्ण संकेतक आने वाले समय में उत्साहजनक दिख रहे हैं। उपभोक्ताओं में भरोसा भी धीरे-धीरे सामान्य स्तर पर लौट रहा है। हालांकि, कोरोना के नए स्वरूप ओमिक्रॉन के प्रसार को देखते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बनी हुई है। नए स्वरूप के रोकथाम को लेकर कई देशों में फिर से पाबंदी लगानी शुरू कर दी है।

आरबीआई ने आगे कहा कि विभिन्न कारकों की वजह से अर्थव्यवस्था में मौजूदा सुधार दिख रहा है। इनमें दबी मांग का सामने आना, पूंजीगत खर्च पर सरकार का जोर, मजबूत बाहरी मांग और सामान्य मानसून शामिल हैं। इसके अलावा, संपर्क से जुड़ीं सेवाओं के चालू होने व उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ने से निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था को लेकर संभावनाएं बेहतर होंगी।

केंद्र व राज्यों की वित्तीय हालत सुधरी

आरबीआई ने बुलेटिन में कहा है कि चालू वित्तवर्ष की पहली छमाही में केंद्र और राज्य सरकारों की वित्तीय हालत में बड़ा सुधार हुआ है। टैक्स वसूली अनुमान से भी ज्यादा होने से बजट में तय खर्च के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिली और राजकोषीय घाटे की खाई भी ज्यादा चौड़ी नहीं हुई। केंद्र की कर वसूली में इस दौरान 83.7 फीसदी उछाल आया। आयकर 64.7 फीसदी और कंपनी कर में 105.1 फीसदी की वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार की अप्रत्यक्ष कर वसूली में भी उछाल आया, जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी सीमा शुल्क की रही।

बैंकों के लिए जोखिम वाली पूंजी की जरूरत से जुड़े नए मानक बनाएगा आरबीआई

केंद्रीय बैंक ने बुधवार को एक बैंकों की पूंजी जरूरतों से जुड़े नए मानकों का मसौदा जारी किया। इसका मकसद बेसल-3 मानक में जोखिम वाली पूंजी तय करने व बैंकों की परिचालन पूंजी जरूरतों का नया दायरा बनाना है। रिजर्व बैंक ने 31 जनवरी  तक सभी हितधारकों से सुझाव मांगे हैं। आरबीआई के मुताबिक, परिचालन जोखिम से मतलब उनके आंतरिक अथवा बाहरी कारणों से प्रक्रिया में असफल होना है। नया नियम मौजूदा बेसल-3 नियमों की जगह लेगा और 1 अप्रैल 2023 से लागू किया जाएगा। 

कपड़ा निर्यात बढ़ाने के लिए एफटीए में रखना होगा भारत को पक्ष

आरबीआई ने कहा, बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच भारत को कपड़ा निर्यात बढ़ाने के लिए यूरोपीय संघ एवं अमेरिका जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर आगे बढ़कर अपना पक्ष रखना होगा। भारत को बांग्लादेश, कंबोडिया से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वहां शुल्कों में रियायत है। पिछले एक दशक में भारत के कपड़ा निर्यात में ठहराव देखने को मिला है। 

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