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आरएबी पर अमेरिकी प्रतिबंध: बांग्लादेश की पीएम हसीना ने की आलोचना, कहा- यह 'घृणित' कृत्य है

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Mon, 28 Mar 2022 08:25 PM IST

सार

अंतरराष्ट्रीय मीडिया के मुताबिक, हसीना ने कहा कि आरएबी ने उग्रवाद, ड्रग्स, समुद्री डकैती और आतंकवाद को रोकने में सफलता पाई है। इस बल पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंध घृणित हैं। 

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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश के अर्धसैनिक बल के कुछ अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका को जमकर फटकार लगाई है। सोमवार को अमेरिका के इस कृत्य को बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने घिनौना बताते हुए जमकर आलोचना की। रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) की 18वीं स्थापना दिवस के मौके पर आरएबी फोर्सेस मुख्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सदस्यों को आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने पर दंडित करने के लिए आंतरिक प्रावधान है।

गौरतलब है कि आरएबी बांग्लादेश का एक कुलीन अर्धसैनिक बल है। आरएबी के सात पूर्व और वर्तमान सदस्यों पर कथित तौर पर मानवाधिकारों के दुरुपयोग और अपहरण के आरोप में 2021 में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने प्रतिबंध लगाया था। 

अंतरराष्ट्रीय मीडिया के मुताबिक, हसीना ने कहा कि आरएबी ने उग्रवाद, ड्रग्स, समुद्री डकैती और आतंकवाद को रोकने में सफलता पाई है। इस बल पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंध घृणित कृत्य हैं। 
उन्होंने कहा कि यह खेद की बात है कि अमेरिका ने कुछ आरएबी सदस्यों पर बिना किसी गलती या कारण के प्रतिबंध लगा दिए। अपने देश में वे अपनी आपराधिक गतिविधियों के लिए अपने बलों के किसी भी सदस्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। इस दावे को लेकर उन्होंने कुछ उदाहरण भी दिए। 

उन्होंने कहा कि अमेरिका ने युद्ध अपराधियों और राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबर रहमान के हत्यारों को शरण दी है। उन्होंने शेख मुजीबर रहमान  की हत्या में दोषी अपराधियों को नागरिकता प्रदान करने के लिए अमेरिका की भी आलोचना की।

पर्दाफाश करने के लिए लगाया प्रतिबंध
अमेरिका ने प्रतिबंधों का एलान करते समय सातों अधिकारियों पर मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन करने का इल्जाम लगाया था। उसने कहा था कि ये अधिकारी अवैध हत्याएं करने और विपक्षी दलों को निशाना बनाने में शामिल रहे हैं। उन्होंने पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का भी उत्पीड़न किया है। अमेरिका ने कहा था कि प्रतिबंध इसलिए लगाए गए हैं, ताकि मानवाधिकारों के उल्लंघन का पर्दाफाश किया जा सके और उसके लिए दोषी लोगों को जवाबदेह ठहराया जा सके।

उसके जवाब में बांग्लादेश सरकार ने कहा था कि आरएबी का कभी भी राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया गया। लेकिन जिन अधिकारियों पर प्रतिबंध लगे हैं, उनके अमेरिका, ब्रिटेन या कनाडा जाने पर रोक लग गई है। पर्यवेक्षकों का कहना है बांग्लादेश में इस अमेरिकी कार्रवाई को लेकर उग्र जन भावना है। उसे देखते हुए ही अब सरकार ने अपना रुख सख्त करने का संदेश दिया है

विस्तार

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश के अर्धसैनिक बल के कुछ अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका को जमकर फटकार लगाई है। सोमवार को अमेरिका के इस कृत्य को बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने घिनौना बताते हुए जमकर आलोचना की। रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) की 18वीं स्थापना दिवस के मौके पर आरएबी फोर्सेस मुख्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सदस्यों को आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने पर दंडित करने के लिए आंतरिक प्रावधान है।

गौरतलब है कि आरएबी बांग्लादेश का एक कुलीन अर्धसैनिक बल है। आरएबी के सात पूर्व और वर्तमान सदस्यों पर कथित तौर पर मानवाधिकारों के दुरुपयोग और अपहरण के आरोप में 2021 में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने प्रतिबंध लगाया था। 

अंतरराष्ट्रीय मीडिया के मुताबिक, हसीना ने कहा कि आरएबी ने उग्रवाद, ड्रग्स, समुद्री डकैती और आतंकवाद को रोकने में सफलता पाई है। इस बल पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंध घृणित कृत्य हैं। 

उन्होंने कहा कि यह खेद की बात है कि अमेरिका ने कुछ आरएबी सदस्यों पर बिना किसी गलती या कारण के प्रतिबंध लगा दिए। अपने देश में वे अपनी आपराधिक गतिविधियों के लिए अपने बलों के किसी भी सदस्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। इस दावे को लेकर उन्होंने कुछ उदाहरण भी दिए। 

उन्होंने कहा कि अमेरिका ने युद्ध अपराधियों और राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबर रहमान के हत्यारों को शरण दी है। उन्होंने शेख मुजीबर रहमान  की हत्या में दोषी अपराधियों को नागरिकता प्रदान करने के लिए अमेरिका की भी आलोचना की।

पर्दाफाश करने के लिए लगाया प्रतिबंध

अमेरिका ने प्रतिबंधों का एलान करते समय सातों अधिकारियों पर मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन करने का इल्जाम लगाया था। उसने कहा था कि ये अधिकारी अवैध हत्याएं करने और विपक्षी दलों को निशाना बनाने में शामिल रहे हैं। उन्होंने पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का भी उत्पीड़न किया है। अमेरिका ने कहा था कि प्रतिबंध इसलिए लगाए गए हैं, ताकि मानवाधिकारों के उल्लंघन का पर्दाफाश किया जा सके और उसके लिए दोषी लोगों को जवाबदेह ठहराया जा सके।

उसके जवाब में बांग्लादेश सरकार ने कहा था कि आरएबी का कभी भी राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया गया। लेकिन जिन अधिकारियों पर प्रतिबंध लगे हैं, उनके अमेरिका, ब्रिटेन या कनाडा जाने पर रोक लग गई है। पर्यवेक्षकों का कहना है बांग्लादेश में इस अमेरिकी कार्रवाई को लेकर उग्र जन भावना है। उसे देखते हुए ही अब सरकार ने अपना रुख सख्त करने का संदेश दिया है

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