न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गुवाहाटी
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Sat, 19 Feb 2022 10:12 PM IST
सार
सरमा ने शनिवार को हिजाब मुद्दे पर पीएफआई पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हिजाब पहनने को लेकर देश में आपसी सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है।
असम सरकार ने केंद्र से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई पर तत्काल प्रभाव से पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग की है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मामले में कहा कि सिर्फ हिजाब मुद्दे के कारण ही नहीं, बल्कि उकसावे वाली गतिविधियों और कट्टरपंथ में सीधी भागीदारी की वजह से पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है।
सरमा ने शनिवार को हिजाब मुद्दे पर पीएफआई पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हिजाब पहनने को लेकर देश में आपसी सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। ऐसे मोदी सरकार से निवेदन है कि पीएफआई पर लगाम लगाई जाए। विध्वंसक गतिविधियों और कट्टरपंथ में उनकी भागीदारी ही संगठन पर सवाल खड़ा करती है।
उन्होंने यह भी बताया कि असम सरकार नशीली दवाओं के कुछ मामलों को एनसीबी को सौंप रही है, ताकि वे मामले की जड़ तक पहुंच सके, जो हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं। हमें उम्मीद है कि पांच साल बाद असम रोल मॉडल बनेगा।
कामाख्या मंदिर मार्ग का नाम बदलने का फैसला वापस
इस बीच असम सरकार एक नई सड़क का नाम स्वामी मुक्तानंद सरस्वती के नाम पर रखने का अपना निर्णय वापस ले लिया है। इससे पहले सरकार ने राज्य के सांस्कृतिक लोकाचार को दर्शाने के लिए सड़कों का नाम बदलने की घोषणा की थी। आम लोगों ने सोशल मीडिया पर इसका विरोध जताया था। अधिकतर लोगों ने दावा किया कि जिस व्यक्ति के नाम पर सड़क का नामकरण किया जा रहा है उसका असम या उसके लोगों से कोई संबंध नहीं है।
विस्तार
असम सरकार ने केंद्र से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई पर तत्काल प्रभाव से पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग की है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मामले में कहा कि सिर्फ हिजाब मुद्दे के कारण ही नहीं, बल्कि उकसावे वाली गतिविधियों और कट्टरपंथ में सीधी भागीदारी की वजह से पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है।
सरमा ने शनिवार को हिजाब मुद्दे पर पीएफआई पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हिजाब पहनने को लेकर देश में आपसी सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। ऐसे मोदी सरकार से निवेदन है कि पीएफआई पर लगाम लगाई जाए। विध्वंसक गतिविधियों और कट्टरपंथ में उनकी भागीदारी ही संगठन पर सवाल खड़ा करती है।
उन्होंने यह भी बताया कि असम सरकार नशीली दवाओं के कुछ मामलों को एनसीबी को सौंप रही है, ताकि वे मामले की जड़ तक पहुंच सके, जो हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं। हमें उम्मीद है कि पांच साल बाद असम रोल मॉडल बनेगा।
कामाख्या मंदिर मार्ग का नाम बदलने का फैसला वापस
इस बीच असम सरकार एक नई सड़क का नाम स्वामी मुक्तानंद सरस्वती के नाम पर रखने का अपना निर्णय वापस ले लिया है। इससे पहले सरकार ने राज्य के सांस्कृतिक लोकाचार को दर्शाने के लिए सड़कों का नाम बदलने की घोषणा की थी। आम लोगों ने सोशल मीडिया पर इसका विरोध जताया था। अधिकतर लोगों ने दावा किया कि जिस व्यक्ति के नाम पर सड़क का नामकरण किया जा रहा है उसका असम या उसके लोगों से कोई संबंध नहीं है।
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