एजेंसी, बेंगलुरु।
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 12 Apr 2022 03:51 AM IST
सार
सर्वे में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों में तेजी से खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़े हैं। इसका असर खुदरा महंगाई के आंकड़ों पर भी पड़ेगा। हालांकि, यूक्रेन पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल और ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी का पूरा असर अप्रैल तक नहीं दिखने का अनुमान है क्योंकि भारत में पेट्रोल-डीजल ते दाम देरी से बढ़े हैं।
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विस्तार
सर्वे में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों में तेजी से खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़े हैं। इसका असर खुदरा महंगाई के आंकड़ों पर भी पड़ेगा। हालांकि, यूक्रेन पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल और ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी का पूरा असर अप्रैल तक नहीं दिखने का अनुमान है क्योंकि भारत में पेट्रोल-डीजल ते दाम देरी से बढ़े हैं। इसका मतलब है कि आने वाले महीनों में महंगाई से राहत मिलने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है। यह सर्वे 48 अर्थशास्त्रियों से बातचीत पर आधारित है, जो 4-8 अप्रैल के बीच हुआ था।
50 फीसदी तक महंगा हो चुका है पाम तेल
एएनजेड में अर्थशास्त्री धीरज निम का कहना है कि फरवरी तक तीन महीने की गिरावट के बाद खाद्य वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति प्रभावित हुई है। खाद्यान्न उत्पादन, खाद्य तेल की आपूर्ति और उर्वरक निर्यात बाधित हुआ है। इसका असर महंगाई में करीब आधी हिस्सेदारी रखने वाले खाद्य पदार्थों की कीमतों पर दिख सकता है। इसलिए मार्च में खुदरा महंगाई की दर बढ़कर 6.30 फीसदी रहने का अनुमान है।
सिटी इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री समीरन चक्रवर्ती ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कमोडिटी के साथ खाद्य तेल की कीमतों में उछाल से मार्च में महंगाई के आंकड़े बढ़ जाएंगे। दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले पाम तेल की कीमतें इस साल करीब 50 फीसदी बढ़ चुकी हैं। इसके अलावा, विधानसभा चुनावों के बाद मार्च के आखिरी 10 दिनों में पेट्रोल 6.50 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है।
बॉन्ड यील्ड तीन साल के उच्चतम स्तर पर
10 साल के मैच्योरिटी वाला सरकारी बॉन्ड यील्ड सोमवार को 7.16 फीसदी पर पहुंच गया। दिन के कारोबार में एक समय यह 7.19 फीसदी पर पहुंच गया था, जो 27 मई, 2019 के बाद इसका तीन साल का उच्चतम स्तर है। आरबीआई ने हालिया मौद्रिक नीति समिति की बैठक में सालाना महंगाई के अनुमान को बढ़ा दिया है। इससे निवेशकों की धारणा में गिरावट आई। अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में तेजी से भी दबाव बढ़ा। बॉन्ड यील्ड अर्थव्यवस्था की स्थिति को बताने वाला बड़ा संकेतक है।