न्यूज डेस्क, अमर उजाला, ईटानगर
Published by: Amit Mandal
Updated Mon, 20 Dec 2021 10:59 PM IST
सार
जनगणना फिर शुरू करने के लिए अखिल अरुणाचल प्रदेश छात्र संघ(आपसू) ने शनिवार को राज्य सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया, जिसके बाद मुख्यमंत्री का बयान आया है।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोमवार को कहा कि राज्य में चकमा और हाजोंग शरणार्थियों की जनगणना को रोकने के लिए सरकार की ओर से कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इस मामले को सुलझाने के प्रति गंभीर है और अन्य राज्यों में उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी।
खांडू ने कहा कि जनगणना बहाल करने के लिए हम जिला प्रशासन को शीघ्र ही निर्देश देंगे। जनगणना फिर शुरू करने के लिए अखिल अरुणाचल प्रदेश छात्र संघ(आपसू) ने शनिवार को राज्य सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया, जिसके बाद मुख्यमंत्री का बयान आया है। आपसू ने दावा किया था कि सात दिसंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से राज्य सरकार को एक पत्र मिलने के बाद जनगणना रोक दी गई।
इस महीने ही ‘चकमा डेवलपमेंट फॉउंडेशन ऑफ इंडिया’ (सीडीएफआई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि अरुणाचल प्रदेश में 65,000 चकमा और हाजोंग समुदाय के लोगों की नस्ली जनगणना की जा रही है। खांडू ने कहा, राज्य के मूल निवासियों को आश्वासन दिया गया है हाजोंग और चकमा शरणार्थियों का अन्य राज्यों में पुनर्वास कराया जाएगा। इसके लिए हमारे पास सटीक आंकड़े होने चाहिए। गौरतलब है कि चकमा बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग हैं और हाजोंग हिन्दू हैं, जो 1964 से 1966 के बीच तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से अरुणाचल प्रदेश में बस गए थे।
विस्तार
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोमवार को कहा कि राज्य में चकमा और हाजोंग शरणार्थियों की जनगणना को रोकने के लिए सरकार की ओर से कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इस मामले को सुलझाने के प्रति गंभीर है और अन्य राज्यों में उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी।
खांडू ने कहा कि जनगणना बहाल करने के लिए हम जिला प्रशासन को शीघ्र ही निर्देश देंगे। जनगणना फिर शुरू करने के लिए अखिल अरुणाचल प्रदेश छात्र संघ(आपसू) ने शनिवार को राज्य सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया, जिसके बाद मुख्यमंत्री का बयान आया है। आपसू ने दावा किया था कि सात दिसंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से राज्य सरकार को एक पत्र मिलने के बाद जनगणना रोक दी गई।
इस महीने ही ‘चकमा डेवलपमेंट फॉउंडेशन ऑफ इंडिया’ (सीडीएफआई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि अरुणाचल प्रदेश में 65,000 चकमा और हाजोंग समुदाय के लोगों की नस्ली जनगणना की जा रही है। खांडू ने कहा, राज्य के मूल निवासियों को आश्वासन दिया गया है हाजोंग और चकमा शरणार्थियों का अन्य राज्यों में पुनर्वास कराया जाएगा। इसके लिए हमारे पास सटीक आंकड़े होने चाहिए। गौरतलब है कि चकमा बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग हैं और हाजोंग हिन्दू हैं, जो 1964 से 1966 के बीच तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से अरुणाचल प्रदेश में बस गए थे।
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