वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Fri, 22 Oct 2021 10:14 PM IST
सार
इस विधेयक में भारत को मुस्लिमों के खिलाफ कथित अत्याचारों के लिए चीन और म्यांमार की श्रेणी में रखने का प्रावधान है। जबकि भारत अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि उसे अपनी धर्मनिरपेक्ष साख, सहिष्णुता और समावेशिता की दीर्घकालीन प्रतिबद्धता के साथ सबसे बड़े लोकतंत्र और बहुलवादी समाज के तौर पर अपने दर्जे पर गर्व है।
अमेरिका में 30 से ज्यादा सांसदों के एक समूह ने सांसद इल्हान उमर के नेतृत्व में दुनियाभर में ‘इस्लामोफोबिया’ बढ़ने की घटनाओं के खिलाफ प्रतिनिधि सभा (निचले सदन) में एक विधेयक पेश किया है। इस्लामोफोबिया, इस्लाम धर्म या मुस्लिमों के प्रति घृणा, डर या पूर्वाग्रह की भावना को कहा जाता है जो पूरी दुनिया में बढ़ रही है।
विधेयक में विदेश मंत्रालय से देशों द्वारा प्रायोजित इस्लोमोफोबिया संबंधी हिंसा और दंड मुक्ति को अपनी वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में शामिल करने का अनुरोध किया गया है। सांसदों के समूह ने कहा कि विशेष दूत नियुक्त करने से नीति निर्माताओं को मुस्लिम विरोधी कट्टरता की वैश्विक समस्या को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी।
इस विधेयक में भारत को मुस्लिमों के खिलाफ कथित अत्याचारों के लिए चीन और म्यांमार की श्रेणी में रखने का प्रावधान है। जबकि भारत अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि उसे अपनी धर्मनिरपेक्ष साख, सहिष्णुता और समावेशिता की दीर्घकालीन प्रतिबद्धता के साथ सबसे बड़े लोकतंत्र और बहुलवादी समाज के तौर पर अपने दर्जे पर गर्व है। उसने कहा था कि भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक समुदायों समेत उसके सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार दिए गए हैं।
मुस्लिम पर बढ़े अत्याचार
सांसद इल्हान उमर ने कहा कि हम दुनिया के हर कोने में इस्लामोफोबिया में वृद्धि देख रहे हैं। उनके कार्यालय से जारी एक बयान के मुताबिक, चाहे चीन में उइगर समुदाय और म्यांमार में रोहिंग्या के खिलाफ किए जा रहे अत्याचार हों या श्रीलंका में मुस्लिम आबादी के खिलाफ कार्रवाई, हंगरी-पोलैंड में मुस्लिम शरणार्थियों को बलि का बकरा बनाना, सभी जगह मुस्लिमों से नफरत बढ़ रही है। न्यूजीलैंड और कनाडा में भी मुस्लिमों को निशाना बनाते हुए श्वेतों के वर्चस्व वाले लोगों की हिंसा बढ़ी है।
विस्तार
अमेरिका में 30 से ज्यादा सांसदों के एक समूह ने सांसद इल्हान उमर के नेतृत्व में दुनियाभर में ‘इस्लामोफोबिया’ बढ़ने की घटनाओं के खिलाफ प्रतिनिधि सभा (निचले सदन) में एक विधेयक पेश किया है। इस्लामोफोबिया, इस्लाम धर्म या मुस्लिमों के प्रति घृणा, डर या पूर्वाग्रह की भावना को कहा जाता है जो पूरी दुनिया में बढ़ रही है।
विधेयक में विदेश मंत्रालय से देशों द्वारा प्रायोजित इस्लोमोफोबिया संबंधी हिंसा और दंड मुक्ति को अपनी वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में शामिल करने का अनुरोध किया गया है। सांसदों के समूह ने कहा कि विशेष दूत नियुक्त करने से नीति निर्माताओं को मुस्लिम विरोधी कट्टरता की वैश्विक समस्या को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी।
इस विधेयक में भारत को मुस्लिमों के खिलाफ कथित अत्याचारों के लिए चीन और म्यांमार की श्रेणी में रखने का प्रावधान है। जबकि भारत अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि उसे अपनी धर्मनिरपेक्ष साख, सहिष्णुता और समावेशिता की दीर्घकालीन प्रतिबद्धता के साथ सबसे बड़े लोकतंत्र और बहुलवादी समाज के तौर पर अपने दर्जे पर गर्व है। उसने कहा था कि भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक समुदायों समेत उसके सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार दिए गए हैं।
मुस्लिम पर बढ़े अत्याचार
सांसद इल्हान उमर ने कहा कि हम दुनिया के हर कोने में इस्लामोफोबिया में वृद्धि देख रहे हैं। उनके कार्यालय से जारी एक बयान के मुताबिक, चाहे चीन में उइगर समुदाय और म्यांमार में रोहिंग्या के खिलाफ किए जा रहे अत्याचार हों या श्रीलंका में मुस्लिम आबादी के खिलाफ कार्रवाई, हंगरी-पोलैंड में मुस्लिम शरणार्थियों को बलि का बकरा बनाना, सभी जगह मुस्लिमों से नफरत बढ़ रही है। न्यूजीलैंड और कनाडा में भी मुस्लिमों को निशाना बनाते हुए श्वेतों के वर्चस्व वाले लोगों की हिंसा बढ़ी है।
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