एजेंसी, वाशिंगटन
Published by: देव कश्यप
Updated Thu, 24 Mar 2022 02:34 AM IST
सार
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि भारत-अमेरिका में द्विपक्षीय रिश्ते हैं जो गत 25 वर्षों में कई मायनों में गहरे हुए हैं। उन्होंने कहा, यह द्विपक्षीय आधार पर ही संभव हो पाया है। प्राइस ने कहा, यह जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रशासन की विरासत का एक हिस्सा है, जहां हमने दोनों देशों के बीच इस द्विपक्षीय रिश्तों को विकसित होते देखा है और हमारे रक्षा-सुरक्षा संबंधों सहित कई क्षेत्रों में रिश्ते गहरे हुए हैं।
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विस्तार
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, भारत-अमेरिका में द्विपक्षीय रिश्ते हैं जो गत 25 वर्षों में कई मायनों में गहरे हुए हैं। उन्होंने कहा, यह द्विपक्षीय आधार पर ही संभव हो पाया है। प्राइस ने कहा, यह जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रशासन की विरासत का एक हिस्सा है, जहां हमने दोनों देशों के बीच इस द्विपक्षीय रिश्तों को विकसित होते देखा है और हमारे रक्षा-सुरक्षा संबंधों सहित कई क्षेत्रों में रिश्ते गहरे हुए हैं।
उन्होंने कहा, तथ्य यह है कि जब हम एक स्वतंत्र एवं मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा मूल्यों की बात करते हैं तो हम भारत के भागीदार हैं। हमने अपनी रक्षा-सुरक्षा के संदर्भ में निवेश किया है। इसलिए ऐतिहासिक संबंधों के साथ ही अब हम भारत के पसंदीदा भागीदार हैं।
चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों पर हम साथ हैं
प्राइस ने कहा कि भारत, अमेरिका व कई अन्य विश्व शक्तियां क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, मुक्त एवं समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दे रही हैं। इस मसले पर भी भारत-अमेरिका साथ हैं। चीन विवादित दक्षिण चीन सागर पर भी अपना दावा करता है, जबकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलयेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप तथा सैन्य प्रतिष्ठान भी बनाए हैं।
प्राइस ने कहा कि क्वाड तथा द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ मेंज् एक स्वतंत्र एवं मुक्त हिंद-प्रशांत के साझा दृष्टिकोण को साकार करने के लिए भारत उनका एक आवश्यक भागीदार है।