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अमेरिका: महामारी के बाद अब बदल गए हैं दफ्तर, अपना रहे हाइब्रिड कल्चर

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 18 Nov 2021 05:02 PM IST

सार

पर्यवेक्षकों का कहना है कि पहले दफ्तर ऐसी जगह होते थे, जहां लोग करीबी तालमेल के साथ काम करते थे। मसलन, वे सुबह मीटिंग रूम में इकट्ठे होते थे और दिन भर क्या करना है, इस बारे में चाय-कॉफी पीते हुए बात करते थे। लेकिन ये कार्य संस्कृति अब बदली हुई नजर आ रही है…

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अमेरिका में कोरोना महामारी के बाद जब आम जिंदगी शुरू हो रही है, तो यह देखने को मिला है कि अब दफ्तरों का पूरा रूप ही बदल गया है। अब हाइब्रिड दफ्तर का कल्चर आम हो गया है। इसका मतलब है कि कुछ लोग ऑफिस आकर काम करते हैं, जबकि बाकी कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम को जारी रखे हुए हैं।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि पहले दफ्तर ऐसी जगह होते थे, जहां लोग करीबी तालमेल के साथ काम करते थे। मसलन, वे सुबह मीटिंग रूम में इकट्ठे होते थे और दिन भर क्या करना है, इस बारे में चाय-कॉफी पीते हुए बात करते थे। लेकिन ये कार्य संस्कृति अब बदली हुई नजर आ रही है। कमर्शियल रियल एस्टेट और निवेश संबंधी सेवाएं देने वाली एजेंसी सीबीआरई ने दफ्तरों के बदलते रूप पर एक रिपोर्ट जारी की है।

कार्यालयों में प्राइवेट स्थलों को हटाया

इस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में लगभग 60 फीसदी कंपनियां महामारी के बाद अब अपने दफ्तरों को री-डिजाइन कर रही हैं। सीबीआरई ने कंपनी दफ्तरों के एक व्यापक सर्वे के बाद ये रिपोर्ट तैयार की है। इसके मुताबिक अब लगभग एक चौथाई कंपनियों ने अपने कार्यालयों में प्राइवेट स्थलों को पूरी तरह हटा दिया है। प्राइवेट स्थल से मतलब खास कर्मचारियों को मिलने वाले केबिन या खास जगह से है। जिन कंपनियों ने अपने दफ्तर में प्राइवेट स्थल रखे हैं, उनमें भी लगभग 80 फीसदी ने इनका आकार घटा दिया है। अब औसतन ऐसे दफ्तर स्थलों का आकार 149 वर्ग फीट या उससे कम है।

इस रिपोर्ट की प्रमुख लेख सुजेन वेसमंड ने वेबसाइट एक्सियोस.कॉम से कहा कि लोग अब अधिक से अधिक घर से काम करना पसंद कर रहे हैं। वे ऑफिस सिर्फ जरूरी होने या खास अवसरों पर ही आना चाहते हैं। सीबीआरई की रिपोर्ट में कहा गया है कि अब जो कर्मचारी ऑफिस आते हैं, वे वहां पूरा समय काम में लगाना चाहते हैं, ताकि काम जल्द निपटाया जा सके। हालांकि वेसमंड ने कहा- ‘ऐसा कभी नहीं होगा कि ऑफिस खत्म हो जाएं।’ लेकिन इस अध्ययन से संकेत मिला है कि ऐसे स्थलों का रूप बदल जाएगा। कहा गया है कि इन्वेस्टमेंट बैंक और लॉ फर्म के दफ्तरों में अभी भी पूरे कर्मचारी आ रहे हैं। अनुमान लगाया गया है कि ये गिने-चुने क्षेत्र होंगे, जहां दफ्तरों का चलन पहले जैसा लंबे समय तक चलता रहेगा। वहां अधिकारियों के केबिन भी अभी बने रहेंगे।

कर्मचारी हैं नर्वसनेस का शिकार

व्हार्टन्स सेंटर फॉर ह्यूमन रिसोर्स के निदेशक पीटर केपेली ने वेबसाइट एक्सियोस से कहा कि अभी काफी समय तक कई कर्मचारी महामारी की वजह से पैदा हुए नर्वसनेस का शिकार रहेंगे। ऐसे में वे अपने घर से काम करना पसंद करेंगे। इसलिए अभी वीडियो मीटिंग्स का दौर चलता रहेगा, क्योंकि सभी कर्मचारी दफ्तर में मौजूद नहीं हो पाएंगे।

वेसमंड ने कहा है कि जो चीज गायब हो रही हैं, वह सजे-धजे केबिन हैं, जहां एक व्यक्ति बैठता था। वहां ये अधिकारी अपने पारिवारिक तस्वीरें भी लगा कर रखते थे। अब कंपनियां दफ्तर में मौजूद सारी जगह को ऐसा बना रही हैं, जिससे कोई भी किसी जगह का इस्तेमाल कर सके।

विस्तार

अमेरिका में कोरोना महामारी के बाद जब आम जिंदगी शुरू हो रही है, तो यह देखने को मिला है कि अब दफ्तरों का पूरा रूप ही बदल गया है। अब हाइब्रिड दफ्तर का कल्चर आम हो गया है। इसका मतलब है कि कुछ लोग ऑफिस आकर काम करते हैं, जबकि बाकी कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम को जारी रखे हुए हैं।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि पहले दफ्तर ऐसी जगह होते थे, जहां लोग करीबी तालमेल के साथ काम करते थे। मसलन, वे सुबह मीटिंग रूम में इकट्ठे होते थे और दिन भर क्या करना है, इस बारे में चाय-कॉफी पीते हुए बात करते थे। लेकिन ये कार्य संस्कृति अब बदली हुई नजर आ रही है। कमर्शियल रियल एस्टेट और निवेश संबंधी सेवाएं देने वाली एजेंसी सीबीआरई ने दफ्तरों के बदलते रूप पर एक रिपोर्ट जारी की है।

कार्यालयों में प्राइवेट स्थलों को हटाया

इस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में लगभग 60 फीसदी कंपनियां महामारी के बाद अब अपने दफ्तरों को री-डिजाइन कर रही हैं। सीबीआरई ने कंपनी दफ्तरों के एक व्यापक सर्वे के बाद ये रिपोर्ट तैयार की है। इसके मुताबिक अब लगभग एक चौथाई कंपनियों ने अपने कार्यालयों में प्राइवेट स्थलों को पूरी तरह हटा दिया है। प्राइवेट स्थल से मतलब खास कर्मचारियों को मिलने वाले केबिन या खास जगह से है। जिन कंपनियों ने अपने दफ्तर में प्राइवेट स्थल रखे हैं, उनमें भी लगभग 80 फीसदी ने इनका आकार घटा दिया है। अब औसतन ऐसे दफ्तर स्थलों का आकार 149 वर्ग फीट या उससे कम है।

इस रिपोर्ट की प्रमुख लेख सुजेन वेसमंड ने वेबसाइट एक्सियोस.कॉम से कहा कि लोग अब अधिक से अधिक घर से काम करना पसंद कर रहे हैं। वे ऑफिस सिर्फ जरूरी होने या खास अवसरों पर ही आना चाहते हैं। सीबीआरई की रिपोर्ट में कहा गया है कि अब जो कर्मचारी ऑफिस आते हैं, वे वहां पूरा समय काम में लगाना चाहते हैं, ताकि काम जल्द निपटाया जा सके। हालांकि वेसमंड ने कहा- ‘ऐसा कभी नहीं होगा कि ऑफिस खत्म हो जाएं।’ लेकिन इस अध्ययन से संकेत मिला है कि ऐसे स्थलों का रूप बदल जाएगा। कहा गया है कि इन्वेस्टमेंट बैंक और लॉ फर्म के दफ्तरों में अभी भी पूरे कर्मचारी आ रहे हैं। अनुमान लगाया गया है कि ये गिने-चुने क्षेत्र होंगे, जहां दफ्तरों का चलन पहले जैसा लंबे समय तक चलता रहेगा। वहां अधिकारियों के केबिन भी अभी बने रहेंगे।

कर्मचारी हैं नर्वसनेस का शिकार

व्हार्टन्स सेंटर फॉर ह्यूमन रिसोर्स के निदेशक पीटर केपेली ने वेबसाइट एक्सियोस से कहा कि अभी काफी समय तक कई कर्मचारी महामारी की वजह से पैदा हुए नर्वसनेस का शिकार रहेंगे। ऐसे में वे अपने घर से काम करना पसंद करेंगे। इसलिए अभी वीडियो मीटिंग्स का दौर चलता रहेगा, क्योंकि सभी कर्मचारी दफ्तर में मौजूद नहीं हो पाएंगे।

वेसमंड ने कहा है कि जो चीज गायब हो रही हैं, वह सजे-धजे केबिन हैं, जहां एक व्यक्ति बैठता था। वहां ये अधिकारी अपने पारिवारिक तस्वीरें भी लगा कर रखते थे। अब कंपनियां दफ्तर में मौजूद सारी जगह को ऐसा बना रही हैं, जिससे कोई भी किसी जगह का इस्तेमाल कर सके।

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