अमेरिकी विदेश मंत्रालय
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अफगान तालिबान से रिश्ते बरकरार रख शांतिवार्ताओं को समर्थन दे रहा है पाकिस्तान
रिपोर्ट के मुताबिक, अफगान तालिबान के साथ संबंध बरकरार रखते हुए पाकिस्तान ने शांति वार्ताओं को समर्थन देना जारी रखा हुआ है। रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए) के मुताबिक, अफगानिस्तान में पाकिस्तान के रणनीतिक सुरक्षा मकसद निश्चित ही भारतीय प्रभाव का मुकाबला करना है।
एक अप्रैल से 30 जून की तिमाही की रिपोर्ट के अनुसार, पाक चिंतित है कि अफगानिस्तान गृहयुद्ध का देश पर अस्थिर प्रभाव पड़ेगा। इसमें शरणार्थियों की आमद और पाक विरोधी आतंकवादियों के लिए एक संभावित पनाहगाह प्रदान करना शामिल है।
प्रत्यक्षदर्शी सूत्रों के हवाले से मीडिया की खबरों के मुताबिक इस तिमाही में पाक सीमावर्ती क्षेत्रों में अफगान तालिबान के लिए वित्तीय योगदान बढ़ा है। इसमें कहा गया है कि उकसावे की कोशिशें मस्जिदों में होती थीं, लेकिन अफगान तालिबान के आतंकी खुलेआम पाकिस्तानी शहरों के बाजार में घूमते थे।
पाकिस्तान में चंदा जुटा रहे आतंकी
पिछले तीन माह की मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में अफगान तालिबान के आतंकी आमतौर पर पाक दुकानदारों से 50 डॉलर या उससे अधिक के योगदान की याचना करते हैं। स्थानीय निवासियों ने संवाददाताओं को बताया कि क्वेटा, कुचलक बाईपास, पख्तून अबाद, इशाक अबाद और फारुकिया के कस्बों और शहरों में चंदा लेने के प्रयास अब आम बात हो गई है।
तालिबान व आतंकवाद रोकने में भारत-अमेरिकी साझेदारी अब और अहम : रो खन्ना
अमेरिका के प्रभावशाली सांसद भारतवंशी रो खन्ना ने कहा कि तालिबान और आतंकवाद को रोकने के लिए भारत-अमेरिकी रणनीतिक साझेदारी पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
अमेरिकी संसद के निचले सदन में सिलिकॉन वैली के सांसद खन्ना ने ट्वीट किया, भारत-अमेरिकी रणनीतिक साझेदारी तालिबान और आतंकवाद पर काबू करने में अहम है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर भारत-अमेरिका साझेदारी को मजबूत करने के लिए वे भारत कॉकस के नेतृत्व के साथ मिलकर काम करेंगे।