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अध्ययन में खुलासा: खरीदारी के तौर-तरीके बदल सकते हैं ऑनलाइन उत्पादों के डिस्प्ले

एजेंसी, वॉशिंगटन
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 24 Aug 2021 02:53 AM IST

ऑनलाइन खरीदारी (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : The Petronics

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महामारी के दौरान दुनियाभर में ऑनलाइन खरीदारी का चलन तेजी से बढ़ा है। इस दौरान लोगों के खरीदारी के तौर-तरीकों में बदलाव देखने को मिला है। खरीदार कई बार सोच के उलट भी उत्पाद खरीद लेते हैं। इसमें ऑनलाइन उत्पाद के डिस्प्ले की अहम भूमिका होती है। यह दावा न्यू यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो के शोध में किया गया है।

‘फ्रंटियर्स इन न्यूरोसाइंस’ पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि बेहतर डिस्प्ले उपभोक्ताओं के खरीदारी के तौर-तरीके बदलने की क्षमता रखते हैं। इसका मतलब है कि अगर किसी उत्पाद का डिस्प्ले बेहतर होगा तो खरीदार उसकी ओर ज्यादा आकर्षित होंगे न कि उस उत्पाद की ओर, जिसे खरीदने के लिए वे सोचकर आए थे। उदाहरण के लिए, अगर कोई उपभोक्ता बोर्ड गेम खरीदना चाहता है और उसके साथ उसी श्रेणी के कई अन्य गेम भी डिस्प्ले हो रहे हैं तो उत्पाद को खरीदने की संभावना बढ़ जाती है। इसके उलट बेमेल उत्पादों का डिस्प्ले खरीद संभावना को कम कर देता है। यह अध्ययन 18 से 40 साल के लोगों पर किया गया है।

आई ट्रैकिंग सेंसर तकनीक का इस्तेमाल
यह शोध यूनिवर्सिटी की स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड स्कूल ऑफ ग्लोबल पॉलिसी एंड स्ट्रैटजी की असिस्टेंट प्रोफेसर उमा आर कर्माकर ने किया है। वह बताती हैं कि इस शोध में एक प्रकार की सेंसर तकनीक ‘आई ट्रैकिंग’ का इस्तेमाल किया गया है। तकनीक यह जानने में मदद करती है कि कोई व्यक्ति कहां देख रहा है और विभिन्न प्रकार के डिस्प्ले उसका ध्यान कैसे प्रभावित करते हैं।

ज्यादा समय देखने पर भी नहीं बदलीं प्राथमिकताएं
अध्ययन के मुताबिक, उपभोक्ताओं ने अपने लक्षित उत्पाद को उसी समय तक देखा, जब तक इसे समान या विभिन्न श्रेणी के वस्तुओं के साथ रखा गया था। उन लोगों ने बेमेल उत्पादों को देखने में ज्यादा समय व्यतीत किया। कर्माकर बताती हैं, ‘आश्चर्य की बात यह है कि ज्यादा समय तक देखने के बाद भी उनकी प्राथमिकताओं में कोई बदलाव नहीं आया।’ निष्कर्ष बताते हैं कि इसका संबंध इससे नहीं है कि आप जिस उत्पाद को देख रहे हैं, उसे कितना पसंद या नापसंद करते हैं। कुल मिलाकर यह उत्पाद खरीदने की प्रक्त्रिस्या से जुड़ा है।

फैसलों पर बाहरी ताकतों का असर
कर्माकर ऑनलाइन खरीदारी के अपने अनुभव साझा करते हुए बताती हैं कि वह ‘बनानाग्राम्स’ जैसे गेम्स देख (ब्राउज) रही थीं। इस दौरान एक हैलोवीन पोशाक का डिस्प्ले पॉप अप (सामने आया) हुआ। यह बताता है कि मेरी सर्च हिस्ट्री को देखते हुए स्टोर ने अनुमान लगाया कि मेरा एक परिवार है, इसलिए मैं यह गेम खरीदूंगी। उन्हें यह भी पता था कि मैं एक नियमित ग्राहक हूं, जिसे हैलोवीन पोशाक खरीदने में दिलचस्पी है। खरीदने की इच्छा होने का बावजूद मैंने हैलोवीन पोशाक को कार्ट (सूची) में एड नहीं किया। वह बताती हैं, ‘बाहरी ताकतें हमारे फैसलों को इस तरह से आकार देती हैं कि हम उन्हें पहचान नहीं पाते हैं।’ ये कुछ हद तक हमारे खरीदारी के तरीकों को भी प्रभावित करते हैं।

विस्तार

महामारी के दौरान दुनियाभर में ऑनलाइन खरीदारी का चलन तेजी से बढ़ा है। इस दौरान लोगों के खरीदारी के तौर-तरीकों में बदलाव देखने को मिला है। खरीदार कई बार सोच के उलट भी उत्पाद खरीद लेते हैं। इसमें ऑनलाइन उत्पाद के डिस्प्ले की अहम भूमिका होती है। यह दावा न्यू यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो के शोध में किया गया है।

‘फ्रंटियर्स इन न्यूरोसाइंस’ पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि बेहतर डिस्प्ले उपभोक्ताओं के खरीदारी के तौर-तरीके बदलने की क्षमता रखते हैं। इसका मतलब है कि अगर किसी उत्पाद का डिस्प्ले बेहतर होगा तो खरीदार उसकी ओर ज्यादा आकर्षित होंगे न कि उस उत्पाद की ओर, जिसे खरीदने के लिए वे सोचकर आए थे। उदाहरण के लिए, अगर कोई उपभोक्ता बोर्ड गेम खरीदना चाहता है और उसके साथ उसी श्रेणी के कई अन्य गेम भी डिस्प्ले हो रहे हैं तो उत्पाद को खरीदने की संभावना बढ़ जाती है। इसके उलट बेमेल उत्पादों का डिस्प्ले खरीद संभावना को कम कर देता है। यह अध्ययन 18 से 40 साल के लोगों पर किया गया है।

आई ट्रैकिंग सेंसर तकनीक का इस्तेमाल

यह शोध यूनिवर्सिटी की स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड स्कूल ऑफ ग्लोबल पॉलिसी एंड स्ट्रैटजी की असिस्टेंट प्रोफेसर उमा आर कर्माकर ने किया है। वह बताती हैं कि इस शोध में एक प्रकार की सेंसर तकनीक ‘आई ट्रैकिंग’ का इस्तेमाल किया गया है। तकनीक यह जानने में मदद करती है कि कोई व्यक्ति कहां देख रहा है और विभिन्न प्रकार के डिस्प्ले उसका ध्यान कैसे प्रभावित करते हैं।

ज्यादा समय देखने पर भी नहीं बदलीं प्राथमिकताएं

अध्ययन के मुताबिक, उपभोक्ताओं ने अपने लक्षित उत्पाद को उसी समय तक देखा, जब तक इसे समान या विभिन्न श्रेणी के वस्तुओं के साथ रखा गया था। उन लोगों ने बेमेल उत्पादों को देखने में ज्यादा समय व्यतीत किया। कर्माकर बताती हैं, ‘आश्चर्य की बात यह है कि ज्यादा समय तक देखने के बाद भी उनकी प्राथमिकताओं में कोई बदलाव नहीं आया।’ निष्कर्ष बताते हैं कि इसका संबंध इससे नहीं है कि आप जिस उत्पाद को देख रहे हैं, उसे कितना पसंद या नापसंद करते हैं। कुल मिलाकर यह उत्पाद खरीदने की प्रक्त्रिस्या से जुड़ा है।

फैसलों पर बाहरी ताकतों का असर

कर्माकर ऑनलाइन खरीदारी के अपने अनुभव साझा करते हुए बताती हैं कि वह ‘बनानाग्राम्स’ जैसे गेम्स देख (ब्राउज) रही थीं। इस दौरान एक हैलोवीन पोशाक का डिस्प्ले पॉप अप (सामने आया) हुआ। यह बताता है कि मेरी सर्च हिस्ट्री को देखते हुए स्टोर ने अनुमान लगाया कि मेरा एक परिवार है, इसलिए मैं यह गेम खरीदूंगी। उन्हें यह भी पता था कि मैं एक नियमित ग्राहक हूं, जिसे हैलोवीन पोशाक खरीदने में दिलचस्पी है। खरीदने की इच्छा होने का बावजूद मैंने हैलोवीन पोशाक को कार्ट (सूची) में एड नहीं किया। वह बताती हैं, ‘बाहरी ताकतें हमारे फैसलों को इस तरह से आकार देती हैं कि हम उन्हें पहचान नहीं पाते हैं।’ ये कुछ हद तक हमारे खरीदारी के तरीकों को भी प्रभावित करते हैं।

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