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अध्ययन : दुनिया का पहला सुई रहित टीका 67 फीसदी असरदार, तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षण हुए सार्वजनिक

कोरोना वायरस से बचाव के लिए दुनिया का पहला सुई रहित टीका 67 फीसदी असरदार है। बीते वर्ष कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान इस टीका पर तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल देश के अलग अलग अस्पतालों में हुए थे जिसके परिणाम अब मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित हुए हैं। 

तीसरे चरण के परीक्षण में जायडस कैडिला फार्मा कंपनी का जायको-डी टीका 66.60 फीसदी असरदार है। यह परिणाम इसलिए भी अहम बताया जा रहा है क्योंकि दूसरी लहर के दौरान देश भर में कोरोना के डेल्टा वेरिएंट का आक्रामक रूप था जो न सिर्फ मरीज के श्वसन तंत्र पर हमला करता है बल्कि टीके से विकसित होने वाली एंटीबॉडी का स्तर भी तेजी से कम करने लगता है। 

27703 लोगों पर हुआ अध्ययन
बीते वर्ष 16 जनवरी से 23 जून के बीच देश में 27703 लोगों पर अध्ययन किया गया। 13851 लोगों को सुई रहित जायको-डी टीका की खुराक दी गई। वहीं 13852 को टीके जैसा ही दिखने वाला एक तरल पदार्थ (प्लेसबो) दिया गया। 

दोनों समूह से 81 लोगों के सैंपल अध्ययन को आगे बढ़ाए गए तो उसमें टीका का असर 66.6 फीसदी औसतन पाया गया। अध्ययन के दौरान दोनों समूह में शामिल एक-एक मरीज की मौत भी हुई है। हालांकि बताया गया है कि मौत के कारण टीकाकरण या कोरोना संक्रमण नहीं है। 

जल्द ही सामान्य लोगों के लिए होगा उपलब्ध
जायडस लाइफ साइंसेज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ शरविल पटेल ने कहा कि भारत सरकार के वैज्ञानिकों के सहयोग से हमने यह उपलब्धि हासिल की है। दरअसल तीन खुराक वाले इस टीके को बीते वर्ष ही देश में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। अभी टीकाकरण कार्यक्रम में यह टीका भी शामिल है, लेकिन अब तक इसकी एक भी खुराक नहीं दी गई है। 

देश में 14 हजार से कम हुए सक्रिय मरीज, 1335 नए संक्रमित
कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार गिरावट आ रही है। करीब सात माह बाद सक्रिय मरीजों की संख्या 14 हजार से कम दर्ज की गई है। वहीं एक दिन में 1335 नए संक्रमित मिले। इस दौरान 52 मरीजों की मौत भी हुई। 

शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में संक्रमित मरीजों की संख्या 4,30,25,775 हो गई है और कुल 5,21,181 मरीजों की मौत हो चुकी है। बीते एक दिन में कोरोना से 1,918 कोरोना संक्रमित मरीज ठीक हुए हैं। अब तक 4,24,90,922 मरीज ठीक हो चुके हैं।  सक्रिय मामलों की संख्या 13,672 है। 

एमआरएनए प्रौद्योगिकी में भारत का बढ़ा दायरा, साथ काम करेगा डब्ल्यूएचओ
एमआरएनए प्रौद्योगिकी को लेकर भारत का दायरा काफी तेजी से बढ़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की उत्पाद विकास टीका सलाहकार समिति (पीडीवीएसी) ने निर्णय लिया है कि भारत की बायोलॉजिकल ई फार्मा कंपनी के साथ मिलकर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केंद्र पर काम करेगा। 

इसके लिए फार्मा कंपनी का चयन भी कर लिया है। जानकारी के अनुसार बायोलॉजिकल ई फार्मा कंपनी ने ही भारतीय वैज्ञानिकों के सहयोग से कोर्बेवैक्स टीका की खोज की है जो देश का पहला एमआरएनए आधारित टीका है। वर्तमान में 12 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को इस टीका की दोनों खुराकें दी जा रही हैं। 

डब्ल्यूएचओ से जानकारी मिली है कि आगामी दिनों में भारत सरकार व फार्मा कंपनी एक रोडमैप विकसित करेंगे। साथ ही आवश्यक प्रशिक्षण और समर्थन देने के लिए भी काम करेंगे ताकि कंपनी जल्द से जल्द एमआरएनए टीका का उत्पादन बड़े स्तर पर शुरू कर सके। 

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