Desh

Year Ender 2021: बंगाल में दीदी की हैट्रिक से त्रिपुरा में बीजेपी के क्लीन स्वीप तक, कई मुख्यमंत्री भूलना चाहेंगे यह साल

सार

पिछले साल की तरह यह साल भी कोरोना वायरस महामारी के साए में ही गुजरा लेकिन देश की राजनीति में गर्माहट लगातार बनी रही। पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने विशाल जीत दर्ज करते हुए केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को तगड़ा झटका दिया और लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री पद संभाला। वहीं, कर्नाटक, गुजरात और उत्तराखंड में फेरबदल ने भी खूब सियासी शोर मचाया। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

ख़बर सुनें

पश्चिम बंगाल में इस साल हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने विशाल जीत दर्ज की और ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। राज्य में जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया था लेकिन दीदी के जादू के आगे सब फेल रहा। चुनाव में टीएमसी ने 213 सीटों पर जीत हासिल की थी वहीं भाजपा केवल 77 सीटों पर सिमट गई थी। इस चुनाव के बाद ममता बनर्जी ने देश की राजनीति के हाशिये पर पहुंच चुकी कांग्रेस के स्थान पर खुद को विपक्ष का विकल्प बताने की शुरुआत भी की। बनर्जी अब गोवा में भी चुनौती देने की तैयारी में हैं साथ ही 2024 में होने वाले आम चुनाव में भी वह भाजपा को तगड़ा झटका देने की तैयारियां कर रही हैं। 

त्रिपुरा निकाय चुनाव में भाजपा ने किया क्लीन स्वीप
त्रिपुरा निकाय चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया और 334 में से 329 सीटों पर जीत हासिल की। इनमें से 112 सीटों पर उसे निर्विरोध विजय मिली। वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को तीन सीटें मिलीं तो टीएमसी और टीआईपीआए के खाते में एक-एक सीट ही आई। बंगाल में भारी बहुमत हासिल पाने बाद तृणमूल कांग्रेस ने त्रिपुरा के निकाय चुनाव में भी जोर लगाया था। पार्टी के महासचिव और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने राज्य के एक के बाद एक तीन दौरे किए थे। टीएमसी ने अगरतला नगर निगम की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। लेकिन, उसे यहां एक भी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई थी। पार्टी को अंबासा नगर पालिका की एक सीट पर जीत मिल पाई थी।

कर्नाटक: येदियुरप्पा का इस्तीफा, बोम्मई बने सीएम
कर्नाटक में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने इस साल जुलाई में नेतृत्व परिवर्तन किया था। बीएस येदियुरप्पा के स्थान पर बसवराज बोम्मई को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। एक खास बात यह रही कि बोम्मई की नियुक्ति के साथ कर्नाटक में तीन साल के अंदर मुख्यमंत्री पद में चौथी बार परिवर्तन किया गया। इससे पहले मई 2018 में येदियुरप्पा छह दिन मुख्यमंत्री रहे थे। इसके बाद एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने थे जिन्होंने मई 2018 से जुलाई 2019 तक यह पद संभाला। इसके बाद जुलाई 2021 तक येदियुरप्पा फिर मुख्यमंत्री बने। उनके बाद यह जिम्मेदारी बसवराज बोम्मई को दी गई। येदियुरप्पा के इस्तीफे को लेकर कहा गया कि स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने यह कदम उठाया था। 

गुजरात में फेरबदल: रुपाणी की पूरी टीम बाहर हुई
इस साल सितंबर में गुजरात सरकार में फेरबदल किया गया। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के हटाकर भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया था। इसके साथ ही पूरे मंत्रिमंडल को भी बदल दिया गया था। सियासी जानकारों के अनुसार गुजरात लंबे समय से भाजपा का गढ़ रहा है और रुपाणी सरकार के दौरान कोरोना वायरस महामारी के कुप्रबंधन और अन्य मुद्दों के चलते भाजपा को वहां अपनी पकड़ में कुछ कमजोरी महसूस हो रही थी। इसी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने गुजरात में बड़े नेतृत्व परिवर्तन का फैसला लिया था। इसके अलावा इस फैसले के पीछे विजय रुपाणी की टीम का खराब प्रदर्शन और राज्य सरकार के प्रति जनता की नाराजगी भी बड़ी वजह रही थी।

उत्तराखंड ने एक साल में देख लिए तीन मुख्यमंत्री
उत्तराखंड की राजनीति के लिए भी यह साल काफी उथल-पुथल भरा रहा। भाजपा ने दो बार मुख्यमंत्री बदला यानी प्रदेश की जनता ने एक ही साल में मुख्यमंत्री के पद पर तीन चेहरे देख लिए। दूसरी ओर विपक्षी कांग्रेस ने भी विधायक दल और प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी नए चेहरों को थमाई। भाजपा ने पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाते हुए तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन तीरथ सिंह रावत की मुख्यमंत्री के तौर पर शुरुआत ही सही नहीं रही और कई विवादित बयानों के चलते कुछ समय बाद ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद भगवा दल ने ऊधमसिंह नगर जिले की खटीमा विधानसभा सीट से दूसरी बार विधायक बने पुष्कर सिंह थामी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया।  

मेघालय: कांग्रेस के 12 विधायकों ने छोड़ दी थी पार्टी
चंद राज्यों को छोड़कर पूरे देश के राजनीतिक परिदृश्य में संकट का सामना कर रही कांग्रेस को इस साल मेघालय में तगड़ा झटका लगा। नवंबर में पार्टी के 18 विधायकों में से 12 ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस को अलविदा कहने वाले इन विधायकों में पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा भी शामिल थे। मेघालय की 60 विधानसभा सीटों में 40 भाजपा के समर्थन वाले एनडीए के पास हैं। कांग्रेस के पास 18 सीटें थीं लेकिन 12 विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद केवल छह विधायक ही रह गए। एडीआर की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 से 2020 के बीच कांग्रेस पार्टी के कुल 170 विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ते हुए दूसरे दलों का हाथ थामा है।

विस्तार

पश्चिम बंगाल में इस साल हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने विशाल जीत दर्ज की और ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। राज्य में जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया था लेकिन दीदी के जादू के आगे सब फेल रहा। चुनाव में टीएमसी ने 213 सीटों पर जीत हासिल की थी वहीं भाजपा केवल 77 सीटों पर सिमट गई थी। इस चुनाव के बाद ममता बनर्जी ने देश की राजनीति के हाशिये पर पहुंच चुकी कांग्रेस के स्थान पर खुद को विपक्ष का विकल्प बताने की शुरुआत भी की। बनर्जी अब गोवा में भी चुनौती देने की तैयारी में हैं साथ ही 2024 में होने वाले आम चुनाव में भी वह भाजपा को तगड़ा झटका देने की तैयारियां कर रही हैं। 

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: