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World AIDS Day: एड्स के बारे में खुलकर बातें करती हैं ये फिल्में, अबतक नहीं देखी तो जरूर देखिए

एड्स जागरूकता पर बनी फिल्में

ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के मरीज आज भी दुनिया भर में देखने को मिलते हैं। एचआईवी मरीजों की पीड़ा को समझ पाना सबके बस की बात तो नहीं है, लेकिन इस बीमारी के बारे में सही जानकारी रखने और लोगों को जागरूक करने का काम हम जरूर कर सकते हैं। एचआईवी मरीजों के लिए लोगों के मन में संवेदना भले ही दिखती हो लेकिन उन्हें छूआछूत की नजरों से देखने वालों की अब भी कमी नहीं है। इसका कारण है लोगों के मन में इसके प्रति जागरूकता न होना। यही कारण है कि हम आज भी 1 दिसंबर के दिन विश्व भर में एड्स दिवस मनाते हैं और इस बीमारी के बारे में सही जानकारियां साझा कर जागरूकता लाने की कोशिश करते हैं। इसके लिए कई माध्यमों का प्रयोग किया जाता है। बॉलीवुड ने भी इस गंभीर विषय पर अपनी ओर से यथा संभव योगदान देने का प्रयास किया है। आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में जो एड्स जागरूकता पर आधारित हैं। इन फिल्मों को अगर आपने नहीं देखा है तो जरूर देखना चाहिए साथ ही अन्य लोगों को भी इन्हें देखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए- 

एड्स जागो

एड्स जागो

साल 2007 में आई ‘एड्स जागो’ (AIDS Jaago) फिल्म में चार शॉर्ट फिल्में शामिल हैं। इसमें जाने माने निर्देशक विशाल भारद्वाज, मीरा नायर, फरहान अख्तर और संतोष द्वारा निर्देशित शॉर्ट फिल्में ‘माइग्रेशन’, ‘ब्लड ब्रदर्स’, ‘पॉजिटिव’ और ‘प्रारंभ’ को शामिल किया गया है। इन शॉर्ट फिल्मों में शिने अहुजा, इरफान खान, समीरा रेड्डी, रायमा सेन, आयशा टाकिया और पंकज कपूर जैसे कलाकारों ने काम किया है।

फिर मिलेंगे

फिर मिलेंगे

एड्स के बारे में बात करने पर हमारे दिमाग में अगर किसी फिल्म का पहला नाम आएगा तो वो साल 2004 में आई ‘फिर मिलेंगे’ होगी। इसमें सलमान खान, शिल्पा शेट्टी और अभिषेक बच्चन ने काम किया है। फिल्म के माध्यम से एड्स को लेकर बनाई गई गलत मानसिकता के बारे में बात की गई है।

माय ब्रदर निखिल

माय ब्रदर निखिल

2005 में आई इस फिल्म का निर्देशन ओनिर ने किया है। इसमें संजय सुरी और जूही चावला मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म ‘माय ब्रदर निखिल’ में भारतीय सिनेमा के इतिहास में समलैंगिकता और एड्स को दर्शाया गया है।

68 पेजेस

इस फिल्म का निर्देशन श्रीधर रंगायन ने किया है। 2007 में आई इस फिल्म में पिछड़े समुदाय के उन लोगों की हालत दिखाई गई है जिन्हें एचआईवी होने के कारण घिनौनी नजरों से देखा जाता था।

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