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Ukraine Russia Conflict: पश्चिम में आशंकाएं गहराईं, रूस ने किया रुख सख्त, जानें मामले से जुडे अपडेट

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, मॉस्को
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Fri, 18 Feb 2022 05:40 PM IST

सार

रूस ने दो टूक मांग की है कि हाल में अमेरिका और नाटो के सदस्य देशों ने यूक्रेन को जो हथियार भेजे हैं, उन्हें वे तुरंत वापस लें।

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यूक्रेन विवाद पर जल्द तनाव खत्म होने की संभावना को तगड़ी चोट पहुंची है। एक तरफ पश्चिमी देशों में ये चर्चा फिर तेज हो गई है कि रूस जल्द ही यूक्रेन पर हमला करने वाला है, दूसरी तरफ रूस ने भी अपना रुख सख्त कर लिया है। रूस ने दो टूक कहा है कि अगर अमेरिका उसकी सुरक्षा संबंधी मांगों पर राजी नहीं हुआ, तो वह सैनिक और तकनीकी माध्यमों से जवाब देने के लिए मजबूर हो जाएगा।

विश्लेषकों के मुताबिक, रूस ने अब इस मामले में एक नई मांग जोड़ दी है। ये मांग उसने उस दस्तावेज में रखी है, जो उसने अमेरिका और नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) की तरफ से उसे भेजे गए उत्तर के जवाब में भेजा है। गौरतलब है कि बीते दिसंबर में रूस ने अपनी सुरक्षा चिंताओं को बताते हुए अमेरिका और नाटो को एक लंबा पत्र भेजा था। बाद में अमेरिका और नाटो ने उसका जवाब दिया। अब रूस ने उस पर अपनी प्रतिक्रिया भेजी है।

नए दस्तावेज में रूस ने दो टूक मांग की है कि हाल में अमेरिका और नाटो के सदस्य देशों ने यूक्रेन को जो हथियार भेजे हैं, उन्हें वे तुरंत वापस लें। रूसी विदेश मंत्रालय की तरफ से भेजे गए दस्तावेज में कहा गया है कि रूस की सेनाएं यूक्रेन की जमीन पर नहीं हैं। वे रूस की अपनी भूमि पर तैनात हैं, जो अमरिका के बुनियादी हितों के नजरिए से चिंता का पहलू नहीं हो सकतीं।

अमेरिका ने रूस पर आरोप लगाया है कि उसने यूक्रेन से लगी अपनी सीमा पर तकरीबन सवा लाख फौजी तैनात कर रखे हैं और वह अब किसी भी पल यूक्रेन पर हमला कर सकता है। ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने भी अपना जायजा सार्वजनिक किया है, जिसमें कहा गया है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला करने का पक्का फैसला कर लिया है।

इसी बीच रूस के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी अधिकारियों को अपना 11 पेज का नया दस्तावेज सौंपा है। उसमें आरोप लगाया गया है कि रूस की सुरक्षा संबंधी चिंताओं पर बात करने के लिए अमेरिका राजी नहीं है। रूस ने फिर से ये कानूनी गारंटी देने की मांग दोहराई है कि यूक्रेन को कभी भी नाटो का सदस्य नहीं बनाया जाएगा।

पश्चिमी देशों ने हाल में यूक्रेन को हाई-टेक सैन्य उपकरण दिए हैं। रूसी खेमे का आरोप है कि यूक्रेन इन उपकरणों का इस्तेमाल अपने दोनबास इलाके में रूसी बहुल आबादी के खिलाफ कर सकता है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगर दोनबास में अशांति भड़की तो उससे रूस को वहां दखल देने का बहाना मिल जाएगा। इस पर सचमुच युद्ध भड़क सकता है।

रूस ने अपने ताजा दस्तावेज में दलील दी है कि मौजूदा समस्या का हल सिर्फ मिन्स्क समझौते के तहत ही निकल सकता है। इस समझौते में रूसी बहुल दोनेत्स्क और लुगान्स्क इलाकों को विशेष दर्जा देने का प्रावधान है। यूक्रेन 2014 और 2015 में बेलारुस की राजधानी मिन्स्क में हुए दो समझौतों पर राजी हुआ था। रूस का आरोप है कि उसने इस समझौते में किए गए वायदे को नहीं निभाया है। यही मौजूदा तनाव का बुनियादी कारण है। 

विस्तार

यूक्रेन विवाद पर जल्द तनाव खत्म होने की संभावना को तगड़ी चोट पहुंची है। एक तरफ पश्चिमी देशों में ये चर्चा फिर तेज हो गई है कि रूस जल्द ही यूक्रेन पर हमला करने वाला है, दूसरी तरफ रूस ने भी अपना रुख सख्त कर लिया है। रूस ने दो टूक कहा है कि अगर अमेरिका उसकी सुरक्षा संबंधी मांगों पर राजी नहीं हुआ, तो वह सैनिक और तकनीकी माध्यमों से जवाब देने के लिए मजबूर हो जाएगा।

विश्लेषकों के मुताबिक, रूस ने अब इस मामले में एक नई मांग जोड़ दी है। ये मांग उसने उस दस्तावेज में रखी है, जो उसने अमेरिका और नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) की तरफ से उसे भेजे गए उत्तर के जवाब में भेजा है। गौरतलब है कि बीते दिसंबर में रूस ने अपनी सुरक्षा चिंताओं को बताते हुए अमेरिका और नाटो को एक लंबा पत्र भेजा था। बाद में अमेरिका और नाटो ने उसका जवाब दिया। अब रूस ने उस पर अपनी प्रतिक्रिया भेजी है।

नए दस्तावेज में रूस ने दो टूक मांग की है कि हाल में अमेरिका और नाटो के सदस्य देशों ने यूक्रेन को जो हथियार भेजे हैं, उन्हें वे तुरंत वापस लें। रूसी विदेश मंत्रालय की तरफ से भेजे गए दस्तावेज में कहा गया है कि रूस की सेनाएं यूक्रेन की जमीन पर नहीं हैं। वे रूस की अपनी भूमि पर तैनात हैं, जो अमरिका के बुनियादी हितों के नजरिए से चिंता का पहलू नहीं हो सकतीं।

अमेरिका ने रूस पर आरोप लगाया है कि उसने यूक्रेन से लगी अपनी सीमा पर तकरीबन सवा लाख फौजी तैनात कर रखे हैं और वह अब किसी भी पल यूक्रेन पर हमला कर सकता है। ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने भी अपना जायजा सार्वजनिक किया है, जिसमें कहा गया है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला करने का पक्का फैसला कर लिया है।

इसी बीच रूस के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी अधिकारियों को अपना 11 पेज का नया दस्तावेज सौंपा है। उसमें आरोप लगाया गया है कि रूस की सुरक्षा संबंधी चिंताओं पर बात करने के लिए अमेरिका राजी नहीं है। रूस ने फिर से ये कानूनी गारंटी देने की मांग दोहराई है कि यूक्रेन को कभी भी नाटो का सदस्य नहीं बनाया जाएगा।

पश्चिमी देशों ने हाल में यूक्रेन को हाई-टेक सैन्य उपकरण दिए हैं। रूसी खेमे का आरोप है कि यूक्रेन इन उपकरणों का इस्तेमाल अपने दोनबास इलाके में रूसी बहुल आबादी के खिलाफ कर सकता है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगर दोनबास में अशांति भड़की तो उससे रूस को वहां दखल देने का बहाना मिल जाएगा। इस पर सचमुच युद्ध भड़क सकता है।

रूस ने अपने ताजा दस्तावेज में दलील दी है कि मौजूदा समस्या का हल सिर्फ मिन्स्क समझौते के तहत ही निकल सकता है। इस समझौते में रूसी बहुल दोनेत्स्क और लुगान्स्क इलाकों को विशेष दर्जा देने का प्रावधान है। यूक्रेन 2014 और 2015 में बेलारुस की राजधानी मिन्स्क में हुए दो समझौतों पर राजी हुआ था। रूस का आरोप है कि उसने इस समझौते में किए गए वायदे को नहीं निभाया है। यही मौजूदा तनाव का बुनियादी कारण है। 

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