न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Thu, 20 Jan 2022 07:44 PM IST
सार
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करने का आदेश 29 नवंबर 2021 को पारित किया गया था और दो महीने से सुफियान गिरफ्तारी से बचते रहे हैं। मेहता ने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर अपराध है और वह व्यक्ति काफी प्रभावशाली है।
सुप्रीम कोर्ट (फाइल)
– फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली सुफियान की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए बयान दाखिल करने का निर्देश भी दिया।
विशेष अनुमति याचिका पर निर्धारित तारीख को सुनवाई का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के वकीलों को सुनवाई की अगली तारीख से पहले अतिरिक्त दस्तावेज (यदि कोई हो) दाखिल करने की अनुमति है। मामला 31 जनवरी 2022 के लिए सूचीबद्ध है। इस बीच याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करने का आदेश 29 नवंबर 2021 को पारित किया गया था और दो महीने से सुफियान गिरफ्तारी से बचते रहे हैं। मेहता ने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर अपराध है और वह व्यक्ति काफी प्रभावशाली है।
वहीं, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि पूरक आरोपपत्र दाखिल किया गया है, जिसमें फिर से याचिकाकर्ता का नाम नहीं लिया गया है। हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई भाजपा कार्यकर्ता देवव्रत मैती की मौत के मामले जांच कर रही है, जिनपर नंदीग्राम में कथित रूप से हमला किया गया था। कोर्ट ने सीबीआई को राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों की जांच करने का निर्देश दिया था।
