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RBI: गवर्नर दास बोले- यूपीआई से पांच लाख तक निवेश, बिना इंटरनेट डिजिटल भुगतान और कार्ड से लेनदेन पर भी घटेगा शुल्क

RBI: गवर्नर दास बोले- यूपीआई से पांच लाख तक निवेश, बिना इंटरनेट डिजिटल भुगतान और कार्ड से लेनदेन पर भी घटेगा शुल्क

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Wed, 08 Dec 2021 10:10 PM IST

सार

डिजिटल करेंसी की संभावनाओं पर गवर्नर ने कहा कि हम केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) लाने पर काम कर रहे हैं, लेकिन साइबर सुरक्षा व धोखाधड़ी इसके लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास
– फोटो : PTI

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अर्थव्यवस्था में जारी सुधार को सहारा देने के लिए रिजर्व बैंक ने कर्ज सस्ता रखने के साथ डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई है। गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में बुधवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नरम रुख बनाए रखा और डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर जोर दिया। इसके लिए यूपीआई के जरिये निवेश की सीमा बढ़ाने, बिना इंटरनेट डिजिटल भुगतान सुविधा देने और कार्ड व अन्य माध्यम से लेनदेन पर शुल्क घटाने का फैसला किया गया।

गवर्नर दास ने कहा कि रिटेल डाइरेक्ट स्कीम के जरिये सरकारी प्रतिभूतियों या आईपीओ में यूपीआई से निवेश की सीमा बढ़ा दी गई है। निवेशक अब पांच लाख रुपये तक यूपीआई के जरिये लगा सकेंगे। अभी यह सीमा दो लाख रुपये है। इस बाबत एनपीसीआई जल्द नोटिफिकेशन जारी करेगा। ट्राई के मुताबिक, देश में करीब 40 करोड़ उपभोक्ता अभी फीचर फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके लिए यूपीआई आधारित भुगतान उत्पाद लॉन्च किया जाएगा, ताकि बिना इंटरनेट के भी डिजिटल लेनदेन हो सके। बैठक में क्रेडिट-डेबिट कार्ड, वॉलेट और यूपीआई से लेनदेन पर लगने वाले शुल्क को घटाने या खत्म करने पर भी चर्चा हुई। दास ने कहा कि हम ग्राहकों पर इसका बोझ घटाने और डिजिटल लेनदेन को और सरल बनाने के लिए जल्द सभी हितधारकों से सुझाव मांगेंगे, जिसके आधार पर शुल्क में बदलाव किया जाएगा।

बैंकों को विदेशी शाखाओं में निवेश की छूट
आरबीआई ने बैंकों को विदेश में स्थित उनकी शाखाओं में बिना पूर्व अनुमति के निवेश की छूट दे दी है। एमपीसी बैठक के बाद गवर्नर ने बताया कि बैंक न सिर्फ पूंजी लगा सकेंगे, बल्कि विदेशी शाखाओं से हुए मुनाफे को वापस भारत लाने की भी छूट रहेगी। अभी इसके लिए रिजर्व बैंक से पहले ही अनुमति लेनी पड़ती है। विदेशी बैंकिंग नियमों के साथ तालमेल बैठाने और बैंकों को देश के बाहर कारोबार विस्तार के मौके देने के लिए नियमों में बदलाव किया गया है। 
आरबीआई ने वैरिएबल रेट रिवर्स रेपो (वीआरआरआर) के जरिये बैंकिंग सिस्टम में मौजूद अतिरिक्त नकदी वापस लेने की योजना बनाई है। इसके तहत 17 दिसंबर तक 6.5 लाख करोड़ और 31 दिसंबर तक 7.5 लाख करोड़ की कुल नकदी वापस ली जाएगी। वीआरआरआर के तहत बैंक अपनी अतिरिक्त राशि आरबीआई के पास जमा करेंगे, जिस पर उन्हें ब्याज मिलेगा। बैंकिंग सिस्टम में अभी रिकॉर्ड 9.2 लाख करोड़ की अतिरिक्त नकदी मौजूद है।

साइबर सुरक्षा व धोखाधड़ी डिजिटल करेंसी के लिए चुनौती
डिजिटल करेंसी की संभावनाओं पर गवर्नर ने कहा कि हम केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) लाने पर काम कर रहे हैं, लेकिन साइबर सुरक्षा व धोखाधड़ी इसके लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने कहा कि दो तरह की सीबीडीसी होती हैं। एक थोक और दूसरी खुदरा। हम इस पर पहले ही काफी काम कर चुके हैं, लेकिन आगे की प्रक्रिया जटिल है जिसमें समय लग सकता है। गवर्नर दास ने भी पहले दिसंबर, 2021 के अंत तक सीबीडीसी पेश करने का भरोसा दिया था, लेकिन अब साइबर सुरक्षा और धोखाधड़ी को चुनौती बताया है। उन्होंने कहा कि हम हर कदम सावधानी से उठा रहे हैं, ताकि उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित किया जा सके।

पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कटौती से घटेगी महंगाई
मौद्रिक समीक्षा में महंगाई को अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा जोखिम बताया है। गवर्नर दास ने कहा, मार्च तक फिलहाल खुदरा महंगाई से राहत की उम्मीद नहीं है। पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कटौती का लाभ अगले वित्तवर्ष से दिखना शुरू होगा। 2021-22 में खुदरा महंगाई 5.3 फीसदी बनी रहेगी, लेकिन अप्रैल के बाद यह 5 फीसदी से नीचे आ सकती है। दिसंबर की तीसरी तिमाही में खुदरा महंगाई 5.1 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.7 फीसदी रहने का अनुमान है। हालांकि, फसलों की बंपर पैदावार से खाद्य महंगाई पर दबाव घटेगा और अगले वित्तवर्ष से राहत मिलेगी। सबसे ज्यादा संकट स्टील, सीमेंट, बिजली जैसे बुनियादी उत्पादों की महंगाई दर को लेकर है।

विस्तार

अर्थव्यवस्था में जारी सुधार को सहारा देने के लिए रिजर्व बैंक ने कर्ज सस्ता रखने के साथ डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई है। गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में बुधवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नरम रुख बनाए रखा और डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर जोर दिया। इसके लिए यूपीआई के जरिये निवेश की सीमा बढ़ाने, बिना इंटरनेट डिजिटल भुगतान सुविधा देने और कार्ड व अन्य माध्यम से लेनदेन पर शुल्क घटाने का फैसला किया गया।

गवर्नर दास ने कहा कि रिटेल डाइरेक्ट स्कीम के जरिये सरकारी प्रतिभूतियों या आईपीओ में यूपीआई से निवेश की सीमा बढ़ा दी गई है। निवेशक अब पांच लाख रुपये तक यूपीआई के जरिये लगा सकेंगे। अभी यह सीमा दो लाख रुपये है। इस बाबत एनपीसीआई जल्द नोटिफिकेशन जारी करेगा। ट्राई के मुताबिक, देश में करीब 40 करोड़ उपभोक्ता अभी फीचर फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके लिए यूपीआई आधारित भुगतान उत्पाद लॉन्च किया जाएगा, ताकि बिना इंटरनेट के भी डिजिटल लेनदेन हो सके। बैठक में क्रेडिट-डेबिट कार्ड, वॉलेट और यूपीआई से लेनदेन पर लगने वाले शुल्क को घटाने या खत्म करने पर भी चर्चा हुई। दास ने कहा कि हम ग्राहकों पर इसका बोझ घटाने और डिजिटल लेनदेन को और सरल बनाने के लिए जल्द सभी हितधारकों से सुझाव मांगेंगे, जिसके आधार पर शुल्क में बदलाव किया जाएगा।

बैंकों को विदेशी शाखाओं में निवेश की छूट

आरबीआई ने बैंकों को विदेश में स्थित उनकी शाखाओं में बिना पूर्व अनुमति के निवेश की छूट दे दी है। एमपीसी बैठक के बाद गवर्नर ने बताया कि बैंक न सिर्फ पूंजी लगा सकेंगे, बल्कि विदेशी शाखाओं से हुए मुनाफे को वापस भारत लाने की भी छूट रहेगी। अभी इसके लिए रिजर्व बैंक से पहले ही अनुमति लेनी पड़ती है। विदेशी बैंकिंग नियमों के साथ तालमेल बैठाने और बैंकों को देश के बाहर कारोबार विस्तार के मौके देने के लिए नियमों में बदलाव किया गया है। 

आरबीआई ने वैरिएबल रेट रिवर्स रेपो (वीआरआरआर) के जरिये बैंकिंग सिस्टम में मौजूद अतिरिक्त नकदी वापस लेने की योजना बनाई है। इसके तहत 17 दिसंबर तक 6.5 लाख करोड़ और 31 दिसंबर तक 7.5 लाख करोड़ की कुल नकदी वापस ली जाएगी। वीआरआरआर के तहत बैंक अपनी अतिरिक्त राशि आरबीआई के पास जमा करेंगे, जिस पर उन्हें ब्याज मिलेगा। बैंकिंग सिस्टम में अभी रिकॉर्ड 9.2 लाख करोड़ की अतिरिक्त नकदी मौजूद है।

साइबर सुरक्षा व धोखाधड़ी डिजिटल करेंसी के लिए चुनौती

डिजिटल करेंसी की संभावनाओं पर गवर्नर ने कहा कि हम केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) लाने पर काम कर रहे हैं, लेकिन साइबर सुरक्षा व धोखाधड़ी इसके लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने कहा कि दो तरह की सीबीडीसी होती हैं। एक थोक और दूसरी खुदरा। हम इस पर पहले ही काफी काम कर चुके हैं, लेकिन आगे की प्रक्रिया जटिल है जिसमें समय लग सकता है। गवर्नर दास ने भी पहले दिसंबर, 2021 के अंत तक सीबीडीसी पेश करने का भरोसा दिया था, लेकिन अब साइबर सुरक्षा और धोखाधड़ी को चुनौती बताया है। उन्होंने कहा कि हम हर कदम सावधानी से उठा रहे हैं, ताकि उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित किया जा सके।

पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कटौती से घटेगी महंगाई

मौद्रिक समीक्षा में महंगाई को अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा जोखिम बताया है। गवर्नर दास ने कहा, मार्च तक फिलहाल खुदरा महंगाई से राहत की उम्मीद नहीं है। पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कटौती का लाभ अगले वित्तवर्ष से दिखना शुरू होगा। 2021-22 में खुदरा महंगाई 5.3 फीसदी बनी रहेगी, लेकिन अप्रैल के बाद यह 5 फीसदी से नीचे आ सकती है। दिसंबर की तीसरी तिमाही में खुदरा महंगाई 5.1 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.7 फीसदी रहने का अनुमान है। हालांकि, फसलों की बंपर पैदावार से खाद्य महंगाई पर दबाव घटेगा और अगले वित्तवर्ष से राहत मिलेगी। सबसे ज्यादा संकट स्टील, सीमेंट, बिजली जैसे बुनियादी उत्पादों की महंगाई दर को लेकर है।

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