केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, पीएम का काफिला रोकने के पीछे षडयंत्र का पता चल रहा है। लोकल इंटेलिजेंस एकत्रित करने वाली एजेंसियां फेल रही हैं। पीएम की सुरक्षा को जानबूझकर भंग किया गया है। पंजाब पुलिस ने पीएम का काफिला चलने से पहले रूट क्लीयरेंस दी थी। पुलिस की तरफ से कहा गया, कहीं कोई गतिरोध नहीं है। बतौर मीनाक्षी लेखी, ऐसा आश्वासन एसपीजी को दिया गया था। क्या जानबूझकर झूठ बोला गया। जब पुलिस जानती थी कि रास्ता बंद किया गया है, तो वह जानकारी उसी वक्त पीएम के विशेष सुरक्षा दस्ते को क्यों नहीं दी गई। बीस मिनट तक पीएम की गाड़ियां बीच सड़क पर थमी रहीं। सुरक्षा कर्मियों ने पंजाब सरकार से संपर्क करने का प्रयास किया, सीएम कार्यालय से किसी ने फोन नहीं उठाया। डीजीपी ने झूठा आश्वासन दिया था कि रोड क्लीयर है।
एसपीजी के पूर्व अधिकारी बताते हैं, जब लोकल पुलिस से पीएम के काफिले को लेकर रोड क्लीयरेंस के बारे में पूछा जाता है तो वह सूचना कई लोगों के बीच साझा होती है। इसमें मुख्य सचिव, डीजीपी और सीएमओ कार्यालय शामिल होते हैं। आईबी के पास इस तरह की जानकारी रहती है। यदि पीएम के कार्यक्रम वाले इलाके में पहले से कोई गतिरोध या आंदोलन चल रहा है, तो आईबी अलग से अपनी रिपोर्ट एकत्रित करती है। वह रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय, एसपीजी और राज्य पुलिस के साथ साझा करते हैं। अमूमन पीएम के कार्यक्रम को लेकर राज्य पुलिस किसी तरह की लापरवाही बरते, इसकी संभावना बहुत कम होती है। प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी इस तरह की लापरवाही का मतलब समझते हैं। यहां आईबी की भूमिका देखने वाली है। जब किसानों ने कई दिन पहले से ही पीएम की रैली को लेकर चेतावनी दे रखी थी, तो केंद्रीय एजेंसियां पल-पल की जानकारी जुटाती हैं। जिस रूट से पीएम को गुजरना होता है, वहां पर कहां और किस जगह पर विरोध हो सकता है, ये सब पीएम के लिए एडवांस सुरक्षा सर्वे में देखा जाता है। वह सर्वे रिपोर्ट राज्य पुलिस के साथ शेयर करते हैं। अगर यह रिपोर्ट साझा नहीं होती तो सुरक्षा चूक हो सकती है।
पूर्व अधिकारी के मुताबिक, पीएम के रूट पर हर पचास मीटर पर एक पुलिस कर्मी तैनात रहता है। जहां पर पीएम का रूट बाधित होने की बात कही जा रही है वह सघन आबादी वाला क्षेत्र नहीं था। अगर वहां पर एकाएक किसान आए होते तो वह संदेश सुरक्षा एजेंसियों के बीच में शेयर होते। हालांकि वहां पर पहले से ही किसान जमे हुए थे, ऐसा बताया जा रहा है। जिस तरह से किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रतिनिधि कह रहे हैं कि उन्होंने पहले से ही फिरोजपुर के सारे रास्ते बंद कर रखे हैं, तो लोकल पुलिस को एसपीजी व पीएमओ को यह बात बतानी चाहिए थी। ये सब जांच का विषय है। हालांकि ये सब जानकारी केंद्रीय एजेंसियों के पास होती हैं। कई बार यह होता है कि केंद्रीय एजेंसियां पीएम के लिए तय हेलीकॉप्टर रूट को राज्य पुलिस के साथ साझा नहीं करती। अगर ऐसा होता है तो सुरक्षा मामले में बड़ी चूक होने की गुंजाइश बनी रहती है।
दूसरी ओर, सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा, उनके पास केंद्रीय गृह मंत्री का एक दिन पहले फोन आया था कि पीएम की रैली के स्थल के निकट से किसानों को उठाया जाए। केंद्रीय एजेंसियां पांच दिन से इलाके में डेरा डाले हुए थीं। बीती रात दो तीन बजे तक हम लोग रास्ता खाली कराने के लिए लगे रहे। रात को किसानों को यह भरोसा देकर कि उनकी बात पीएम से कराई जाएगी, रास्ता खाली कराने का प्रयास किया। इसके बाद आईबी निदेशक को यह बताने के लिए फोन किया कि हालात ठीक हैं। रात को फोन नहीं उठा। सुबह आईबी निदेशक का फोन आया कि सब कुछ ठीक हो गया है। राज्य सरकार के पास पीएमओ से जो कार्यक्रम आया, उसमें राज्य सरकार का हस्तक्षेप नहीं था। बैठने से लेकर और रूट तक, ये सभी योजना केंद्रीय एजेंसियों ने तैयार की थी। पंजाब सरकार को कहा गया कि पीएम हेलीकॉप्टर के जरिए कार्यक्रम में पहुंचेंगे। इसके बाद भी सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है। ये पूरी तरह गलत है।