कहा जाता है जब किसी को बहुत इज्जत शोहरत मिलती है तब लोग मगरूर हो जाते हैं, जमीन पर उनके पांव नहीं टिकते। लेकिन आज हम जिसकी बात करने जा रहे हैं उसे ऊपरवाले ने सब कुछ दिया बावजूद इसके वे हमेशा डाउन टू अर्थ रहीं। वो थीं अपने जमाने की मशहूर अदाकारा निम्मी। निम्मी का जन्म 18 फरवरी 1933 को आगरा में हुआ था। उनका असली नाम नवाब बानो था। उनकी मां वहीदान मशहूर गायिका और अभिनेत्री थीं। निम्मी के पिता मिलिट्री में कॉन्ट्रेक्टर थे। निम्मी जब 9 साल की थीं तब ही उनकी मां का इंतकाल हो गया।
निम्मी का बचपन अपनी नानी के साथ गुजरा। निम्मी बहुत छोटी उम्र से ही फिल्मों में कां करने के लिए स्ट्रगल करने लगीं। राज कपूर की फिल्म ‘बरसात’ से उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। इसमें निम्मी का काम सबको अच्छा लगा और उनके पास बड़ी-बड़ी फिल्मों की लाइन लग गई। निम्मी अपनी मर्जी से फिल्में चुनती थीं, काफी सोच-समझ कर हां किया करती थी। उनकी हां के इंतजार में निर्देशक कई दिनों तक इंतजार किया करते थे।
देखते ही देखते निम्मी टॉप मोस्ट हीरोइन बन गईं। मेकर्स उन्हें अपनी फिल्म में कास्ट करने के लिए लाइन लगाते थे। और इसलिए 1952 में महबूब खान ने उन्हें अपनी फिल्म आन के लिए साइन कर लिया। इसमें उनके हीरो दिलीप कुमार थे। आन फिल्म की खास बात ये थी कि ये हिंदुस्तानी फिल्म इंडस्ट्री की पहली रंगीन फिल्म थी। 1965 निम्मी ने शादी कर ली। उनके पति का नाम था सैयद अली रजा, जोकि जाने माने लेखक थे। उन्होंने ही मदर इंडिया फिल्म लिखी। दोनों की शादीशुदा जिंदगी खुशहाल गुजरी। हालांकि दोनों की औलाद नहीं रही इसलिए निम्मी की बहन के बेटे को उन्होंने गोद लिया और परवरिश की।
फिल्म आन का एक किस्सा और मशहूर हैं। दरअसल भारत की पहली रंगीन फिल्म आन का प्रीमियर लंदन में हुआ। इसके लिए महबूब खान और निम्मी लंदन गए हुए थे। इस मौके पर एरल लेजली थॉमसन फ्लिन भी पहुंचे थे। एरल ने फिल्म की बधाई देते हुए निम्मी का हाथ चूमने की कोशिश की, लेकिन निम्मी पीछे हट गईं और कहा कि ‘मैं एक हिंदुस्तानी लड़की हूं आर मेरे साथ ये सब नहीं कर सकते’। ये खबर अगले दिन न्यूजपेपर में हेडलाइन ‘द अनकिस्ड गर्ल ऑफ इंडिया’ बनी।
निम्मी और महबूब खान की आपस में खूब पटती थी। जब महबूब खान ने फिल्म ‘मदर इंडिया’ बनाई तो उन्हें काफी पैसों की किल्लत हुई थी। जब निम्मी को इस बारे में पता चला तो वो पल्लू में नोटों का बंडल बांधकर महबूब के ऑफिस पहुंचीं। मैनेजर को रुपए दिए और कहा कि फिल्म जरूर बननी चाहिए। साथ ही ये भी कहा कि महबूब साहब को मत बताना कि पैसे मैंने दिए हैं।