एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला
Published by: मेघा चौधरी
Updated Sat, 09 Apr 2022 11:46 PM IST
सार
यश स्टारर ‘केजीएफ 2’ 14 अप्रैल को रिलीज होने वाली है और फिल्म की कास्ट इसी के प्रमोशन में जुटी हुई है। निर्देशक प्रशांत नील से बताया कि कैसे रमेश सिप्पी की ‘शोले’ और अमिताभ बच्चन ने उनके सिनेमा देखने के तरीके को बदल दिया, जिससे उन्हें प्रेरणा मिली।
यश, प्रशांत नील, शोले फिल्म
– फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
‘केजीएफ’ देखकर बहुत कुछ 1970 के दशक के सिनेमा की याद दिलाता है और यश की ऑनस्क्रीन आभा अमिताभ बच्चन के गुस्से वाले युवा दिनों की याद दिलाती है। इसी को लेकर जब प्रशांत नील से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि कैसे रमेश सिप्पी की ‘शोले’ और अमिताभ बच्चन ने उनके सिनेमा देखने के तरीके को ही बदल दिया।
प्रशांत ने कहा कि 70 के दशक में या यूं कहूं कि अमिताभ बच्चन ने सिनेमा के बारे में मेरे सोचन के तरीके को आकार दिया है। एक काम जो 70 के दशक में ‘शोले’ ने मेरे साथ किया वह मुझे भारतीय दर्शकों को बताना था कि आप भारत में भारतीय भावनाओं के साथ हॉलीवुड फिल्म बना सकते हैं। यह मेरे साथ बहुत लंबे समय तक रहा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने करियर की शुरुआत में ‘केजीएफ’ कर पाऊंगा, लेकिन ये कुछ ऐसा था जो मेरे साथ रहा।
रमेश सिप्पी के साथ पहली मुलाकात
इसी के साथ प्रशांत ने रमेश सिप्पी के साथ अपनी पहली मुलाकात के बारे में भी बात की। प्रशांत न कहा, ‘तीन साल पहले मैं एक होटल में चेक इन कर रहा था कि मेरे नजर रमेश सिप्पी पर पड़ी। मैंने अपने बैग को वहीं गिरा दिया और मैं उनकी तरफ दौड़ गया। मैंने उनसे कहा कि मैं आपके साथ एक फोटो लेना चाहता हूं। मेरे आसपास जो भी लोग थे वो सोच रहे थे कि यह आदमी कौन है? मैंने उनके साथ सेल्फी ली तो मेरे हाथ कांप रहे थे। मैंने अपने जीवन में केवल एक रमेश सिप्पी के साथ सेल्फी ली है।’
यश की ‘गुगली’ देख किया साइन
‘केजीएफ’ को लेकर दिलचस्प बात ये है कि यश और प्रशांत दोनों ने ही माना कि उनका इस फिल्म के लिए साथ आना नियति ही है। प्रशांत ने ‘केजीएफ’ के बारे में 2006 में सोचा था, जिसके बाद वह यश से मिले और उनकी फिल्म ‘गुगली’ देखने के बाद यश को साइन कर लिया। वहीं, यश ने बताया कि प्रशांत की फिल्म ‘उग्रम’ देखकर वह काफी प्रभावित हुए थे।
पहले नहीं बनाने थे ‘केजीएफ’ के दो भाग
निर्देशक ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने शुरुआत में ‘केजीएफ’ को दो भागों में बनाने के बारे में नहीं सोचा था। बजट की कमी के कारण उन्हें दो महीने तक फिल्म को रोकना भी पड़ा। इसके बाद वह और उनकी टीम एक नई पटकथा के साथ आई और सुझाव दिया कि फिल्म को दो भागों में विभाजित किया जाए। इसके बाद ये बात सामने आई कि सेकेंड हाफ फिल्म का बेहतरीन पार्ट है फिर ऐसे में फिल्म को कैसे बनाया जाए। इसके बाद डेढ़ महीने तक फिल्म को रोक दिया गया और इसी बात पर ध्यान लगाया कि क्या करना सही रहेगा। इस बाद सभी एक फैसले पर पहुंचे और फिल्म को दो भागों में विभाजित कर दोबारा से फिल्मांकन शुरू किया गया।