न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Tue, 08 Feb 2022 01:15 PM IST
सार
जॉनसन एंड जॉनसन के बेबी पाउडर का विवाद गहराता ही जा रहा है। कथित रूप से कैंसर का कारण बन रहे पाउडर पर अब पूरी दुनिया में प्रतिबंध की तैयारी है। अमेरिका और कनाडा में 2020 से ही इस पाउडर की बिक्री नहीं हो रही है।
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विस्तार
बात इस हद तक बढ़ गई है कि जॉनसन एंड जॉनसन के बेबी पाउडर पर पूरी दुनिया में प्रतिबंध की तैयारी की चल रही है। ब्रिटेन में कपनी के शेयरधारकों ने एकजुट होकर इसकी बिक्री पर वैश्विक प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव तैयार किया है। शेयरधारक अपने शेयरों को साथ में जमा कर प्रस्ताव के लिए जरूरी शेयर संख्या जुटा रहे हैं। अमेरिका की स्टॉक मार्केट नियामक एजेंसी एसईसी को यह प्रस्ताव भेजा गया है। अप्रैल में कंपनी की सालाना बैठक है, जहां यह प्रस्ताव लाने का प्रयास हो रहा है।
पहली बार कब आया था मामला सामने
अमेरिका में इस पाउडर में एस्बेस्टस का एक प्रकार क्त्रिस्सोटाइल फाइबर मिला था, जिसके बाद इससे कैंसर की आशंका जताई गई। यह तत्व कैंसर का कारण माना जाता है। हजारों महिलाओं ने उसके पाउडर से बच्चेदानी का कैंसर होने के आरोप में मुकदमे किए। इसके बाद कंपनी ने 2020 में सेल घटने का बहाना बताकर अमेरिका और कनाडा में पाउडर की बिक्री को बंद कर दिया था।
34 हजार से ज्यादा मुकदमे झेल रही है कंपनी
महिलाओं व बच्चों में कैंसर होने के आरोप में जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी पर दुनिया भर में 34 हजार से ज्यादा मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। हालांकि, कंपनी आज तक इन आरोपों का खंडन करती आ रही है। कंपनी का कहना है कि उनके उत्पाद पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इनसे किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है। कंपनी पर अमेरिका के मिजौरी की एक अदालत ने फैसला सुनाया था। यह 22 कैंसर पीड़ित महिलाओं की याचिका पर सुनवाई के बाद का फैसला था, जिसमें कंपनी का 200 करोड़ डॉलर मुआवजे व मुकदमे खर्च के रूप में देने पड़े थे।
भारत में सात दशकों पुराना है इतिहास
भारत में जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी का इतिहास लगभग सात दशकों पुराना है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 1948 से जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा स्थानीय रूप से पाउडर बेचा जाता है। पाउडर का कच्चा माल राजस्थान के गोलछा खान से मंगाया जाता है। भारत में निर्मित टैल्कम पाउडर को श्रीलंका, नेपाल, मालदीव जैसे पड़ोसी देशों में भी बेचा जाता है।
