एजेंसी, मेलबर्न।
Published by: Jeet Kumar
Updated Tue, 08 Feb 2022 01:26 AM IST
सार
रिपोर्ट में कहा कि विधेयक के कुछ तत्वों की सांविधानिक वैधता को लेकर गंभीर संदेह है। इस विधेयक को लेकर कई मुद्दों पर असहमति बनी हुई है। इसलिए चर्चा के दौरान वाद-विवाद की आशंका है।
ऑस्ट्रेलिया में धार्मिक भेदभाव विधेयक पर इस सप्ताह संसद में बहस होनी है। प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन द्वारा पिछले संघीय चुनाव से पूर्व पहली बार ऐसे विधेयक का वादा किया था जिसे पारित होने की प्रक्रिया में तीन साल बीत गए हैं। संसद और समुदाय में असहमति के चलते हुई देरी के बाद अब सांसदों के कैनबरा लौटने पर इसे लेकर अब चर्चा फिर शुरू होगी।
विधेयक में इस बात को लेकर व्यापक सहमति है कि किसी व्यक्ति के साथ उनकी आस्था या आस्था की कमी के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन किस हद तक धर्म को दूसरों के विरुद्ध भेदभाव करने का अधिकार होना चाहिए, यह विवादास्पद बना हुआ है। मॉरिसन द्वारा दिसंबर 2021 में संसद में विधेयक पेश करने के बाद, इसे कानूनी मामलों और मानवाधिकार समितियों को भेजा गया था।
दोनों समितियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि विधेयक के कुछ तत्वों की सांविधानिक वैधता को लेकर गंभीर संदेह है। इस विधेयक को लेकर कई मुद्दों पर असहमति बनी हुई है। इसलिए चर्चा के दौरान वाद-विवाद की आशंका है।
धार्मिक समूह बंटे हुए हैं
ऑस्ट्रेलियाई कैथोलिक बिशप सम्मेलन और सिडनी एंग्लिकन डायोसीस जैसे रूढ़िवादी धार्मिक समूह बिल का समर्थन करते हैं। लेकिन अन्य धार्मिक समूह असहमत हैं। व्यापक एंग्लिकन चर्च मौजूदा स्वरूप में बिल का विरोध करता है। इसके लोक मामलों के आयोग का कहना है कि बिल धर्म के नाम पर नुकसान पहुंचाने वाले व्यवहार के लिए अनावश्यक गुंजाइश और प्रोत्साहन देता है।
विस्तार
ऑस्ट्रेलिया में धार्मिक भेदभाव विधेयक पर इस सप्ताह संसद में बहस होनी है। प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन द्वारा पिछले संघीय चुनाव से पूर्व पहली बार ऐसे विधेयक का वादा किया था जिसे पारित होने की प्रक्रिया में तीन साल बीत गए हैं। संसद और समुदाय में असहमति के चलते हुई देरी के बाद अब सांसदों के कैनबरा लौटने पर इसे लेकर अब चर्चा फिर शुरू होगी।
विधेयक में इस बात को लेकर व्यापक सहमति है कि किसी व्यक्ति के साथ उनकी आस्था या आस्था की कमी के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन किस हद तक धर्म को दूसरों के विरुद्ध भेदभाव करने का अधिकार होना चाहिए, यह विवादास्पद बना हुआ है। मॉरिसन द्वारा दिसंबर 2021 में संसद में विधेयक पेश करने के बाद, इसे कानूनी मामलों और मानवाधिकार समितियों को भेजा गया था।
दोनों समितियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि विधेयक के कुछ तत्वों की सांविधानिक वैधता को लेकर गंभीर संदेह है। इस विधेयक को लेकर कई मुद्दों पर असहमति बनी हुई है। इसलिए चर्चा के दौरान वाद-विवाद की आशंका है।
धार्मिक समूह बंटे हुए हैं
ऑस्ट्रेलियाई कैथोलिक बिशप सम्मेलन और सिडनी एंग्लिकन डायोसीस जैसे रूढ़िवादी धार्मिक समूह बिल का समर्थन करते हैं। लेकिन अन्य धार्मिक समूह असहमत हैं। व्यापक एंग्लिकन चर्च मौजूदा स्वरूप में बिल का विरोध करता है। इसके लोक मामलों के आयोग का कहना है कि बिल धर्म के नाम पर नुकसान पहुंचाने वाले व्यवहार के लिए अनावश्यक गुंजाइश और प्रोत्साहन देता है।
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