videsh

Japan Military Exercise: चीन से तनाव के बीच जापान का नौ दिनी सैन्याभ्यास शुरू, सैनिकों ने दर्जनों टैंकों के साथ दागे गोले

वर्ल्ड डेस्क, अमर अजाला, एनिवा
Published by: सुभाष कुमार
Updated Tue, 07 Dec 2021 12:16 AM IST

सार

यह सैन्य प्रदर्शन ऐसे समय में किया जा रहा है, जब रूस और चीन की सेनाओं ने जापान के क्षेत्र के आसपास अपनी गतिविधियां हाल में बढ़ा दी हैं। विदेशी पत्रकारों को जापानी सैन्य अभ्यासों को देखने का अवसर दुर्लभ ही मिलता है।

जापान ने उत्तरी द्वीप होक्काइदो में सैन्य अभ्यास शुरू किया। (सांकेतिक फोटो)
– फोटो : Japan Self-Defense Forces

ख़बर सुनें

चीन से लगातार दक्षिण और पूर्वी सागर में मिलने वाली चुनौतियों के बीच सोमवार को जापान ने उत्तरी द्वीप होक्काइदो में सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया। इस दौरान दर्जनों टैंक और सैनिकों ने गोले दागे और मशीन गन चलाईं। जापान ने ‘सेल्फ डिफेंस फोर्स’ के सैन्य अभ्यास का मीडिया के समक्ष प्रदर्शन किया। 

यह सैन्य प्रदर्शन ऐसे समय में किया जा रहा है, जब रूस और चीन की सेनाओं ने जापान के क्षेत्र के आसपास अपनी गतिविधियां हाल में बढ़ा दी हैं। विदेशी पत्रकारों को जापानी सैन्य अभ्यासों को देखने का अवसर दुर्लभ ही मिलता है। यह अभ्यास नौ दिन तक चलेगा और इसमें ‘ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स’ के करीब 1,300 बल भाग लेंगे। टैंकों ने सोमवार को अपने लक्ष्यों पर निशाना साधा। जापान का शांतिवादी संविधान उस समय लिखा गया था, जब दूसरे विश्व युद्ध में हुई तबाही की यादें और जख्म ताजा थे, लेकिन जापान समग्र सैन्य ताकत के मामले में अमेरिका, रूस, चीन और भारत के बाद पांचवें नंबर पर है। जापान के अतीत के सैन्य कदमों के कारण अब भी उसके कई पड़ोसी देश उसकी निंदा करते हैं और घरेलू स्तर पर भी शांतिवाद प्रबल है, ऐसे भी जापान में किसी भी प्रकार का सैन्य विकास विवादास्पद है।

कई मोर्चों पर खतरों का सामना
जापान में शांतिवादी संविधान के बावजूद यहां हर साल अरबों डॉलर सैन्य विकास पर खर्च हो रहा है। उसके पास 1,000 युद्धक विमान, दर्जनों विध्वंसक व पनडुब्बियां हैं। तोक्यो स्थित ताकुशोकू विश्वविद्यालय में ‘इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड स्टडीज’ के प्रोफेसर व रक्षा विशेषज्ञ हेगो सातो ने कहा, हम कई मोर्चों पर खतरों का सामना कर रहा है। चीन, रूस और उत्तर कोरिया की गतिविधियों के तहत यह विस्तार करना अहम है। 

सेनकाकू द्वीप को लेकर है विवाद
हाल ही में चीन ने रूस के साथ मिलकर जापान के पास से कई लड़ाकू जेट उड़ाए थे। वहीं ताइवान को लेकर पहले ही तनाव काफी बढ़ा हुआ है। इसे लेकर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और कनाडा पहले ही चीन के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं। इस विवाद का बड़ा कारण चीन और जापान में पूर्वी सागर में स्थित सेनकाकू द्वीप को लेकर अधिकार की लड़ाई है। दोनों देश इन निर्जन द्वीपों पर अपना दावा करते हैं। 

11 देशों से किया जापान ने समझौता
चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए जापान और वियतनाम अंतरिक्ष में भी रक्षा व साइबर सुरक्षा को लेकर एक समझौता कर चुके हैं। चीन का संदर्भ देते हुए जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने कहा कि अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्र के समझौते का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में गतिविधियों को देखते हुए उनका समाधान निकालना है, जो मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती देती है। वियतनाम 11वां ऐसा देश है, जिसके साथ जापान ने रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं, क्योंकि टोक्यो अपने स्वयं के संघर्षरत रक्षा उद्योग का समर्थन करना चाहता है।

विस्तार

चीन से लगातार दक्षिण और पूर्वी सागर में मिलने वाली चुनौतियों के बीच सोमवार को जापान ने उत्तरी द्वीप होक्काइदो में सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया। इस दौरान दर्जनों टैंक और सैनिकों ने गोले दागे और मशीन गन चलाईं। जापान ने ‘सेल्फ डिफेंस फोर्स’ के सैन्य अभ्यास का मीडिया के समक्ष प्रदर्शन किया। 

यह सैन्य प्रदर्शन ऐसे समय में किया जा रहा है, जब रूस और चीन की सेनाओं ने जापान के क्षेत्र के आसपास अपनी गतिविधियां हाल में बढ़ा दी हैं। विदेशी पत्रकारों को जापानी सैन्य अभ्यासों को देखने का अवसर दुर्लभ ही मिलता है। यह अभ्यास नौ दिन तक चलेगा और इसमें ‘ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स’ के करीब 1,300 बल भाग लेंगे। टैंकों ने सोमवार को अपने लक्ष्यों पर निशाना साधा। जापान का शांतिवादी संविधान उस समय लिखा गया था, जब दूसरे विश्व युद्ध में हुई तबाही की यादें और जख्म ताजा थे, लेकिन जापान समग्र सैन्य ताकत के मामले में अमेरिका, रूस, चीन और भारत के बाद पांचवें नंबर पर है। जापान के अतीत के सैन्य कदमों के कारण अब भी उसके कई पड़ोसी देश उसकी निंदा करते हैं और घरेलू स्तर पर भी शांतिवाद प्रबल है, ऐसे भी जापान में किसी भी प्रकार का सैन्य विकास विवादास्पद है।

कई मोर्चों पर खतरों का सामना

जापान में शांतिवादी संविधान के बावजूद यहां हर साल अरबों डॉलर सैन्य विकास पर खर्च हो रहा है। उसके पास 1,000 युद्धक विमान, दर्जनों विध्वंसक व पनडुब्बियां हैं। तोक्यो स्थित ताकुशोकू विश्वविद्यालय में ‘इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड स्टडीज’ के प्रोफेसर व रक्षा विशेषज्ञ हेगो सातो ने कहा, हम कई मोर्चों पर खतरों का सामना कर रहा है। चीन, रूस और उत्तर कोरिया की गतिविधियों के तहत यह विस्तार करना अहम है। 

सेनकाकू द्वीप को लेकर है विवाद

हाल ही में चीन ने रूस के साथ मिलकर जापान के पास से कई लड़ाकू जेट उड़ाए थे। वहीं ताइवान को लेकर पहले ही तनाव काफी बढ़ा हुआ है। इसे लेकर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और कनाडा पहले ही चीन के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं। इस विवाद का बड़ा कारण चीन और जापान में पूर्वी सागर में स्थित सेनकाकू द्वीप को लेकर अधिकार की लड़ाई है। दोनों देश इन निर्जन द्वीपों पर अपना दावा करते हैं। 

11 देशों से किया जापान ने समझौता

चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए जापान और वियतनाम अंतरिक्ष में भी रक्षा व साइबर सुरक्षा को लेकर एक समझौता कर चुके हैं। चीन का संदर्भ देते हुए जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने कहा कि अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्र के समझौते का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में गतिविधियों को देखते हुए उनका समाधान निकालना है, जो मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती देती है। वियतनाम 11वां ऐसा देश है, जिसके साथ जापान ने रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं, क्योंकि टोक्यो अपने स्वयं के संघर्षरत रक्षा उद्योग का समर्थन करना चाहता है।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: