Movie Review
जलसा
कलाकार
विद्या बालन
,
शेफाली शाह
,
रोहिणी हट्टंगड़ी
,
सूर्या कासिभाटला
,
मोहम्मद इकबाल खान
,
मानव कौल
और
विधात्री बंदी
लेखक
प्रज्ज्वल चंद्रशेखर
,
सुरेश त्रिवेणी
,
हुसैन दलाल
और
अब्बास दलाल
निर्देशक
सुरेश त्रिवेणी
निर्माता
अबंडनशिया एंटरटेनमेंट
और
टी सीरीज
ओटीटी
अमेजन प्राइम वीडियो
सिनेमा क्या है? सवाल सीधा सा है। जवाब शायद उतना सपाट देना मुश्किल है। यह कल्पनाओं की एक दुनिया है। भावनाओं का सैलाब है। इसमें आइनों के छोटे-छोटे टुकड़े तैरते रहते हैं। अक्स दिखाते हैं। दुनिया का भी। दुनिया को भी। होता है कभी-कभी जिंदगी में, मन में कोई चोर छुपा होता है। एक अपराध बोध-सा रहता है। उससे मुक्ति पाने की कोशिश कहें, या पश्चाताप, जिससे ये उसे भुगतना चाहता है। पर समाज में जो उसकी हैसियत है, वह उसे खुलकर पश्चाताप भी करने नहीं देती। जिसके प्रति अपराध हुआ, वह इसी दुखी आत्मा से मदद पा रहा है। और, उसे पता नहीं कि जो दया उस पर की जा रही है, दरअसल वह तो उसके हक से कहीं ज्यादा है। जीवन के जलसे ऐसे ही होते हैं। सब अपना-अपना तंबू तानने में लगे रहते हैं। पता भी नहीं चलता कि शामियाने में लगे किस बांस पर किसकी शातिर निगाह लगी हुई है। फिल्म ‘जलसा’ ऐसी ही एक कहानी है। जिंदगी से छूटती और जिंदगी को पकड़ती कुछ धड़कनों की कहानी, जिसके सारे अहम सिरे महिलाओं ने पकड़ रखे हैं। ये सिनेमा में महिला किरदारों को मिली तवज्जो का ‘जलसा’ है।