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Inflation: अमीरों पर ज्यादा पड़ रही महंगाई की मार, जानें रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट में क्या आया सामने

Inflation: अमीरों पर ज्यादा पड़ रही महंगाई की मार, जानें रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट में क्या आया सामने

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Sat, 13 Nov 2021 12:37 PM IST

सार

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट में सामने आया है कि महंगाई की सबसे अधिक मार अमीरों पर पड़ी है। जी हां महंगाई से गरीबों के मुकाबले अमीर लोग ज्यादा परेशान हैं।  20 फीसदी सबसे अमीर आबादी को 20 फीसदी सबसे गरीब आबादी की तुलना में ज्यादा महंगाई का सामना करना पड़ रहा है।

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देश में महंगाई को लेकर रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट कहा कि 20 फीसदी सबसे अमीर आबादी को 20 फीसदी सबसे गरीब आबादी की तुलना में ज्यादा महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही इसमें कहा गया है कि महंगाई का स्तर अभी भी उच्च बना हुआ है, जो कम होता नजर नहीं आ रहा है। अमीर और गरीब दोनों वर्ग इससे प्रभावित हो रहे हैं, हालांकि प्रभावशीलता में अंतर जरूरी है। 

रिपोर्ट में यह कारण आया सामने
क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 20 फीसदी सबसे गरीब आबादी दूसरे संसाधनों की तुलना में खाद्य वस्तुओं पर अधिक खर्च करती है। अक्तूबर के दौरान के इसमें कमी दर्ज की गई है। वहीं 20 फीसदी सबसे अमीर आबादी गैर-खाद्य वस्तुओं पर अधिक पैसा उड़ाते हैं, जिनके दामों में इजाफा हुआ है। यही कारण है कि अमीरों पर महंगाई की मार ज्यादा पड़ी है। शुक्रवार को आए मुद्रास्फीति के आंकड़ों को देखें तो सितंबर 2021 की तुलना में खुदरा महंगाई अक्तूबर 2021 में बढ़ गई है। ‘बता दें कि खुदरा महंगाई का यह आंकड़ा अक्तूबर 2020 में 7.6 फीसदी के उच्च स्तर पर था।

रेटिंग एजेंसी ने इस तरह किया आकलन
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एनएसएसओ डेटा का उपयोग करते हुए तीन आय समूहों में औसत खर्च पैटर्न का अनुमान लगाया है। इसमें 20 फीसदी गरीब, 60 फीसदी मध्य वर्गीय और 20 प्रतिशत उच्च आय वर्ग आबादी शामिल थी।  इसके बाद एजेंसी ने मौजूदा मुद्रास्फीति के रुझान के साथ इन्हें मैप किया ताकि पता लगाया जा सके किस वर्ग पर महंगाई का कितना प्रभाव पड़ा। इसमें पाया गया कि 20 फीसदी गरीब आबादी की तुलना में 20 फीसदी अमीर आबादी महंगाई से ज्यादा प्रभावित रही। 

पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत बढ़ने का असर
रिपोर्ट के मुताबिक, अक्तूबर में शहरी क्षेत्र में महंगाई बढ़ने का प्रमुख कारण पेट्रोलियम पदार्थों में उछाल और कोर इंफ्लेशन है। तेल में तेजी के कारण शहरी क्षेत्र में महंगाई में इजाफा हुआ है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में खाद्ध पदार्थों पर महंगाई कम रहने के कारण महंगाई का असर कम हुआ। सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में ग्रामीण भारत में महंगाई दर और कम रही है।

ग्रामीण अमीर के लिए महंगाई दर 4.4 फीसदी
क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 फीसदी ग्रामीण आबादी के लिए अक्तूबर में महंगाई दर 4.4 फीसदी रही, जबकि 20 फीसदी शहरी लोगों के लिए यह आंकड़ा 5 फीसदी रहा। ग्रामीण क्षेत्र में 60 फीसदी मध्यवर्गीय आबादी के लिए महंगाई दर 4 फीसदी, जबकि शहरी 60 फीसदी मध्यवर्गीय आबादी के लिए महंगाई दर 4.9 फीसदी रही। इसके अलावा ग्रामीण एरिया में 20 फीसदी गरीब आबादी के लिए महंगाई 3.9 फीसदी और शहरी क्षेत्र में 20 फीसदी गरीब आबादी के लिए महंगाई का स्तर 4.9 फीसदी रहा।

विस्तार

देश में महंगाई को लेकर रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट कहा कि 20 फीसदी सबसे अमीर आबादी को 20 फीसदी सबसे गरीब आबादी की तुलना में ज्यादा महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही इसमें कहा गया है कि महंगाई का स्तर अभी भी उच्च बना हुआ है, जो कम होता नजर नहीं आ रहा है। अमीर और गरीब दोनों वर्ग इससे प्रभावित हो रहे हैं, हालांकि प्रभावशीलता में अंतर जरूरी है। 

रिपोर्ट में यह कारण आया सामने

क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 20 फीसदी सबसे गरीब आबादी दूसरे संसाधनों की तुलना में खाद्य वस्तुओं पर अधिक खर्च करती है। अक्तूबर के दौरान के इसमें कमी दर्ज की गई है। वहीं 20 फीसदी सबसे अमीर आबादी गैर-खाद्य वस्तुओं पर अधिक पैसा उड़ाते हैं, जिनके दामों में इजाफा हुआ है। यही कारण है कि अमीरों पर महंगाई की मार ज्यादा पड़ी है। शुक्रवार को आए मुद्रास्फीति के आंकड़ों को देखें तो सितंबर 2021 की तुलना में खुदरा महंगाई अक्तूबर 2021 में बढ़ गई है। ‘बता दें कि खुदरा महंगाई का यह आंकड़ा अक्तूबर 2020 में 7.6 फीसदी के उच्च स्तर पर था।

रेटिंग एजेंसी ने इस तरह किया आकलन

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एनएसएसओ डेटा का उपयोग करते हुए तीन आय समूहों में औसत खर्च पैटर्न का अनुमान लगाया है। इसमें 20 फीसदी गरीब, 60 फीसदी मध्य वर्गीय और 20 प्रतिशत उच्च आय वर्ग आबादी शामिल थी।  इसके बाद एजेंसी ने मौजूदा मुद्रास्फीति के रुझान के साथ इन्हें मैप किया ताकि पता लगाया जा सके किस वर्ग पर महंगाई का कितना प्रभाव पड़ा। इसमें पाया गया कि 20 फीसदी गरीब आबादी की तुलना में 20 फीसदी अमीर आबादी महंगाई से ज्यादा प्रभावित रही। 

पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत बढ़ने का असर

रिपोर्ट के मुताबिक, अक्तूबर में शहरी क्षेत्र में महंगाई बढ़ने का प्रमुख कारण पेट्रोलियम पदार्थों में उछाल और कोर इंफ्लेशन है। तेल में तेजी के कारण शहरी क्षेत्र में महंगाई में इजाफा हुआ है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में खाद्ध पदार्थों पर महंगाई कम रहने के कारण महंगाई का असर कम हुआ। सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में ग्रामीण भारत में महंगाई दर और कम रही है।

ग्रामीण अमीर के लिए महंगाई दर 4.4 फीसदी

क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 फीसदी ग्रामीण आबादी के लिए अक्तूबर में महंगाई दर 4.4 फीसदी रही, जबकि 20 फीसदी शहरी लोगों के लिए यह आंकड़ा 5 फीसदी रहा। ग्रामीण क्षेत्र में 60 फीसदी मध्यवर्गीय आबादी के लिए महंगाई दर 4 फीसदी, जबकि शहरी 60 फीसदी मध्यवर्गीय आबादी के लिए महंगाई दर 4.9 फीसदी रही। इसके अलावा ग्रामीण एरिया में 20 फीसदी गरीब आबादी के लिए महंगाई 3.9 फीसदी और शहरी क्षेत्र में 20 फीसदी गरीब आबादी के लिए महंगाई का स्तर 4.9 फीसदी रहा।

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