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Income Tax Return: आईटीआर फाइल करते समय न करें ये गलतियां, वरना हो सकता है बड़ा नुकसान

Income Tax Return: आईटीआर फाइल करते समय न करें ये गलतियां, वरना हो सकता है बड़ा नुकसान

आईटीआर फाइल करते समय न करें ये गलतियां
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भारत के उन सभी नागरिकों के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना जरूरी है, जिनकी सालाना कमाई ढाई लाख रुपये से ज्यादा है। सीनियर सिटिजन के लिए कुछ नियम और शर्तें अलग हैं। ऐसे में अगर आपने अभी तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है, तो जल्दी कर लीजिए। हालांकि आईटीआर फाइल करने की अंतिम तारीख अब बढ़ा दी गई है। आईटीआर फाइल करने की समय सीमा 15 मार्च तक बढ़ा दी गई है। वहीं पहले 31 दिसंबर 2021 तक इसकी डेडलाइन थी। जिन लोगों ने 31 दिसंबर तक आईटीआर फाइल कर दी, वे अब सुख-चैन की स्थिति में हैं। अभी तक आपने इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया है या करने जा रहे हैं तो आपको कुछ गलतियां भूल कर भी नहीं करनी चाहिए। वरना आगे चलकर कुछ मुसीबत झेलनी पड़ सकती है या फिर भारी जुर्माना भी लग सकता है। आइए जानते हैं किन गलतियों से आपको बचना चाहिए…

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एफडी और सेविंग अकाउंट पर मिल रहे ब्याज को न छिपाएं 

  • सेविंग अकाउंट पर मिल रहे ब्याज को भी कमाई के तौर पर आईटीआर में दिखाना जरूरी होता है। सिर्फ यही नहीं इनकम टैक्स एक्ट के तहत फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिल रहा ब्याज टैक्स के दायरे में आता है। इसलिए इस ब्याज को भी दिखाना जरूरी है।  

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ई-वेरिफिकेशन भूल जाना

  • आईटीआर फाइल करने के बाद ई-वेरिफिकेशन भी अनिवार्य होता है। आईटीआर फाइल करने के 120 दिनों के अंदर ई-वेरिफिकेशन करना जरूरी होता है।  

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गलत आईटीआर फॉर्म भरना

  • कमाई के स्रोत के आधार पर अलग-अलग आईटीआर फॉर्म होते हैं। ऐसे में आईटीआर फाइल करते समय आप अपनी कमाई के स्रोत मुताबिक सही इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म का चुनाव करें।  

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नए और पुराने टैक्स सिस्टम को नहीं समझना 

  • सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात ये है कि पुराने टैक्स सिस्टम में आपको डिडक्शन और एग्जेम्पशन मिलते हैं। वहीं नए टैक्स सिस्टम में आपको डिडक्शन और एग्जेम्पशन तो नहीं मिलते, लेकिन टैक्स रेट कम होता है। इन दोनों टैक्स सिस्टम में आपको ये तुलना करनी चाहिए कि आपके लिए ज्यादा फायदेमंद कौन सा है। उसके बाद ही आईटीआर दाखिल करें। 

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