निर्देशक गुरु दत्त ने फिल्म इंडस्ट्री को कुछ बेहतरीन फिल्में दी हैं। वह अपनी हरेक फिल्म का हरेक किरदार इस तरह बुनते थे मानो प्रत्येक पात्र असल जिंदगी जी रहा हो। हालांकि गुरु दत्त की खुद की जिदंगी भी किसी कहानी से कम नहीं थी। अगर कोई उनकी जिंदगी पर फिल्म बनाना चाहे तो वह उनकी जिंदगी के कई किस्सो पर कहानी बुन सकता है। आज हम आपको एक ऐसा ही किस्सा बताने जा रहे हैं, जब गुरु दत्त ने अपने ही जन्मदिन पर खुद का आलीशान बंगला गिरवा दिया था।
ये किस्सा लगभग 59 साल पुराना है। सन 1963 में गुरु दत्त बर्लिन फिल्म फेस्टिवल से वापस बंबई लौट रहें थे। उस समय गुरु दत्त बंबई के पाली हिल में स्थित अपने आलीशान बंगले में रहा करते थे। उनका यह बंगला किसी सपने जैसा था। लेकिन गुरु दत्त के लिए यह बंगल एक बुरे सपने जैसा साबित हुआ।
गुरु दत्त के इस बंगले के बारे में कहा जाता था कि यह एक भूतिया बंगला था। गुरु दत्त की बहन ललिता लाजमी बताती हैं कि गीता दत्त उस बंगले से खुश नहीं थी। उन्हें लगता था कि उस बंगले में भूत रहता है। वह अक्सर कहती थीं कि उस बंगले के एक पेड़ पर भूत का निवास है और वह अपशगुन लाता है। गीता को ड्राइंग रूम में रखे बुद्ध भगवान की मूर्ति से भी शिकायत थी।
यह वह दौरा था जब गुरु और गीता दत्त की शादीशुदा जिंदगी खराब हो रही थी। उन दोनों के बीच तनाव चल रहा था। जिसकी वजह से गुरु दत्त ने दो बाद आत्महत्या भी करने की कोशिश की थी। हालांकि वह दोनों बार बच गए थे। एक बार अपने एक दोस्त ने उनसे पूछा था कि तुम मरना क्यों चाहते हो? तुम्हारे पास धन, दौलत, शोहरत सब कुछ है। फिर अपनी जिंदगी से इतने असंतुष्ट क्यों हो?
गुरु दत्त ने इसके जवाब में कहा था कि इस जिंदगी ने मुझे बहुत कुछ दिया है। इसलिए मैं अपनी जिंदगी से असंतुष्ट नहीं हूं। मैं खुद से और खुद में असंतुष्ट हूं। हां मेरे पास धन-दौलत, शोहरत सब कुछ है। लेकिन मेरे पास शांति नहीं है। अगर वह मिल जाती, तो जिंदगी जीने लायक हो जाती।
