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Bioscope S2: ऋषि कपूर की धमकी के आगे नहीं झुके हीरोइन के पिता, सुपरहिट हुई मिथुन और पद्मिनी की जोड़ी

प्यार झुकता नहीं
– फोटो : अमर उजाला

 

साल 1985 की बात है। ख़बर छपी कि गुजरात की किसी पारिवारिक अदालत के जज ने तलाक़ के लिए उनके पास पहुंचे दंपती को अगली तारीख़ पर आने से पहले फिल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ देखने की सलाह दी। अगली तारीख़ पर दोनों जज के सामने पहुंचे तो न सिर्फ़ उन्होंने अपना मुकदमा वापस लिया बल्कि जज को धन्यवाद भी कहा अपना वैवाहिक जीवन बचाने के लिए। मिथुन चक्रवर्ती और पद्मिनी कोल्हापुरे की फिल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ अपनी कहानी और अपने गानों के लिए खूब याद की जाती है। शमसुल हुदा बिहारी की लिखी इस फिल्म की कहानी और उनके ही लिखे गीतों का कमाल है कि ये फिल्म हफ्तों तक सिनेमाघरों में चलती रही।  इस फिल्म में उन्होंने एक से बढ़कर एक मार्मिक गीत लिखे। श्रीदेवी और रजनीकांत को लेकर इस फ़िल्म की रीमेक बाद में तमिल में बनी। श्रीदेवी ने इसके तेलुगू रीमेक में भी काम किया। कन्नड़ में इस फ़िल्म की रीमेक विष्णुवर्धन और भाव्या के साथ बनी थी। फिल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ बनाने के लिए इसके निर्माता के सी बोकाडिया ने जिस पाकिस्तानी फिल्म से प्रेरणा पाई, वह भी हिंदी की चंद हिट फिल्मों का कॉकटेल थी। ‘प्यार झुकता नहीं’ के बाद पान की दुकानों पर बोर्ड लगे दिखते थे, प्यार झुकता नहीं, उधार बिकता नहीं।

मिथुन चक्रवर्ती
– फोटो : अमर उजाला आर्काइव, मुंबई

मिथुन ने लिया करियर का बड़ा रिस्क

हिंदी सिनेमा में इस कालखंड को शब्बीर कुमार काल से जाना जाता है। शब्बीर कुमार कैसे हिंदी सिनेमा में आए, कैसे वह पार्श्वगायकों को लेकर शुरू से चलती आने वाली राजनीति में संगीतकारों के लिए तुरुप का मोहरा साबित हुए और कैसे क्लब में गाने वाला एक गायक, हिंदी सिनेमा का नंबर वन गायक बन गया, इस पर एक बेहद शानदार म्यूजिकल फिल्म बन सकती है। लेकिन, फिल्मों की कहानियां फिल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ के दौर में भी दाएं बाएं से मार ली जाती थीं। ये वह दौर था जब वीएचएस पूरे देश में शहरों से गांवों तक पैर पसार चुका था। उन्हीं दिनों लेखक और गीतकार शमशुल हुदा बिहारी (एस एच बिहारी) को एक पाकिस्तानी फिल्म देखने को मिली ‘आइना’, इसका जिक्र उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती से किया। मिथुन उन दिनों के सुपर सितारे थे। बॉक्स ऑफिस पर उनकी तूती बोलती थी। मिथुन और एस एच बिहारी की जान पहचान फिल्म ‘कराटे’ के दौरान गहरी हुई और जब ‘आइना’ की कहानी सामने आई तो दोनों को ये मिथुन के अगले दौर की नींव बनाने वाली फिल्म लगी।

मिथुन चक्रवर्ती, पद्मिनी कोल्हापुरे
– फोटो : अमर उजाला आर्काइव, मुंबई

एक्शन हीरो को मिली फैमिली मैन की छवि

फिल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ की कहानी एस एच बिहारी ने एक पाकिस्तानी फिल्म से प्रेरणा पाकर लिखी, ये बात वह खुलकर स्वीकार करते थे। साथ ही वह ये भी बताते थे कि ये कहानी दरअसल हिंदी फिल्म ‘आ गले लग जा’ का रूपांतरण है और ‘आइना’ लिखने वालों ने इसमें हिंदी की दो तीन और सुपरहिट फिल्मों का तड़का लगा दिया था। मिथुन चक्रवर्ती  इससे पहले राजश्री की फिल्म ‘तराना’ में अपने रूमानी तेवर दिखा चुके थे और उनके प्रशंसकों का एक बड़ा तबका उन्हें फिर से रोमांटिक हीरो के तौर पर देखना भी चाहता था। एस एस बिहारी ने फिल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ में मिथुन को पारिवारिक हीरो की छवि दी और ये छवि मिथुन की शख्सीयत के साथ इतना सही बैठी कि उनके करियर का पूरा एक दौर इसके बाद इन पारिवारिक फिल्मों की वजह से ही मजबूत हुआ।

पद्मिनी कोल्हापुरे
– फोटो : अमर उजाला आर्काइव, मुंबई

एच एच बिहारी के गीतों की आत्मा

अगर आप एस एच बिहारी के लिखे गीतों के शौकीन है तो उनका लिखा फिल्म ‘शर्त’ का गाना तो आपको याद होगा ही कि ‘न ये चांद होगा न तारे रहेंगे, मगर हम हमेशा तुम्हारे रहेंगे…’। फिल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ का डीएनए यही गाना है और इसके भाव ही पूरी फिल्म की अंतर्धारा बनकर बहते हैं। बिहार के आरा में जन्मे एस एच बिहारी के गानों की तारीफ मिथुन भी शूटिंग के दौरान खूब किया करते थे। एस एच बिहारी ने जब फिल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ के गाने लिखने शुरू किए तो फिल्म के निर्माता के सी बोकाडिया उन्हें उन्हीं के लिखे गाने ‘आप यूं ही अगर हमसे मिलते रहे देखिए एक दिन प्यार हो जाएगा’, ‘मेरा प्यार वो है जो मर कर भी तुमको जुदा अपनी बांहों से होने न देगा’, ‘फिर मिलोगे कभी इस बात का वादा कर लो’, ‘न जाने क्यों हमारे दिल को तूने दिल नहीं समझा’ खूब सुनाया करते और कहते कि जो भी आप लिखे इसी के आसपास का लिखो। और एस एच बिहारी ने भी अपने प्रोड्यूसर को निराश नहीं किया। वरिष्ठ पत्रकार इंदरमोहन पन्नू बताते हैं कि इस फिल्म के संगीत की कामयाबी ने टी सीरीज को मजबूत करने में बहुत मदद की। ‘तुमसे मिलकर ना जाने क्यूं’ की ट्यून अरसे तक कंपनी की सिग्नेचर ट्यून रही। फिल्म की कामयाबी की पार्टी होटल सी रॉक में चल रही थी और जब वहां संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल पहुंचे तो मिथुन चक्रवर्ती ने लपककर दोनों के पैर छू लिए थे 

मिथुन चक्रवर्ती, पद्मिनी कोल्हापुरे
– फोटो : अमर उजाला आर्काइव, मुंबई

फिल्मफेयर में हुई नाइंसाफी

फिल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ को अपनी कहानी और गीतों की वजह से खूब शोहरत मिली। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जोड़ी ने खूब कमाल संगीत भी इस फिल्म के लिए रचा। लेकिन, फिल्मफेयर पुरस्कार चलाने वालों ने फिल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ के साथ भी नाइंसाफी की। मिथुन का नाम तो खैर बेस्ट एक्टर कैटेगरी में नामित तक नहीं हुआ। पद्मिनी कोल्हापुरे को बेस्ट एक्टर फीमेल कैटेगरी में नामांकन तो मिला लेकिन उस साल का पुरस्कार ले गईं फिल्म ‘सागर’ के लिए डिंपल कपाड़िया। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को इस फिल्म के अलावा फिल्म ‘सुर संगम’ के लिए भी नामांकन मिला। लेकिन, राजकपूर की फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ के लिए रवींद्र जैन उस साल के विजेता बने। फिल्म ‘प्यार झुकता नहीं’ का एक बेहतरीन गाना है, ‘तुमसे मिलकर ना जाने क्यों और भी कुछ याद आता है…’। इस गाने को शब्बीर कुमार और कविता कृष्णमूर्ति दोनों ने फिल्म में अलग अलग गाया है दोनों को फिल्मफेयर नामांकन भी मिला लेकिन पुरस्कार जीता किशोर कुमार ने फिल्म ‘सागर’ के गाने ‘सागर किनारे दिल ये पुकारे’ और अनुराधा पौडवाल ने फिल्म ‘उत्सव’ के समूहगान ‘मेरे मन बाजा मृदंग मंजीरा’ के लिए।

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