Desh

Group captain varun singh funeral: शुक्रवार को होगा अंतिम संस्कार, कहते थे- 12वीं के अंक नहीं तय करेंगे आपकी तकदीर

कुनूर की पहाड़ियों में पिछले बुधवार को हुए हेलिकॉप्टर हादसे में इकलौते बचे वायुसेना के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का बेंगलुरु के सैन्य अस्पताल में बुधवार को निधन हो गया। देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत व 11 अन्य अफसरों की इस हादसे में मौत हुई थी।

भारतीय वायुसेना ने बुधवार को कहा, हमें यह बताते हुए बेहद दुख हो रहा है कि जांबाज ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने बुधवार सुबह अंतिम सांस ली। 8 दिसंबर को हुए हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हुए थे और तब से लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे।  मूल रूप से यूपी के देवरिया के रहने वाले ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को इसी साल शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। एजेंसी  

वीरता, अदम्य साहस का देश आभारी रहेगा
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट किया, यह जानकर दुख हुआ कि ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने अंतिम सांस ली। उन्होंने वीरता और अदम्य साहस का जो परिचय दिया राष्ट्र सदैव उसका आभारी रहेगा।  

सेवाओं को देश सदैव याद रखेगा
वरुण सिंह के निधन से व्यथित हूं, ग्रुप कैप्टन की राष्ट्र के प्रति सेवाओं को देश सदैव याद रखेगा।  -नरेंद्र मोदी, पीएम

सच्चे फाइटर थे कैप्टन वरुण  
वे सच्चे फाइटर थे, अंतिम सांस तक लड़े। उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट करता हूं। -राजनाथ सिंह, रक्षामंत्री

‘औसत दर्जे का होना भी ठीक, 12वीं के अंक नहीं तय करेंगे आपकी तकदीर’
औसत दर्जे का होना भी ठीक होता है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि जीवन में आने वाली चीजें भी ऐसी ही होंगी। यह प्रेरणादायक सीख भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने दी थी, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे।

हेलिकॉप्टर हादसे में घायल भारतीय वायुसेना के इस जाबांज ऑफिसर की सांसें भी बुधवार को आखिरकार थम गईं। वह करीब एक सप्ताह से जिंदगी की जंग लड़ रहे थे। लेकिन, जाते-जाते भी वह ऐसी सीख दे गए, जो किसी भी औसत दर्जे (साधारण) के छात्र को असाधारण बना सकती है। दरअसल, वरुण सिंह ने शौर्य चक्र से सम्मानित होने के कुछ सप्ताह बाद 18 सितंबर को अपने स्कूल चंडीमंदिर स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखा था। करीब तीन महीने पहले लिखे पत्र में उन्होंने छात्रों से कहा था…औसत दर्जे का होना ठीक बात है। स्कूल में हर कोई उत्कृष्ट नहीं होता और न ही सभी 90 फीसदी अंक ला पाते हैं।

अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो यह मत सोचिए कि आप औसत दर्जे का होने के लिए ही बने हैं। आप स्कूल में साधारण के हो सकते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि जीवन में आने वाली चीजें भी ऐसी ही होंगी।

अदम्य साहस से टाली थी तेजस की भीषण दुर्घटना
पत्र में उन्होंने जिक्र किया था कि पिछले साल वह एक तेजस विमान उड़ा रहे थे, जिसमें एक बड़ी तकनीकी खामी आ गई थी। इस दौरान मानसिक और शारीरिक तनाव के बावजूद उन्होंने साहस व सूझबूझ से एक भीषण दुर्घटना को टाल दिया।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: