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Five years of demonetisation: डिजिटल भुगतान में रिकॉर्ड तेजी के बाद भी नकदी का चलन जोरों पर, जानें आरबीआई के आंकड़ों में क्या रहा खास

Five years of demonetisation: डिजिटल भुगतान में रिकॉर्ड तेजी के बाद भी नकदी का चलन जोरों पर, जानें आरबीआई के आंकड़ों में क्या रहा खास

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Mon, 08 Nov 2021 12:07 PM IST

सार

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों को देखें तो मूल्य के हिसाब से 4 नवंबर, 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे, जो 29 अक्तूबर, 2021 को बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपये हो गए। 

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया

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पांच साल पहले साल 2016 में आज ही के दिन केंद्र सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया था। जी हां हम बात कर रहे हैं नोटबंदी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रात आठ बजे दिए गए भाषण के बाद देशभर में 500 और 1000 रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर दिया गया था। हालांकि, नोटबंदी के बाद इन पांच सालों में डिजिटल भुगतान में बेहताशा वृद्धि दर्ज कर गई, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था में नोटों का चलन कम नहीं हुआ, बल्कि इसकी रफ्तार भी तेज बनी हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों में यह बात सामने आई है। 

आरबीआई के आंकड़ों पर एक नजर 
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों को देखें तो मूल्य के हिसाब से 4 नवंबर, 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे, जो 29 अक्तूबर, 2021 को बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपये हो गए। आरबीआई के मुताबिक, 30 अक्तूबर, 2020 तक चलन में नोटों का मूल्य 26.88 लाख करोड़ रुपये था। जबकि 29 अक्तूबर, 2021 तक इसमें 2,28,963 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई। सालाना आधार पर देखें तो 30 अक्तूबर, 2020 को इसमें 4,57,059 करोड़ रुपये और इससे एक साल पहले एक नवंबर, 2019 को 2,84,451 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई थी। चलन में बैंक नोटों के मूल्य और मात्रा में 2020-21 के दौरान क्रमशः 16.8 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जबकि 2019-20 के दौरान इसमें क्रमशः 14.7 प्रतिशत और 6.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी।

डिजिटल लेन-देन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा 
पहले नोटबंदी और फिर कोरोना महामारी, दोनों की अवधि में लोगों ने डिजिटल लेन-देन में खासी रुचि दिखाई, जो कि अभी भी जारी है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूपीआई लेन-देन अक्टूबर में पहली बार 100 अरब डॉलर के पार पहुंच गया। भारत में पहली बार अक्तूबर में एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से 7.7 लाख करोड़ रुपये (मूल्य के हिसाब से 100 अरब डॉलर से अधिक) का डिजिटल लेन-देन किया गया। 

विस्तार

पांच साल पहले साल 2016 में आज ही के दिन केंद्र सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया था। जी हां हम बात कर रहे हैं नोटबंदी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रात आठ बजे दिए गए भाषण के बाद देशभर में 500 और 1000 रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर दिया गया था। हालांकि, नोटबंदी के बाद इन पांच सालों में डिजिटल भुगतान में बेहताशा वृद्धि दर्ज कर गई, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था में नोटों का चलन कम नहीं हुआ, बल्कि इसकी रफ्तार भी तेज बनी हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों में यह बात सामने आई है। 

आरबीआई के आंकड़ों पर एक नजर 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों को देखें तो मूल्य के हिसाब से 4 नवंबर, 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे, जो 29 अक्तूबर, 2021 को बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपये हो गए। आरबीआई के मुताबिक, 30 अक्तूबर, 2020 तक चलन में नोटों का मूल्य 26.88 लाख करोड़ रुपये था। जबकि 29 अक्तूबर, 2021 तक इसमें 2,28,963 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई। सालाना आधार पर देखें तो 30 अक्तूबर, 2020 को इसमें 4,57,059 करोड़ रुपये और इससे एक साल पहले एक नवंबर, 2019 को 2,84,451 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई थी। चलन में बैंक नोटों के मूल्य और मात्रा में 2020-21 के दौरान क्रमशः 16.8 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जबकि 2019-20 के दौरान इसमें क्रमशः 14.7 प्रतिशत और 6.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी।

डिजिटल लेन-देन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा 

पहले नोटबंदी और फिर कोरोना महामारी, दोनों की अवधि में लोगों ने डिजिटल लेन-देन में खासी रुचि दिखाई, जो कि अभी भी जारी है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूपीआई लेन-देन अक्टूबर में पहली बार 100 अरब डॉलर के पार पहुंच गया। भारत में पहली बार अक्तूबर में एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से 7.7 लाख करोड़ रुपये (मूल्य के हिसाब से 100 अरब डॉलर से अधिक) का डिजिटल लेन-देन किया गया। 

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