सिनेमा जगत में भारतीय सेना के जवानों की बहादुरी और उनके शौर्य को दर्शाने वाली कई फिल्में बनी हैं। बॉर्डर, एलओसी और उरी जैसी तमाम फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर भी धमाल मचाया है। हालांकि इस बार रक्षा मंत्रालय ने सेना पर आधारित एक फिल्म को बनाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है।
इस वजह से नहीं मिली मंजूरी
निर्माता-निर्देशक ओनिर की फिल्म को रक्षा मंत्रालय ने ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ देने से इनकार कर दिया है। क्योंकि इस फिल्म में भारतीय सैनिक के एक जवान और कश्मीरी लड़के के बीच रोमांटिक संबंधों को दर्शाया गया है। इस पर जब सांसद वरुण गांधी ने रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट से सवाल किया तो जवाब में मंत्री ने कहा कि इस फिल्म से भारतीय सेना की छवि खराब हो सकती है और राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी सवाल उठा सकते हैं।
निर्माता ओनिर ने दी ये प्रतिक्रिया
एनओसी से इनकार पर भट्ट के औचित्य पर प्रतिक्रिया देते हुए, फिल्म निर्माता ओनिर ने शुक्रवार को कहा कि सेना के एक सैन्य अधिकारी और एक स्थानीय लड़की के बीच रोमांटिक संबंधों का चित्रण सही हो सकता है, जैसा कि 2005 के भारतीय युद्ध नाटक ‘याहान’ में दिखाया गया था। फिर एक सैनिक और लड़के के बीच संबंध गलत क्यों।
So a soldier and a local girl ( like Yahaan)! Would be ok. But a Gay man can’t have any sentiments. Homophobia shows it’s ugly face https://t.co/qwxp7LyXzl
— অনির Onir اونیر ओनिर he/him (@IamOnir) February 11, 2022
ऐसी फिल्में नहीं बनाई जा सकती जिससे…
रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने कहा कि रक्षा से संबंधित विषयों पर आधारित फिल्मों के लिए फिल्म निर्माताओं/निर्माताओं को अनापत्ति प्रमाणपत्र देने से इनकार करने का कारण यह है कि सशस्त्र बलों को इस तरह से चित्रित नहीं किया जाता है, जिससे सशस्त्र बलों/सरकार/देश की बदनामी हो। पब्लिक डोमेन में ऐसा कोई मामला नहीं लाया जा सकता, जिससे देश की सुरक्षा प्रभावित है।
नहीं है अनुच्छेद 14 का उल्लंघन
रक्षा राज्यमंत्री आगे कहते हैं कि “अनुमोदन प्रक्रिया भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत गारंटीकृत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं है। स्वभाव में मनमानी / भेदभावपूर्ण नहीं है और न ही यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती है। प्रत्येक मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा, भारत की रक्षा, देश/विभिन्न राज्यों में कानून और व्यवस्था की स्थिति, सशस्त्र बलों में अनुशासन बनाए रखने, सैन्य सेवा के लोकाचार / रीति-रिवाजों, नागरिकों की सामान्य भावनाएं और भारत के नागरिकों/आम जनता के मन में सशस्त्र बलों की छवि जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए देखा गया है।”
