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Exclusive: दुर्गा जसराज ने बताई पंडित जसराज फाउंडेशन की खासियत, बोलीं- बापूजी के सिद्धांतों पर रखी इसकी नींव

सार

पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन का मूल आधार पंडित जसराज के सिद्धांतों पर आधारित है। इसका उद्देश्य संगीतकारों की नई पीढ़ी और संगीत की सभी विधाओं को आगे बढ़ाना है। 

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शास्त्रीय संगीत के मशहूर गायक पंडित जसराज जी की जयंती के अवसर पर बीते महीने ही पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन का शुभारंभ किया गया। शास्त्रीय विरासत को आगे बढ़ाने के मकसद से स्थापित इस कल्चर फाउंडेशन के बारे में पंडित जसराज जी की बेटी दुर्गा जसराज ने अमर उजाला से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने पंडित जसराज से जुड़े कई अनसुने किस्से भी सुनाए। साथ ही इस दौरान उन्होंने हाल ही में दुनिया से विदा ले चुकीं दिग्गज गायिका लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देते हुए उनसे जुड़ी यादें भी साझा कीं।

सवाल: हाल ही में पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन की स्थापना हुई है, जिसका खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटली उद्घाटन किया है। इस पूरे फाउंडेशन के पीछे आपका विचार क्या है। इसमें क्या गतिविधियां होंगी। संगीत को चाहने वाले नए बच्चे और लोग किस तरह इस से जुड़ सकते हैं?

जवाब: इस फाउंडेशन का मूल आधार बापूजी के सिद्धांतों पर आधारित है। बापूजी ने हमेशा आने वाली पीढ़ी पर ज्यादा ध्यान दिया है। उन्होंने कभी अपने शिष्यों से पैसे नहीं लिए। यहां तक कि जब आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तब भी उन्होंने किसी से कोई फीस नहीं ली। कई शिष्य हमारे घर में ही रहा करते थे। यही वजह है कि हम सब का पालन- पोषण बराबरी से हुआ है। इसके अलावा दूसरे कलाकार जो भले ही उनके शागिर्द ना रहे हों, बापूजी ने हमेशा उन्हें भी प्रोत्साहित किया। फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य संगीतकारों की नई पीढ़ी और संगीत की सभी विधाओं को आगे बढ़ाना है। 

इसे प्रमोट करने के लिए हमने एक वेबसाइट बनाई है, जिसपर अपने सभी कार्यक्रमों की रूपरेखा लिखी है। वेबसाइट के माध्यम से मैं और पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन के को- फाउंडर नीरज जेटली करीब एक हजार कलाकारों तो उस पोर्टल पर रजिस्टर करेंगे। इस वेबसाइट पर हम विभिन्न विधाओं के संगीत और अलग-अलग तरह के वाद्य यंत्रों को सिखाने के लिए शिक्षकों का पंजीयन करेंगे। इसके बाद आप अपने शिक्षक को ढूंढकर उनसे संपर्क साध सकेंगे। दुनिया भर से लोगों को यह पता चलेगा कि पंडित जसराज फाउंडेशन में मौजूद शिक्षक सर्वश्रेष्ठ हैं। क्योंकि हर कोई कॉन्सर्ट सिंगर नहीं बन सकता, लेकिन आपको संगीत आता है और आपके पास रागों का ज्ञान है, तो आप एक अच्छे शिक्षक बन सकते हैं।

इसके बाद हम वाद्य बनाने वालों की भी लिस्टिंग करेंगे। ऐसे में जिनके पास भी अपने वाद्य होंगे वह इन लोगों के साथ मिलकर अपने यंत्रों का रखरखाव कर सकेंगे। इसके अलावा हम ऑल इंडिया रेडियो, स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी के साथ भी टाइअप कर रहे हैं, क्योंकि इनके पास यंत्र तो रहते हैं, लेकिन उसे मेंटेन करने के लिए कोई नहीं होता। ऐसे में हम अपनी वेबसाइट के जरिए इनके रखरखाव में मदद करेंगे और धीरे-धीरे रखरखाव कर नेटवर्क शहर दर शहर बढ़ाते जाएंगे। इंस्ट्रूमेंट मेकर्स के जरिए हम कौशल विकास और रोजगार बढ़ाने पर कार्य करेंगे।

वहीं फाउंडेशन के तीसरे कार्यक्रम की बात करें तो इसके तहत हम शिक्षा, शोध और विकास पर कार्य करेंगे। इसके लिए हम स्कूलों के साथ भी टाइअप करना चाहते हैं, ताकि अच्छे टीचर वहां तक पहुंचा सकें। चौथे कार्यक्रम के तहत हम संगीत कलाकारों और मेकर्स के प्रमोशन को एक ऐप या पोर्टल पर स्टोर करेंगे। यही इस फाउंडेशन के मूल उद्देश्य हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी हमें इस फाउंडेशन को डिजिटल तरीके से वैश्विक स्तर पर स्थापित करने का आदेश दिया है। तो उसी दृष्टि से हम इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। इसके लिए मैं, नीरज जेटली और हमारे सलाहकार कार्यरत हैं।

सवाल: आप एक ऐसा प्लेटफार्म बना रही हैं, जहां संगीत से जुड़े सभी लोग एक दूसरे से संपर्क कर सकें। जैसा कि आजकल मोबाइल ऐप का जमाना है, तो क्या इस वेबसाइट का कोई ऐप भी होगा, जिसे हम डाउनलोड कर सकेंगे?

जवाब: ईश्वर की दया से इसके लिए एक ऐप 6 महीने में तैयार हो जाएगा। इसके लिए कार्य शुरू हो गया है। वहीं वेबसाइट भी पूरी तरीके से तैयार है, जिसका पोर्टल 2 महीने में पूरा हो जाएगा। हमने इस वेबसाइट के लिए रजिस्ट्रेशन भी शुरू कर दिए हैं।

सवाल: दुर्गा जी संगीत के उभरते कलाकारों को मंच देने के लिए रियलिटी शोज अलग-अलग तरह के माध्यम उपलब्ध हैं। लेकिन संगीत के सभी सिरों को जोड़ता हुआ कोई एक उपक्रम उपलब्ध नहीं है। आपको लगता है कि आप कई ऐसे बच्चे जो शुरू में संगीत सीखने आते हैं, लेकिन बीच में ही हार मान लेते हैं, को अपने साथ जोड़ कर रख पाएंगी?

जवाब: रियलिटी शोज का काम है टीवी पर आपका मनोरंजन करना। उनका यह दायित्व नहीं है कि वह आपका भविष्य बनाए। लेकिन ऐसे ही कई रियलिटी शोज में से आपको सुनिधि चौहान, श्रेया घोषाल, सोनू निगम, शान जैसे कलाकार भी मिले हैं। लेकिन यह उनकी मेहनत है। रियलिटी शो से उन्हें सिर्फ एक प्लेटफार्म दिया और उन्हें लोगों तक पहुंचाया। लेकिन आगे की मेहनत आपको खुद करनी पड़ेगी।

सवाल: कई सारे बच्चे जो रियलिटी शो में नजर आते हैं, उनको लगता है कि अब सारी दुनिया उनके कदमों में झुक जाएगी। लेकिन उसके लिए जो साधना होती है, उसे वह नहीं कर पाते। आप का प्लेटफार्म संगीत के ऐसे अच्छे बच्चों के लिए मार्गदर्शन का एक प्लेटफार्म बनेगा?

जवाब: बिल्कुल बनेगा। मैंने कई सारे लोगों के साथ काम किया है और मैं लगातार यह करती आ रही हूं, क्योंकि मुझे यह बेहद पसंद है। मैं चाहती हूं कि हमारे संगीत जगत में खासकर पारंपरिक संगीत में वह भी नाम कमाए। मेरा उद्देश्य रहा है कि लोग सिर्फ अच्छे संगीतकार ही नहीं बल्कि एक अच्छे परफॉर्मर भी बनें। जब आप अच्छे परफॉर्मर बनते हैं, तभी आप कलाकार बनते हैं। इसलिए हम काउंसलिंग तो करेंगे ही साथ ही उन्हें एक अच्छा प्लेटफार्म और सुविधा देने की भी कोशिश करेंगे। लेकिन यह बात भी सच है कि जिस तरह साइकिल के दोनों पहिए चलते हैं, उसी तरह यहां दोनों तरफ की तरफ से मेहनत जरूरी होगी।

सवाल: आपके इस प्लेटफार्म के जरिए शार्गिद और उस्ताद दोनों एक- दूसरे से जुड़ सकेंगे। इसके अलावा आपने कोशिश की है कि इस मंच पर सारे सितारे एक साथ आए। कहीं ना कहीं आपने एक बड़ा पुल बनाने की कोशिश की है। ऐसे ही सिखाने वाले कई उस्ताद क्या इस मंच से पहले से जुड़ चुके हैं, जिसे देखकर नए बच्चे आप से जुड़ें?

जवाब: जी हां हमारे मेंटर्स के लिस्ट में आदरणीय पद्म विभूषण पंडित शिवकुमार शर्मा जी, पद्म विभूषण पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जी, पद्म विभूषण उस्ताद अमजद अली खान साहब, पद्म भूषण डॉक्टर एम राजन, पद्मा श्री अनूप जलोटा जी शामिल हैं। इसके अलावा प्रोग्रामिंग टीम में भी काफी बड़े-बड़े कलाकार हैं। फिर हमारे सलाहकारों में सलीम मर्चेंट जैसे लोग भी हैं। कैलाश खेर हैं, मेरा भाई शरण देव हैं, जतिन- ललित हैं, पंडित दिनेश हैं। इसके साथ ही आनंद शर्मा भी प्रोग्रामिंग टीम में है। हमने अलग-अलग पहलुओं के लोग, जो संगीत जगत में अपना योगदान दे रहे हैं, उन्हें इस मंच से जोड़ा है ताकि ये अपने जूनियर्स को ट्रेनिंग दे सकें जिससे यह ट्रेनिंग लोगों तक पहुंच सके।

सवाल: अभी तक हुई बातों से यह लगता है कि यह सिर्फ एक शुरुआत भर है। ऐसे में इस सिलसिले में आपकी आगे की योजना क्या होगी?

जवाब: आगे की योजना यह है कि हम चरणबद्ध तरीके से चीजें बांट कर चलेंगे, ताकि काम ठोस हो। क्योंकि अगर आप एक साथ सभी चीजें शुरू करते हैं, तो आप हाथ पैर मारने लगते हैं। इसलिए पहले हमने जो वेबसाइट को लॉन्च किया है उसे पोर्टल बनाएंगे। इसके बाद सबसे पहले ध्यान शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार पर रहेगा। इसके लिए लगातार कार्य जारी रहेगा, लेकिन ऐप लॉन्च हम जल्द ही कर देंगे। जैसे सिलसिले वार तरीके से एक इमारत बनती है, वैसे ही हम धीरे-धीरे डिजिटल दुनिया में खुद को स्थापित करते जाएंगे। इसके लिए हम अपनी मेहनत और सारे संगीत जगत को साथ में लेकर चल रहे हैं। यह मेरे सपने के साथ मेरा लक्ष्य भी है। मेरा और हमारे को फाउंडर नीरज जेटली का अब हर एक पल इस फाउंडेशन और भारतीय संगीत के लिए समर्पित है। मैं मीडिया से भी कहना चाहूंगी कि आपका इसमें योगदान रहे। आप शास्त्रीय संगीत के कलाकारों को जिन्हें आप उचित समझे समय-समय पर जो एक्सपोजर दे सकते हैं। आपके हाथ में यह ताकत है कि आप उन्हें कलाकार बना सकते हैं। मैं इसके लिए मीडिया से उम्मीद करती हूं और प्रार्थना भी करती हूं।

 

विस्तार

शास्त्रीय संगीत के मशहूर गायक पंडित जसराज जी की जयंती के अवसर पर बीते महीने ही पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन का शुभारंभ किया गया। शास्त्रीय विरासत को आगे बढ़ाने के मकसद से स्थापित इस कल्चर फाउंडेशन के बारे में पंडित जसराज जी की बेटी दुर्गा जसराज ने अमर उजाला से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने पंडित जसराज से जुड़े कई अनसुने किस्से भी सुनाए। साथ ही इस दौरान उन्होंने हाल ही में दुनिया से विदा ले चुकीं दिग्गज गायिका लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देते हुए उनसे जुड़ी यादें भी साझा कीं।

सवाल: हाल ही में पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन की स्थापना हुई है, जिसका खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटली उद्घाटन किया है। इस पूरे फाउंडेशन के पीछे आपका विचार क्या है। इसमें क्या गतिविधियां होंगी। संगीत को चाहने वाले नए बच्चे और लोग किस तरह इस से जुड़ सकते हैं?

जवाब: इस फाउंडेशन का मूल आधार बापूजी के सिद्धांतों पर आधारित है। बापूजी ने हमेशा आने वाली पीढ़ी पर ज्यादा ध्यान दिया है। उन्होंने कभी अपने शिष्यों से पैसे नहीं लिए। यहां तक कि जब आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तब भी उन्होंने किसी से कोई फीस नहीं ली। कई शिष्य हमारे घर में ही रहा करते थे। यही वजह है कि हम सब का पालन- पोषण बराबरी से हुआ है। इसके अलावा दूसरे कलाकार जो भले ही उनके शागिर्द ना रहे हों, बापूजी ने हमेशा उन्हें भी प्रोत्साहित किया। फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य संगीतकारों की नई पीढ़ी और संगीत की सभी विधाओं को आगे बढ़ाना है। 

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