वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Fri, 31 Dec 2021 03:44 PM IST
सार
चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत बताता है और इस पर अपना दावा जताता है। इसने बुधवार को घोषणा की थी कि उसने जंगनान (चीनी में अरुणाचल प्रदेश का नाम) में 15 स्थानों के नामों का चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमाला में मानकीकरण किया है।
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विस्तार
चीन के इस कदम पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा था कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और हमेशा रहेगा। प्रदेश में विभिन्न स्थानों को अपने मन से बनाए गए नाम देने भर से यह तथ्य नहीं बदल जाएगा। उन्होंने कहा था कि चीन पहले भी इस तरह के कदम उठा चुका है। 2017 में भी उसने प्रदेश के कुछ स्थानों के नाम बदले थे जिनके बारे में उससे स्पष्टीकरण भी मांगा गया था।
भारत की आपत्ति पर चीन ने दिया ये जवाब
भारत की इस टिप्पणी पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने शुक्रवार को एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा कि तिबत का दक्षिणी हिस्सा चीन के तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के तहत आता है और यह चीन का अंतर्निहित क्षेत्र है। लिजियान ने कहा कि इस क्षेत्र में कई वर्षों से विभिन्न जातीय समूहों के लोग रह रहे हैं और इलाकों को कई नाम दिए हैं।
बता दें कि सरकारी ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि यह फैसला भौगोलिक नामों पर चीन की कैबिनेट की ओर से जारी नियमों के अनुसार लिया गया है। 15 स्थानों के आधिकारिक नामों में, जिन्हें सटीक देशांतर और अक्षांश दिया गया था, आठ आवासीय स्थान हैं, चार पहाड़ हैं, दो नदियां हैं और एक पहाड़ी दर्रा है।
चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नामों के मानकीकरण की यह दूसरी सूची है। इससे पहले उसने साल 2017 में भी ऐसी ही सूची जारी की थी, जिसमें प्रदेश के छह स्थानों के नामों मानकीकरण किया गया था।