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Bhushan Kumar Case: टी-सीरीज के भूषण कुमार के खिलाफ दुष्कर्म मामले में क्लोजर रिपोर्ट खारिज

सार

अदालत ने पुलिस को कानून के अनुसार मामले की जांच करने और जोनल पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को जांच की समीक्षा करने का निर्देश दिया। 

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मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने टी-सीरीज कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) भूषण कुमार के खिलाफ दुष्कर्म के मामले में पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा, पुलिस ने जांच में विभिन्न कानूनी पहलुओं के साथ समझौता किया है। अदालत ने पुलिस को पूरी जांच की समीक्षा करने का आदेश दिया है।

अदालत ने कहा, शिकायतकर्ता महिला ने अंतिम रिपोर्ट (बी समरी) का समर्थन करके कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग किया है जो जरूरतमंद वादियों के लिए हैं। अदालत ने पुलिस को कानून के अनुसार मामले की जांच करने और जोनल पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को जांच की समीक्षा करने का निर्देश दिया। 

दरअसल, ‘बी समरी’ रिपोर्ट तब दायर की जाती है जब पुलिस मामले को गलत मानती है या जब कोई सबूत नहीं होता है या जांच के बाद आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट आरआर खान ने इस महीने की शुरुआत में रिपोर्ट को खारिज कर दिया था जिसका विस्तृत आदेश सोमवार को उपलब्ध कराया गया।

‘बी समरी’ नोटिस मिलने के बाद महिला ने अदालत के समक्ष एक हलफनामा दायर कर कहा था कि वह एक अभिनेत्री है और उसने भूषण कुमार के खिलाफ परिस्थितिजन्य गलतफहमी के कारण आरोप लगाए थे और उन्हें वापस ले रही है। उसने ‘बी-समरी’ पर कोई आपत्ति नहीं जताई। 

पिछले साल जुलाई में 30 वर्षीय महिला ने डीएन नगर पुलिस थाने में कुमार के खिलाफ दुष्कर्म और धोखाधड़ी से संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कराया था। महिला ने शिकायत की थी कि भूषण कुमार (43) ने अपनी कंपनी में नौकरी दिलाने का झांसा देकर उसके साथ कथित तौर पर दुष्कर्म किया था।

पीड़िता के खिलाफ कानून का दुरुपयोग करने पर कार्रवाई का भी निर्देश
अदालत ने कहा, पीड़िता ने अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए उस सीमा को पार किया है जिसका महिलाएं दशकों से पालन कर रही हैं। अदालत ने अतिरिक्त लोक अभियोजक को कानून का दुरुपयोग करने वाली पीड़िता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है। 

पुलिस को भी लगाई फटकार
अदालत ने मामले की जांच को लेकर पुलिस को भी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा, मामला दर्ज होने के बाद, जांच अधिकारियों ने न तो आरोपी को गिरफ्तार करने की कोशिश की और न ही आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए अदालत का रुख किया। 

हालांकि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री दुष्कर्म के अपराध की ओर संकेत करते हैं जिसे अच्छी जांच से साबित किया जा सकता है। इससे ऐसा लगता है कि मामले की उचित जांच नहीं की गई। होटल के रिकॉर्ड, सीसीटीवी फुटेज और तफ्तीश के लिए जरूरी सबूतों को नजरअंदाज करने की कोशिश की गई है।

विस्तार

मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने टी-सीरीज कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) भूषण कुमार के खिलाफ दुष्कर्म के मामले में पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा, पुलिस ने जांच में विभिन्न कानूनी पहलुओं के साथ समझौता किया है। अदालत ने पुलिस को पूरी जांच की समीक्षा करने का आदेश दिया है।

अदालत ने कहा, शिकायतकर्ता महिला ने अंतिम रिपोर्ट (बी समरी) का समर्थन करके कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग किया है जो जरूरतमंद वादियों के लिए हैं। अदालत ने पुलिस को कानून के अनुसार मामले की जांच करने और जोनल पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को जांच की समीक्षा करने का निर्देश दिया। 

दरअसल, ‘बी समरी’ रिपोर्ट तब दायर की जाती है जब पुलिस मामले को गलत मानती है या जब कोई सबूत नहीं होता है या जांच के बाद आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट आरआर खान ने इस महीने की शुरुआत में रिपोर्ट को खारिज कर दिया था जिसका विस्तृत आदेश सोमवार को उपलब्ध कराया गया।

‘बी समरी’ नोटिस मिलने के बाद महिला ने अदालत के समक्ष एक हलफनामा दायर कर कहा था कि वह एक अभिनेत्री है और उसने भूषण कुमार के खिलाफ परिस्थितिजन्य गलतफहमी के कारण आरोप लगाए थे और उन्हें वापस ले रही है। उसने ‘बी-समरी’ पर कोई आपत्ति नहीं जताई। 

पिछले साल जुलाई में 30 वर्षीय महिला ने डीएन नगर पुलिस थाने में कुमार के खिलाफ दुष्कर्म और धोखाधड़ी से संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कराया था। महिला ने शिकायत की थी कि भूषण कुमार (43) ने अपनी कंपनी में नौकरी दिलाने का झांसा देकर उसके साथ कथित तौर पर दुष्कर्म किया था।

पीड़िता के खिलाफ कानून का दुरुपयोग करने पर कार्रवाई का भी निर्देश

अदालत ने कहा, पीड़िता ने अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए उस सीमा को पार किया है जिसका महिलाएं दशकों से पालन कर रही हैं। अदालत ने अतिरिक्त लोक अभियोजक को कानून का दुरुपयोग करने वाली पीड़िता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है। 

पुलिस को भी लगाई फटकार

अदालत ने मामले की जांच को लेकर पुलिस को भी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा, मामला दर्ज होने के बाद, जांच अधिकारियों ने न तो आरोपी को गिरफ्तार करने की कोशिश की और न ही आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए अदालत का रुख किया। 

हालांकि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री दुष्कर्म के अपराध की ओर संकेत करते हैं जिसे अच्छी जांच से साबित किया जा सकता है। इससे ऐसा लगता है कि मामले की उचित जांच नहीं की गई। होटल के रिकॉर्ड, सीसीटीवी फुटेज और तफ्तीश के लिए जरूरी सबूतों को नजरअंदाज करने की कोशिश की गई है।

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