इस बार हिंदू नववर्ष का आरंभ बहुत ही दुर्लभ योग में होने जा रहा है। वैसे तो चैत्र का महीना शुरू हो चुका लेकिन 02 अप्रैल चैत्र प्रतिपदा तिथि से नया विक्रम संवत 2079 आरंभ होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अप्रैल का महीना ग्रहों केराशि परिवर्तन के लिहाज से बहुत ही खास रहने वाला होगा। अप्रैल के महीने में कई बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन होने जा रहा है। इस महीने सभी 9 ग्रह अपनी चाल बदलते हुए एक से दूसरी राशि में गोचर करेंगे। इस तरह का संयोग बहुत कम देखने को मिलता है। अप्रैल के महीने में सभी बड़े और महत्वपूर्ण ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे।जिसमें शनि, गुरु, राहु, केतु, शुक्र, सूर्य, चंद्रमा, मंगल और बुध सभी ग्रह हैं। सभी ग्रहों के एक महीने के अंतराल पर राशि परिवर्तन करना देश और विदेश पर गहरा असर तो पड़ेगा ही साथ ही सभी राशि के जातकों के ऊपर इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं अप्रैल के महीने में कब-कब कौन से ग्रह किसी राशि में गोचर करने वाले हैं और किन राशियों पर इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिलेगा।
मंगल का राशि परिवर्तन- 07 अप्रैल 2022
सभी ग्रहों में मंगल ग्रह को सेनापति का दर्जा हासिल है। अप्रैल महीने में सबसे पहले मंगल ग्रह अपनी राशि बदलेंगे। 07 अप्रैल को मंगल ग्रह मकर राशि में अपनी यात्रा को विराम देते हुए शनि की राशि कुंभ में प्रवेश करेंगे।
बुध का राशि परिवर्तन- 08 अप्रैल 2022
बुद्धि और वाणी के देवता बुध ग्रह 08 अप्रैल 2022 को मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध ग्रह व्यापार, लेखन, कानून,वाणी और तर्क शास्त्र के कारक ग्रह हैं। इन्हें दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त है। मिथुन और कन्या राशि के स्वामी बुध ग्रह है।
शनि के बाद राहु ग्रह सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं। यह किसी एक राशि में करीब 18 महीने तक रहते हैं। अप्रैल के महीने में होने वाला राहु का परिवर्तन सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण होगा। 12 अप्रैल 2022 को राहु 18 वर्षों बाद मेष राशि में प्रवेश करेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु हमेशा उल्टी चाल से ही चलते हैं। राहु का राशि परिवर्तन सभी जातकों के जीवन पर जरूर पड़ेगा।
केतु का राशि परिवर्तन – 12 अप्रैल 2022
राहु-केतु को छाया ग्रह माना गया है। राहु के साथ केतु भी अप्रैल के महीने में राशि परिवर्तन करेंगे। केतु मौजूदा समय में वृश्चिक राशि में विराजमान है। 12 अप्रैल को केतु वृश्चिक राशि की अपनी यात्रा को खत्म करते हुए अगले 18 महीनों के लिए तुला राशि में गोचर करेंगे। राहु की तरह केतु भी हमेशा वक्री चाल से चलते हैं।
