ब्रह्मांड के 9 ग्रह आगामी अप्रैल माह में ही अपना राशि परिवर्तन कर रहे हैं। यह साधारण घटना नहीं है। सबसे पहले मंगल ग्रह 07 अप्रैल को मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करेंगे, फिर 08 अप्रैल को बुध मेष राशि में प्रवेश करेंगे। 12 अप्रैल को राहु-केतु राशि परिवर्तन करेंगे। 13 अप्रैल को देव गुरु बृहस्पति शनि की मूल त्रिकोण राशि को छोड़कर अपनी स्वयं की राशि मीन में प्रवेश करेंगे। अतः देव गुरु बृहस्पति अपने अच्छे फल देने की पूरी कोशिश करेंगे। इसके पश्चात 14 अप्रैल को सूर्य की संक्रांति मेष राशि में होगी और 27अप्रैल को शुक्र मीन राशि में प्रवेश करेंगे। 29 अप्रैल को शनि का कुंभ राशि में प्रवेश हो जाएगा।
एक ही महीने में सभी ग्रहों का राशि परिवर्तन करना एक बड़े बदलाव को दर्शाता है। इतने बड़े ग्रही परिवर्तन का प्रभाव आगे आने वाले कई महीनों तक दिखेगा। ग्रहों के राजा सूर्य का अपनी उच्च राशि में होना सरकारी व्यवस्था से लाभ या सरकार को लाभ दर्शाता है। शिक्षा,अनुसंधान,राजनीति के क्षेत्र में काफी बड़े बदलाव आगे आने वाले समय में देखने को मिलेंगे। हालांकि राहु और सूर्य की युति 14 मई तक बनी रहेगी जिससे राजनीति के क्षेत्र में बड़े परिवर्तन होंगे तथा राहु और सूर्य की युति से किसी उच्चस्तरीय राजनेता को अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ सकता है।
09 ग्रहों का राशि परिवर्तन और दुनिया पर इसका प्रभाव
यह समय दुनिया में एक बदलाव का समय रहेगा। जहां पुरानी व्यवस्था समाप्त होंगी और नई व्यवस्था का उदय होगा। राहु का मेष राशि में गोचर मतलब व्यवस्थाओं को वह पूरी तरीके से बदल देगा। केतु तुला राशि में प्रवेश करेंगे तो सामाजिक व्यवस्थाओं को मजबूत करने का काम किया जा सकता है। साल 2019 में गुरु ने जैसे ही धनु राशि में प्रवेश किया राहु केतु अक्ष में होने की वजह से यह अपने सर्वश्रेष्ठ फल नहीं दे पाए जिसके फलस्वरूप कोरोना जैसी महामारी का विस्तार हुआ।
गुरु का राशि परिवर्तन और प्रभाव
अब देवगुरु बृहस्पति अपनी स्वयं की राशि मीन में गोचर करेंगे जिसके फल स्वरूप कोरोना वायरस से राहत मिलेगी।शिक्षा के क्षेत्र में विस्तार होगा। बृहस्पति ज्ञान के कारक हैं अतः बुद्धिजीवी अपने बुद्धिमता के साथ देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सक्षम रहेंगे। आम जनमानस धर्म की ओर आगे बढ़ेगा। आने वाले समय में गुरु और शुक्र की युति भी देखने को मिलेगी जो कि यह दिखाती है कि धर्मगुरु या राजनैतिक नेता आगे आने वाले विवादों को सुलझाने की कोशिश करेंगे तथा लोगों में सामंजस्य बनाए रखेंगे। हालांकि किसी बड़े नेता या धर्मगुरु के जीवन को भी खतरा होने की संभावनाएं है। अतः एक साथ इतने बड़े पैमाने पर ग्रहों का परिवर्तन यह एक विचित्र खगोलीय घटना है। इसके नकारात्मक और सकारात्मक दोनों प्रभाव पूरे विश्व पटल पर देखने को मिलेंगे।
मंगल-शनि की युति का ज्योतिषीय विश्लेषण
अप्रैल माह में मंगल और शनि की युति एक ही राशि में समान डिग्री में होने की वजह से आगजनी की घटनाएं,विस्फोट होना आदि किसी बड़ी दुर्घटना की ओर इशारा कर रहा है। हवाई दुर्घटना, ट्रेन दुर्घटना, कोई बड़ा हादसा या आतंकवादी घटनाएं बढ़ सकती हैं। विश्व के किसी बड़े देश के राष्ट्राध्यक्ष को कोई बड़ी दिक्कत हो सकती है। यह भी देखने में आ सकता है कि सरकार कोई नया कानून लाए और उसका विरोध आम जनता करें। मंगल शनि की युति को ज्योतिष जगत में बहुत अच्छा नहीं माना जाता है। शनि मंगल के साथ व मंगल के धनिष्ठा नक्षत्र में है और मंगल शनि की राशि में उच्च के बैठे है अतः दोनों ही ग्रह बलवान स्थिति में है। इसके फस्वरूप अंतरराष्ट्रीय सीमा के ऊपर कोई विवाद हो सकता है। सुनामी का प्रभाव देखा जा सकता है।
दो ग्रहण और इसका प्रभाव
तीन महीने के अंदर इन ग्रहों के परिवर्तन का प्रभाव ज्यादा देखने को मिलेगा क्योंकि दो ग्रहण भी आने वाले समय में पश्चिमी देशों में दिखाई देंगे। 30 अप्रैल और 16 मई को ग्रहण पश्चिमी देशों में पूर्ण रूप से दृष्ट है। अतः ज्योतिष के अनुसार जहां ग्रहण दिखाई देता है वहां उसका नकारात्मक प्रभाव जरूर पड़ता है। रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष चल ही रहा हैं। आने वाले समय में चीन और ताइवान के बीच संघर्ष हो सकता है। अतः हम यह कह सकते हैं कि पश्चिमी देशों में उथल-पुथल का माहौल आगे आने वाले काफी समय तक दिखाई देगा। गुरु और नेपच्यून की युति भी हो रही है और मई तक मंगल व शनि की युति एक बार फिर से देखने को मिलेगी जिससे कि जातिवाद, क्षेत्रवाद की भावना भी बढ़ेगी। सांप्रदायिक हिंसा विश्व के कई क्षेत्रों में हो सकती है। शनि व मंगल की युति मई माह में भी होगी अतः किसी बड़ी भूकंप की घटना हो सकती है। पड़ोसी देशों से परेशानी हो सकती है हालांकि भारत पर प्रभाव ज्यादा नहीं पड़ेगा।