एजेंसी, कोच्चि।
Published by: योगेश साहू
Updated Tue, 01 Feb 2022 05:36 AM IST
सार
विदेश मंत्रालय ने अदालत को बताया है कि महिला को अपने बेटे की रिहाई के लिए सितंबर, 2025 तक इंतजार करना चाहिए। तभी रिहाई के बाद उसे भारत लाया जा सकेगा। सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि यूएई स्थित भारतीय दूतावास ने स्थानीय अधिकारियों से इस मामले में सहानुभूतिपूर्ण विचार करते हुए मोहम्मद को माफी देने की बात कही थी।
जेल (प्रतीकात्मक तस्वीर)
– फोटो : istock
केरल हाईकोर्ट ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की जेल में 10 साल की सजा काट रहे युवक को कानूनी सहायता पहुंचाने के लिए युवक की मां की अपील पर विदेश मंत्रालय से तीन महीने में निर्णय लेने को कहा है। भारत सरकार के लिए जासूसी करने के आरोप में 2015 से जेल में बंद युवक की मां ने बेटे को रिहा कर भारत लाने की अपील की थी।
जस्टिस पीवी कुनहिकृष्णन ने विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया है कि यूएई की जेल में बंद युवक को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए महिला की अपील पर मंत्रालय तीन महीने में फैसला करे। कोर्ट ने मंत्रालय को आदेश दिया है कि अंतिम फैसला लेने से पहले महिला को ऑनलाइन सुनवाई का मौका दिया जाए।
महिला ने अपने बेटे की रिहाई के साथ ही उसे भारत लाने की अपील की है। केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में हाईकोर्ट को बताया था कि महिला के बेटे शिहानी मीरा साहिब जमाल मोहम्मद को 2015 में 10 साल की सजा हुई थी और आबूधाबी की संघीय अदालत ने भी उसकी सजा को बरकरार रखा है।
मंत्रालय ने अदालत को यह भी बताया है कि महिला को अपने बेटे की रिहाई के लिए सितंबर, 2025 तक इंतजार करना चाहिए। तभी रिहाई के बाद उसे भारत लाया जा सकेगा। सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि यूएई स्थित भारतीय दूतावास ने स्थानीय अधिकारियों से इस मामले में सहानुभूतिपूर्ण विचार करते हुए मोहम्मद को माफी देने की बात कही थी, लेकिन देश की सुरक्षा का मसला होने के कारण उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया।
फिलहाल इससे अधिक कुछ करने में दूतावास असमर्थ है। उधर महिला का कहना है कि उसके बेटे को कोई कानूनी सहायता नहीं दी जा रही है और उसका वहां उत्पीड़न किया जा रहा है।
विस्तार
केरल हाईकोर्ट ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की जेल में 10 साल की सजा काट रहे युवक को कानूनी सहायता पहुंचाने के लिए युवक की मां की अपील पर विदेश मंत्रालय से तीन महीने में निर्णय लेने को कहा है। भारत सरकार के लिए जासूसी करने के आरोप में 2015 से जेल में बंद युवक की मां ने बेटे को रिहा कर भारत लाने की अपील की थी।
जस्टिस पीवी कुनहिकृष्णन ने विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया है कि यूएई की जेल में बंद युवक को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए महिला की अपील पर मंत्रालय तीन महीने में फैसला करे। कोर्ट ने मंत्रालय को आदेश दिया है कि अंतिम फैसला लेने से पहले महिला को ऑनलाइन सुनवाई का मौका दिया जाए।
महिला ने अपने बेटे की रिहाई के साथ ही उसे भारत लाने की अपील की है। केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में हाईकोर्ट को बताया था कि महिला के बेटे शिहानी मीरा साहिब जमाल मोहम्मद को 2015 में 10 साल की सजा हुई थी और आबूधाबी की संघीय अदालत ने भी उसकी सजा को बरकरार रखा है।
मंत्रालय ने अदालत को यह भी बताया है कि महिला को अपने बेटे की रिहाई के लिए सितंबर, 2025 तक इंतजार करना चाहिए। तभी रिहाई के बाद उसे भारत लाया जा सकेगा। सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि यूएई स्थित भारतीय दूतावास ने स्थानीय अधिकारियों से इस मामले में सहानुभूतिपूर्ण विचार करते हुए मोहम्मद को माफी देने की बात कही थी, लेकिन देश की सुरक्षा का मसला होने के कारण उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया।
फिलहाल इससे अधिक कुछ करने में दूतावास असमर्थ है। उधर महिला का कहना है कि उसके बेटे को कोई कानूनी सहायता नहीं दी जा रही है और उसका वहां उत्पीड़न किया जा रहा है।
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