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स्ट्रीमिंग मीडिया: ग्लोबल हब बना भारत, यहां पांव जमाने में जुटीं बड़ी कंपनियां

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Sat, 12 Feb 2022 06:36 PM IST

सार

विश्लेषकों का कहना है कि भारत स्ट्रीमिंग उद्योग के लिए बड़ा बाजार बन गया है, लेकिन वहां के सब्सक्राइबर स्थानीय भाषा में कंटेंट की ज्यादा मांग करते हैं। वह कंटेंट तैयार करना फिलहाल काफी महंगा पड़ रहा है। ऐसे कंटेंट तैयार करने में अभी सबसे ज्यादा निवेश अमेजन प्राइम और नेटफ्लिक्स ने कर रखा है। उनके बाद जी5, हॉटस्टार, वूट, और एएलटी बालाजी का नंबर है…

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अमेरिका में स्ट्रीमिंग मीडिया का बाजार गतिरुद्ध हो गया है। इसलिए अब यहां की स्ट्रीमिंग सेवा देने वाली बड़ी कंपनियों की निगाह भारत पर टिकी हैं। इंटरनेट यूजर्स की संख्या के लिहाज से भारत का दुनिया में दूसरा नंबर है। इसलिए अब अमेरिका की बड़ी मीडिया कंपनियां भारत में अपनी संभावना देख रही हैं। ये बात न्यूज वेबसाइट एक्सियोस.कॉम की एक रिपोर्ट में बताई गई है।

जानी-मानी पत्रिका फॉरेन पॉलिसी के प्रधान संपादक रवि अग्रवाल ने वेबसाइट एक्सियोस से कहा- ‘इंटरनेट पर लगाए गए यूजर्स के समय को मॉनिटाइज करने (यानी उसे मुद्रा में बदलने) के लिहाज से भारत में बड़ी संभावनाएं हैं।’ अग्रवाल ‘इंडिया कनेक्टेडः हाव द स्मार्टफोन इस ट्रांसफॉर्मिंग द वर्ल्ड्स लारजेस्ट डेमोक्रेसी’ नाम की किताब के लेखक भी हैं। उन्होंने कहा- ‘अब असल लड़ाई इंटरनेट पर आने वाले लोगों से मुनाफा कमाने की है। चाहे यह सब्सक्रिप्शन (ग्राहकी) के जरिए हो, या डाटा, या विज्ञापन के जरिए।’

चौंकाने वाली है डिज्नी की रिपोर्ट

पैरॉट एनालिटिक्स नाम की एजेंसी के आंकड़ों के मुताबिक गैर-अंग्रेजी भाषी कार्यक्रमों के बीच हिंदी भाषा में बनाए जाने वाले कार्यक्रमों की वैश्विक मांग इस समय सबसे ज्यादा है। वैसे पैरॉट एनालिटिक्स ने कहा है कि हाल में जापानी भाषा के कंटेंट ने हिंदी का कुछ हिस्सा छीना है। अमेरिका में ताजा चर्चा बीते बुधवार को डिज्नी की तरफ से जारी हुई रिपोर्ट के बाद तेज हुई है। डिज्नी ने अपने विवरण मे बताया कि अब अमेरिका नहीं, बल्कि भारत उसका सबसे बड़ा बाजार है। इसके मुताबिक पिछले साल के अंत तक डिज्नी और हॉटस्टार के भारत में चार करोड़ 59 लाख सब्सक्राइबर थे। जबकि अमेरिका में उसके सब्सक्राइबर्स की संख्या चार करोड़ 29 लाख ही थी।

डिज्नी ने 2019 में हॉटस्टार खरीदा था। हॉटस्टार इस समय भारत में सबसे बड़ा स्ट्रीमिंग प्लैटफॉर्म है। खासकर आईपील के प्रसारण का अधिकार उसके पास होने के कारण उसके सब्सक्राइबर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक रिपोर्ट में कहा है कि क्रिकेट प्रसारण भारतीय बाजार में प्रवेश का एक बड़ा दरवाजा है।

विश्लेषकों का कहना है कि भारत स्ट्रीमिंग उद्योग के लिए बड़ा बाजार बन गया है, लेकिन वहां के सब्सक्राइबर स्थानीय भाषा में कंटेंट की ज्यादा मांग करते हैं। वह कंटेंट तैयार करना फिलहाल काफी महंगा पड़ रहा है। ऐसे कंटेंट तैयार करने में अभी सबसे ज्यादा निवेश अमेजन प्राइम और नेटफ्लिक्स ने कर रखा है। उनके बाद जी5, हॉटस्टार, वूट, और एएलटी बालाजी का नंबर है।

बड़ा मुनाफा कमाना कठिन

विश्लेषकों के मुताबिक भारतीय स्ट्रीमिंग बाजार में बड़ी संभावनाएं हैं, लेकिन वहां बड़ा मुनाफा कमाना अभी कठिन बना हुआ है। भारत में ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं, जो विज्ञापन के समर्थन से चलने वाले मुफ्त कंटेंट देखना पसंद करते हैं। सब्सक्रिप्शन लेकर देखना अभी बहुत कम ग्राहकों की आदत में शुमार हुआ है। इसी वजह से डिज्नी-हॉटस्टार का प्रति सब्सक्राइबर राजस्व भारत में सिर्फ 1.03 डॉलर है, जबकि अमेरिका में ये रकम 6.68 डॉलर है।

इसके बावजूद भारतीय बाजार में स्ट्रीमिंग कंपनियां भारी निवेश कर रही हैं। इसे देखते हुए इसी हफ्ते लुपा सिस्टम्स के सीईओ जेम्स मॉरडॉक ने बोधि ट्री नाम से एक नया निवेश प्लैटफॉर्म शुरू करने का एलान किया। इसका मकसद भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के लिए खास कंटेंट तैयार करना बताया गया है।

विस्तार

अमेरिका में स्ट्रीमिंग मीडिया का बाजार गतिरुद्ध हो गया है। इसलिए अब यहां की स्ट्रीमिंग सेवा देने वाली बड़ी कंपनियों की निगाह भारत पर टिकी हैं। इंटरनेट यूजर्स की संख्या के लिहाज से भारत का दुनिया में दूसरा नंबर है। इसलिए अब अमेरिका की बड़ी मीडिया कंपनियां भारत में अपनी संभावना देख रही हैं। ये बात न्यूज वेबसाइट एक्सियोस.कॉम की एक रिपोर्ट में बताई गई है।

जानी-मानी पत्रिका फॉरेन पॉलिसी के प्रधान संपादक रवि अग्रवाल ने वेबसाइट एक्सियोस से कहा- ‘इंटरनेट पर लगाए गए यूजर्स के समय को मॉनिटाइज करने (यानी उसे मुद्रा में बदलने) के लिहाज से भारत में बड़ी संभावनाएं हैं।’ अग्रवाल ‘इंडिया कनेक्टेडः हाव द स्मार्टफोन इस ट्रांसफॉर्मिंग द वर्ल्ड्स लारजेस्ट डेमोक्रेसी’ नाम की किताब के लेखक भी हैं। उन्होंने कहा- ‘अब असल लड़ाई इंटरनेट पर आने वाले लोगों से मुनाफा कमाने की है। चाहे यह सब्सक्रिप्शन (ग्राहकी) के जरिए हो, या डाटा, या विज्ञापन के जरिए।’

चौंकाने वाली है डिज्नी की रिपोर्ट

पैरॉट एनालिटिक्स नाम की एजेंसी के आंकड़ों के मुताबिक गैर-अंग्रेजी भाषी कार्यक्रमों के बीच हिंदी भाषा में बनाए जाने वाले कार्यक्रमों की वैश्विक मांग इस समय सबसे ज्यादा है। वैसे पैरॉट एनालिटिक्स ने कहा है कि हाल में जापानी भाषा के कंटेंट ने हिंदी का कुछ हिस्सा छीना है। अमेरिका में ताजा चर्चा बीते बुधवार को डिज्नी की तरफ से जारी हुई रिपोर्ट के बाद तेज हुई है। डिज्नी ने अपने विवरण मे बताया कि अब अमेरिका नहीं, बल्कि भारत उसका सबसे बड़ा बाजार है। इसके मुताबिक पिछले साल के अंत तक डिज्नी और हॉटस्टार के भारत में चार करोड़ 59 लाख सब्सक्राइबर थे। जबकि अमेरिका में उसके सब्सक्राइबर्स की संख्या चार करोड़ 29 लाख ही थी।

डिज्नी ने 2019 में हॉटस्टार खरीदा था। हॉटस्टार इस समय भारत में सबसे बड़ा स्ट्रीमिंग प्लैटफॉर्म है। खासकर आईपील के प्रसारण का अधिकार उसके पास होने के कारण उसके सब्सक्राइबर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक रिपोर्ट में कहा है कि क्रिकेट प्रसारण भारतीय बाजार में प्रवेश का एक बड़ा दरवाजा है।

विश्लेषकों का कहना है कि भारत स्ट्रीमिंग उद्योग के लिए बड़ा बाजार बन गया है, लेकिन वहां के सब्सक्राइबर स्थानीय भाषा में कंटेंट की ज्यादा मांग करते हैं। वह कंटेंट तैयार करना फिलहाल काफी महंगा पड़ रहा है। ऐसे कंटेंट तैयार करने में अभी सबसे ज्यादा निवेश अमेजन प्राइम और नेटफ्लिक्स ने कर रखा है। उनके बाद जी5, हॉटस्टार, वूट, और एएलटी बालाजी का नंबर है।

बड़ा मुनाफा कमाना कठिन

विश्लेषकों के मुताबिक भारतीय स्ट्रीमिंग बाजार में बड़ी संभावनाएं हैं, लेकिन वहां बड़ा मुनाफा कमाना अभी कठिन बना हुआ है। भारत में ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं, जो विज्ञापन के समर्थन से चलने वाले मुफ्त कंटेंट देखना पसंद करते हैं। सब्सक्रिप्शन लेकर देखना अभी बहुत कम ग्राहकों की आदत में शुमार हुआ है। इसी वजह से डिज्नी-हॉटस्टार का प्रति सब्सक्राइबर राजस्व भारत में सिर्फ 1.03 डॉलर है, जबकि अमेरिका में ये रकम 6.68 डॉलर है।

इसके बावजूद भारतीय बाजार में स्ट्रीमिंग कंपनियां भारी निवेश कर रही हैं। इसे देखते हुए इसी हफ्ते लुपा सिस्टम्स के सीईओ जेम्स मॉरडॉक ने बोधि ट्री नाम से एक नया निवेश प्लैटफॉर्म शुरू करने का एलान किया। इसका मकसद भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के लिए खास कंटेंट तैयार करना बताया गया है।

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