न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रशांत कुमार झा
Updated Fri, 10 Dec 2021 08:31 AM IST
सार
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिता के मारे जाने के बाद हेलीकॉप्टर के ऊपर कई सवाल खड़े हो रहे। एमआई-17 के भेजने से पहले दो टोही विमान भेज गए थे।इसको लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत
– फोटो : ANI
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विस्तार
तमिलनाडु के सुलूर में 8 दिसंबर को हेलीकॉप्टर हादसे में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत , उनकी पत्नी और अन्य 11 सैन्य अधिकारियों का निधन हो गया। घटना के बाद अब अब हेलीकॉप्टर को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।उड़ान भरने से पहले क्या वायुसेना की ओर से उस रूट पर टोही विमान भेजे गए थे, इसको लेकर बहस जारी है। ,सुलूर बेस का कहना है सीडीएस प्रमुख बिपिन रावत और उनकी पत्नी के हेलीकॉप्टर के उड़ान भरने से पहले वायुसेना की ओर उस रूट पर खोजी विमान भेजे गए थे। इसपर विरोधाभासी रिपोर्ट जारी है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार. सुलूर एयर बेस के एक अफसर ने कहा है कि प्रोटोकॉल के तहत नीलगिरि के मौसम का अनुमान लगाने के लिए वायुसेना के दो हेलीकॉप्टरों को रूट का स्काउट करने के लिए भेजा गया था। विमानों के खोने की बात पर अफसर ने कहा, ‘हम इस बात को लेकर पक्के नहीं हैं कि क्या ये हेलीकॉप्टर वेलिंगटन हेलिपैड पर उतरे थे या बिना उतरे वापस आए थे। वहीं, मद्रास रेजिमेंटल सेंटर के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी का कहना है, “चूंकि एमआई-17 एक भरोसेमंद हेलीकॉप्टर है, इसलिए वास्तविक तौर पर छोटे हेलीकॉप्टर्स की ओर से कोई भी ट्रायल रन नहीं किया गया था।”