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सुप्रीम कोर्ट: नोएडा अथॉरिटी ने कहा, सुपरटेक के एमरल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में नहीं हुई नियमों की अनदेखी 

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 30 Jul 2021 05:16 AM IST

सार

नोएडा अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट में रियल एस्टेट कंपनी का लिया पक्ष

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नोएडा अथॉरिटी ने बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के एमरल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में उनके अधिकारियों ने किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है। उसका कहना है कि इस प्रोजेक्ट में हरित क्षेत्र, ओपन स्पेस समेत किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है और सभी निर्धारित सीमा के अंदर है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ के समक्ष नोएडा अथॉरिटी के वकील रविंदर कुमार ने कहा कि इस प्रोजेक्ट में उनके अधिकारियों द्वारा उपनियमों की अनदेखी नहीं की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि इस हाउसिंग सोसायटी की मूल योजना और संशोधित योजना, नियमों के मुताबिक मंजूर की गई।

वर्ष 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस हाउसिंग सोसायटी में एफएआर के उल्लंघन पर दो टावरों को गिराने का आदेश दिया था। साथ ही इसमें शामिल अथॉरिटी के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था। हालांकि आदेश के खिलाफ सुपरटेक द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। मामले की अगली सुनवाई तीन अगस्त को होगी। 

टावर नंबर-17 का निर्माण हरित क्षेत्र में हुआ : फ्लैट खरीदार
फ्लैट खरीदार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जयंत भूषण ने पीठ से कहा कि टावर नंबर-17 का निर्माण हरित क्षेत्र में हुआ है। उनका यह भी कहना था कि मूल योजना में बदलाव के लिए फ्लैट खरीदारों की सहमति जरूरी है, लेकिन इस मामले में बिना उनकी सहमति के ही 40 मंजिल का टावर खड़ा कर दिया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले में दो टावरों के बीच की दूरी के नियम का भी पालन नहीं हुआ है।

नियम के अनुसार ही प्रोजेक्ट को अंजाम दिया : सुपरटेक
सुपरटेक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि कंपनी ने नियम के मुताबिक ही प्रोजेक्ट को अंजाम दिया है। फ्लैट खरीदार से पूर्व अनुमति के मामले में उन्होंने कहा कि जब इस योजना को अंजाम दिया गया था उस वक्त वहां कोई पंजीकृत आरडब्ल्यूए नहीं थी, ऐसे में उसके लिए सभी खरीदारों से सहमति लेना संभव नहीं था।

विस्तार

नोएडा अथॉरिटी ने बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के एमरल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में उनके अधिकारियों ने किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है। उसका कहना है कि इस प्रोजेक्ट में हरित क्षेत्र, ओपन स्पेस समेत किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है और सभी निर्धारित सीमा के अंदर है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ के समक्ष नोएडा अथॉरिटी के वकील रविंदर कुमार ने कहा कि इस प्रोजेक्ट में उनके अधिकारियों द्वारा उपनियमों की अनदेखी नहीं की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि इस हाउसिंग सोसायटी की मूल योजना और संशोधित योजना, नियमों के मुताबिक मंजूर की गई।

वर्ष 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस हाउसिंग सोसायटी में एफएआर के उल्लंघन पर दो टावरों को गिराने का आदेश दिया था। साथ ही इसमें शामिल अथॉरिटी के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था। हालांकि आदेश के खिलाफ सुपरटेक द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। मामले की अगली सुनवाई तीन अगस्त को होगी। 

टावर नंबर-17 का निर्माण हरित क्षेत्र में हुआ : फ्लैट खरीदार

फ्लैट खरीदार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जयंत भूषण ने पीठ से कहा कि टावर नंबर-17 का निर्माण हरित क्षेत्र में हुआ है। उनका यह भी कहना था कि मूल योजना में बदलाव के लिए फ्लैट खरीदारों की सहमति जरूरी है, लेकिन इस मामले में बिना उनकी सहमति के ही 40 मंजिल का टावर खड़ा कर दिया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले में दो टावरों के बीच की दूरी के नियम का भी पालन नहीं हुआ है।

नियम के अनुसार ही प्रोजेक्ट को अंजाम दिया : सुपरटेक

सुपरटेक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि कंपनी ने नियम के मुताबिक ही प्रोजेक्ट को अंजाम दिया है। फ्लैट खरीदार से पूर्व अनुमति के मामले में उन्होंने कहा कि जब इस योजना को अंजाम दिया गया था उस वक्त वहां कोई पंजीकृत आरडब्ल्यूए नहीं थी, ऐसे में उसके लिए सभी खरीदारों से सहमति लेना संभव नहीं था।

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