अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Tue, 22 Mar 2022 06:49 AM IST
सार
शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में फर्जी दावे कर मुआवजे की प्रक्रिया का दुरुपयोग होने पर आश्चर्य जताया था। पीठ ने कहा था, हमने कभी नहीं सोचा था कि इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है। यह एक बहुत ही पवित्र कार्य है और हमने सोचा था कि हमारी नैतिकता इतनी नीचे नहीं गई है कि ऐसे मामलों में भी कुछ नकली दावे होंगे।
supreme court, सुप्रीम कोर्ट
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना से मरने वालों के परिजनों को मुआवजे का दावा करने के लिए सरकार द्वारा सुझाई चार सप्ताह की समय सीमा पर्याप्त नहीं है। समय सीमा बढ़ाने और फर्जी दावों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, बुधवार को आदेश की उम्मीद की जा सकती है। साथ ही संकेत दिया, पिछली मौतों के लिए 60 दिन और भविष्य में होने वाली मौतों के लिए 90 दिन की समय सीमा तय की जा सकती है।
फर्जी दावों के मुद्दे पर पीठ ने संकेत दिया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से शुरुआत में चार राज्यों आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, केरल और गुजरात में पांच फीसदी दावों का औचक सर्वेक्षण करने के लिए कहा जा सकता है।
पीठ ने कहा, इन राज्यों में दावों की संख्या व दर्ज मौतों की संख्या में व्यापक अंतर है। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को दावों के लिए आवेदन करने के लिए चार हफ्ते की समय सीमा तय करने का सुझाव दिया।
पीठ ने कहा, यह समयावधि कम है। जस्टिस शाह ने कहा, मृत्यु होती है तो परिवार को दुख से उबरने और फिर दावा दायर करने के लिए समय चाहिए। ऐसे में चार हफ्ते की समय सीमा कम है। जिसके बाद मेहता ने भी हामी भरी। केंद्र ने यह कहते हुए आवेदन दायर किया है कि दावे के लिए समय सीमा निर्धारित न करने पर दावा प्रक्रिया अंतहीन होगी।
फर्जी दावों का निरीक्षण प्रदेश पुलिस से नहीं कराने का सुझाव
फर्जी दावों पर केरल के वकील आर बसंत ने सुझाव दिया, मामला राज्य पुलिस को नहीं सौंपा जाना चाहिए। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को दावों का सत्यापन करने के लिए कहा जा सकता है। सॉलिसिटर जनरल ने सूचित किया, आपदा प्रबंधन अधिनियम झूठे दावों पर सजा के लिए वैधानिक शक्ति प्रदान करता है। जिस पर पीठ ने कहा, वह बुधवार को आदेश पारित करेगी।
फर्जी दावों पर कोर्ट ने कहा था, हम सोच भी नहीं सकते दुरुपयोग होगा
शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में फर्जी दावे कर मुआवजे की प्रक्रिया का दुरुपयोग होने पर आश्चर्य जताया था। पीठ ने कहा था, हमने कभी नहीं सोचा था कि इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है। यह एक बहुत ही पवित्र कार्य है और हमने सोचा था कि हमारी नैतिकता इतनी नीचे नहीं गई है कि ऐसे मामलों में भी कुछ नकली दावे होंगे।
