एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Thu, 02 Dec 2021 03:05 AM IST
सार
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने राज्यों को यह चेतावनी भी दी कि यदि वे अदालतों की अवसंरचना विकसित करने के लिए अपने हिस्से की राशि नहीं देते हैं तो केंद्र सरकार से मिलने वाले फंड से भी उन्हें हाथ धोना पड़ सकता है।
सांकेतिक तस्वीर….
– फोटो : फाइल फोटो
जिला एवं राज्य उपभोक्ता अदालतों में लंबित नियुक्तियों में देरी से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि वह अब ऐसा कदम उठाने जा रहा है, जो नहीं होना चाहिए। लिहाजा राज्य सरकारों को या तो इन अदालतों में आदेशानुसार नियुक्तियों के लिए कदम उठाना होगा या फिर अपने मुख्य सचिवों को तलब किए जाने के लिए तैयार रहना होगा।
शीर्ष अदालत ने जिला एवं राज्य उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति में सरकारों की हीलाहवाली तथा देशभर में नाकाफी अधोसंरचना पर स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई करते हुए ये बातें कही।
पीठ ने कहा, भवनों और दूसरे कार्यों के लिए अनुदान राशि आधी-आधी तय की गई है। हमारे पास राज्यों द्वारा इस्तेमाल नहीं की गई राशि की एक सितंबर तक की स्थिति रिपोर्ट मौजूद है जिसमें बड़े हिस्से की राशि को यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (यूसी) की श्रेणी में रखा गया है। यही बहुत अच्छी स्थिति नहीं बताती है। राज्यों को भी योजना बनानी होगी ताकि राशि बेकार न हो जाए।
पीठ ने न्यायमित्र और वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन की रिपोर्ट और सुझाव पर गौर किया तथा उपभोक्ता अदालतों में नियुक्तियां करने के लिए राज्यों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के बारे में बताया। पीठ ने राजस्थान सरकार से नाराजगी जताते हुए उसके वकील को चेतावनी दी कि जरूरी जानकारी पाने के लिए अगली सुनवाई की तारीख में मुख्य सचिव को तलब किया जाएगा।
विस्तार
जिला एवं राज्य उपभोक्ता अदालतों में लंबित नियुक्तियों में देरी से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि वह अब ऐसा कदम उठाने जा रहा है, जो नहीं होना चाहिए। लिहाजा राज्य सरकारों को या तो इन अदालतों में आदेशानुसार नियुक्तियों के लिए कदम उठाना होगा या फिर अपने मुख्य सचिवों को तलब किए जाने के लिए तैयार रहना होगा।
शीर्ष अदालत ने जिला एवं राज्य उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति में सरकारों की हीलाहवाली तथा देशभर में नाकाफी अधोसंरचना पर स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई करते हुए ये बातें कही।
पीठ ने कहा, भवनों और दूसरे कार्यों के लिए अनुदान राशि आधी-आधी तय की गई है। हमारे पास राज्यों द्वारा इस्तेमाल नहीं की गई राशि की एक सितंबर तक की स्थिति रिपोर्ट मौजूद है जिसमें बड़े हिस्से की राशि को यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (यूसी) की श्रेणी में रखा गया है। यही बहुत अच्छी स्थिति नहीं बताती है। राज्यों को भी योजना बनानी होगी ताकि राशि बेकार न हो जाए।
पीठ ने न्यायमित्र और वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन की रिपोर्ट और सुझाव पर गौर किया तथा उपभोक्ता अदालतों में नियुक्तियां करने के लिए राज्यों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के बारे में बताया। पीठ ने राजस्थान सरकार से नाराजगी जताते हुए उसके वकील को चेतावनी दी कि जरूरी जानकारी पाने के लिए अगली सुनवाई की तारीख में मुख्य सचिव को तलब किया जाएगा।
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