Desh

12 सांसदों का निलंबन: विपक्ष के प्रदर्शन से नायडू खफा, बोले-1962 में हुई थी इसकी शुरुआत, क्या सभी सरकारें अलोकतांत्रिक?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: मुकेश कुमार झा
Updated Thu, 02 Dec 2021 12:19 PM IST

सार

राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब सदन में सांसदों के निलंबन की घटना हुई हो। उन्होंने कहा कि 1962 से 2010 तक 11 बार ऐसे मौके आए हैं, जब सदस्यों को निलंबित किया गया है।

राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू
– फोटो : अमर उजाला

ख़बर सुनें

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही राज्यसभा के 12 सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई। सदन में जोरदार हंगामा और अफरा-तफरी मचाने के चलते इन 12 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। वहीं, अब इस मामले में राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब सदन में सांसदों के निलंबन की घटना हुई हो। उन्होंने कहा कि 1962 से 2010 तक 11 बार ऐसे मौके आए हैं, जब सदस्यों को निलंबित किया गया है। क्या वे सभी अलोकतांत्रिक थे? सभावति ने कहा कि इस प्रतिष्ठित सदन के कुछ सम्मानित नेताओं और सदस्यों ने अपने विवेक से 12 सदस्यों के निलंबन को ‘अलोकतांत्रिक’ बताया। मैंने यह बार बार समझने का प्रयास किया कि क्या सदन में जिस तरह का हो हल्ला हुआ क्या उसका कोई औचित्य था? 

गौरतलब है कि सभापति वेंकैया नायडू ने निलंबन वापसी की विपक्ष की मांग पर स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा है कि राज्यसभा के 12 विपक्षी सांसदों का निलंबन वापस नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सांसद अपने किए पर पश्चाताप होने की बजाय, उसे सही ठहरा रहे हैं। ऐसे में उनका निलंबन वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है। बता दें कि निलंबित सदस्यों में कांग्रेस के छह, शिवसेना और टीएमसी के दो-दो जबकि सीपीएम और सीपीआई के एक-एक सांसद शामिल हैं। बता दें कि इन 12 सांसदों ने किसान आंदोलन सहित अन्य मुद्दों के बहाने सदन में जमकर हो-हंगामा किया था। वहीं, शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन खड़गे ने नियमों का हवाला देकर कहा था कि सांसदों के निलंबन का कोई आधार नहीं है, इसलिए उनके निलंबन का फैसला वापस लिया जाना चाहिए।

विस्तार

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही राज्यसभा के 12 सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई। सदन में जोरदार हंगामा और अफरा-तफरी मचाने के चलते इन 12 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। वहीं, अब इस मामले में राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब सदन में सांसदों के निलंबन की घटना हुई हो। उन्होंने कहा कि 1962 से 2010 तक 11 बार ऐसे मौके आए हैं, जब सदस्यों को निलंबित किया गया है। क्या वे सभी अलोकतांत्रिक थे? सभावति ने कहा कि इस प्रतिष्ठित सदन के कुछ सम्मानित नेताओं और सदस्यों ने अपने विवेक से 12 सदस्यों के निलंबन को ‘अलोकतांत्रिक’ बताया। मैंने यह बार बार समझने का प्रयास किया कि क्या सदन में जिस तरह का हो हल्ला हुआ क्या उसका कोई औचित्य था? 

गौरतलब है कि सभापति वेंकैया नायडू ने निलंबन वापसी की विपक्ष की मांग पर स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा है कि राज्यसभा के 12 विपक्षी सांसदों का निलंबन वापस नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सांसद अपने किए पर पश्चाताप होने की बजाय, उसे सही ठहरा रहे हैं। ऐसे में उनका निलंबन वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है। बता दें कि निलंबित सदस्यों में कांग्रेस के छह, शिवसेना और टीएमसी के दो-दो जबकि सीपीएम और सीपीआई के एक-एक सांसद शामिल हैं। बता दें कि इन 12 सांसदों ने किसान आंदोलन सहित अन्य मुद्दों के बहाने सदन में जमकर हो-हंगामा किया था। वहीं, शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन खड़गे ने नियमों का हवाला देकर कहा था कि सांसदों के निलंबन का कोई आधार नहीं है, इसलिए उनके निलंबन का फैसला वापस लिया जाना चाहिए।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: