सार
एक से अधिक यूलिप खरीदने पर सभी पॉलिसी के कुल प्रीमियम को जोड़कर इसकी गणना होगी। किसी ने छोटी-छोटी कई पॉलिसी खरीदी है, जिसमें प्रत्येक का प्रीमियम 2.50 लाख से कम हो, लेकिन सभी को जोड़कर यह सीमा पार होती है तो करदाता को सिर्फ उसी पॉलिसी पर छूट मिलेगी जिसका कुल प्रीमियम 2.50 लाख से ज्यादा न हो।
सीबीडीटी ने आयकरदाताओं को झटका देते हुए 2021-22 के लिए यूलिप पर टैक्स छूट की सीमा घटा दी है। इसके तहत अगर आप यूलिप में एक वित्त वर्ष में 2.50 लाख रुपये से ज्यादा निवेश करते हैं तो मैच्योरिटी पर मिलने वाले सम एश्योर्ड पर छूट का लाभ नहीं मिलेगा।
यूलिप में निवेश और टैक्स छूट के बारे में बताती कालीचरण की रिपोर्ट-
सम एश्योर्ड पर देना होगा 10 फीसदी एलटीसीजी
निवेश सलाहकार बलवंत जैन का कहना है कि 1 फरवरी, 2021 के बाद खरीदी गई सभी यूलिप पर प्रीमियम की अधिकतम सीमा 2.50 लाख रुपये लागू कर दी है। इसके तहत अगर कोई करदाता एक वित्त वर्ष में यूलिप में 2.50 लाख से ज्यादा निवेश करता है तो उसे अब दोहरी छूट का लाभ नहीं मिलेगा। इसका मतलब है कि ऐसे करदाता को मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम पर 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) टैक्स का भुगतान करना होगा।
हालांकि, 1 फरवरी, 2021 से पहले खरीदे गए यूलिप पर नए नियमों का असर नहीं होगा और करदाता भविष्य में इसके मैच्योरिटी पर मिलने वाले सम एश्योर्ड पर पहले की तरह ही आयकर छूट का दावा कर सकेंगे। वित्तमंत्री निर्मला सीमतारमण ने बजट 2020-21 में ही इसका प्रावधान किया था, जो चालू वित्तवर्ष से लागू होगा।
10 10(डी) में बदलाव
सीबीडीटी ने आयकर की धारा 10(10डी) के तहत जारी गाइडलाइन में कहा है कि 2020-21 के बाद यूलिप पर कर छूट की गणना के लिए कुल प्रीमियम का कैप 2.50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
- यूलिप आयकर छूट के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला विकल्प है। इसमें दोहरी छूट मिलती है।
- पहले जब बीमा खरीदा जाता है तो उसके प्रीमियम पर आयकर काननू की धारा 80सी के तहत छूट मिलती है। यह अधिकतम 1.50 लाख हो सकता है।
- दूसरी छूट धारा 10(10डी) के तहत मैच्योरिटी पर मिलने वाले सम एश्योर्ड पर मिलती है।
- सरकार ने इसी नियम में बदलाव किया है, जिससे कर छूट की सीमा प्रभावित होगी।
एक से अधिक पॉलिसी तो कुल प्रीमियम पर होगी गणना
एक से अधिक यूलिप खरीदने पर सभी पॉलिसी के कुल प्रीमियम को जोड़कर इसकी गणना होगी। किसी ने छोटी-छोटी कई पॉलिसी खरीदी है, जिसमें प्रत्येक का प्रीमियम 2.50 लाख से कम हो, लेकिन सभी को जोड़कर यह सीमा पार होती है तो करदाता को सिर्फ उसी पॉलिसी पर छूट मिलेगी जिसका कुल प्रीमियम 2.50 लाख से ज्यादा न हो।
क्या कहता है नया कानून
वित्त कानून 2021 कहता है कि अगर यूलिप का कुल प्रीमियम सालाना 2.50 लाख से ज्यादा हो जाएगा तो उस पर मिलने वाला सम एश्योर्ड टैक्स छूट के दायरे से बाहर होगा। मतलब साफ है कि अगर किसी करदाता ने बीते वित्त वर्ष में इससे ज्यादा प्रीमियम यूलिप में चुकाया है तो उसे 80सी में तो पूरी छूट दी जाएगी, लेकिन 10(10डी) के तहत छूट का लाभ खत्म हो जाएगा। सम एश्योर्ड की राशि में बोनस के रूप में मिलने वाला पैसा भी शामिल होगा।
ऐसे समझें निवेश एवं टैक्स का गणित
- करदाता ने 1 फरवरी 2021 से पहले पॉलिसी खरीदी है, जिसका सालाना प्रीमियम 2.50 लाख से ज्यादा है। 2030 में पॉलिसी मैच्योर होने पर उसे सम एश्योर्ड के रूप में बोनस सहित मिली कुल राशि पर छूट मिलेगी।
- अब उसी व्यक्ति ने अगर 1 फरवरी 2021 के बाद तीन यूलिप खरीदी है, जिसमें हर किसी का प्रीमियम भले ही 2.5 लाख रुपये से कम है लेकिन इन्हें जोड़कर कुल प्रीमियम इससे ज्यादा हो जाता है तो करदाता सिर्फ उन्हीं पॉलिसी के सम एश्योर्ड पर टैक्स छूट ले सकेगा जिनका प्रीमियम 2.5 लाख से कम होगा।
- मान लीजिए, दो यूलिप के प्रीमियम का जोड़ 2.5 लाख से कम है, लेकिन तीसरे को जोड़ते ही यह 2.50 लाख से ज्यादा हो जाता है तो करदाता शुरुआती दो यूलिप के सम एश्योर्ड राशि पर कर छूट ले सकेगा। तीसरी यूलिप के सम एश्योर्ड में से प्रीमियम की राशि घटाकर शेष पर एलटीसीजी टैक्स चुकाना होगा।
मैच्योरिटी से पहले मौत तो पूरी छूट
अगर बीमा कराने वाले व्यक्ति की पॉलिसी के मैच्योर होने से पहले ही मौत हो जाती है तो उसके परिवार को सम एश्योर्ड के रूप में मिलने वाली पूरी राशि पर टैक्स छूट दी जाएगी। भले ही इसका प्रीमियम 2.5 लाख की सीमा से ज्यादा क्यों न हो। – एके निगम, निदेशक, बीपीएन फिनकैप
विस्तार
सीबीडीटी ने आयकरदाताओं को झटका देते हुए 2021-22 के लिए यूलिप पर टैक्स छूट की सीमा घटा दी है। इसके तहत अगर आप यूलिप में एक वित्त वर्ष में 2.50 लाख रुपये से ज्यादा निवेश करते हैं तो मैच्योरिटी पर मिलने वाले सम एश्योर्ड पर छूट का लाभ नहीं मिलेगा।
यूलिप में निवेश और टैक्स छूट के बारे में बताती कालीचरण की रिपोर्ट-
सम एश्योर्ड पर देना होगा 10 फीसदी एलटीसीजी
निवेश सलाहकार बलवंत जैन का कहना है कि 1 फरवरी, 2021 के बाद खरीदी गई सभी यूलिप पर प्रीमियम की अधिकतम सीमा 2.50 लाख रुपये लागू कर दी है। इसके तहत अगर कोई करदाता एक वित्त वर्ष में यूलिप में 2.50 लाख से ज्यादा निवेश करता है तो उसे अब दोहरी छूट का लाभ नहीं मिलेगा। इसका मतलब है कि ऐसे करदाता को मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम पर 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) टैक्स का भुगतान करना होगा।
हालांकि, 1 फरवरी, 2021 से पहले खरीदे गए यूलिप पर नए नियमों का असर नहीं होगा और करदाता भविष्य में इसके मैच्योरिटी पर मिलने वाले सम एश्योर्ड पर पहले की तरह ही आयकर छूट का दावा कर सकेंगे। वित्तमंत्री निर्मला सीमतारमण ने बजट 2020-21 में ही इसका प्रावधान किया था, जो चालू वित्तवर्ष से लागू होगा।
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