इमरान खान ने यह चिट्ठी पत्रकारों को कुछ दूरी से ही दिखाई थी, लेकिन सरकार के कानूनी सहालकारों ने भी इमरान खान को चेतावनी दी है कि, विदेशी कार्यालय के दस्तावेज साझा करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, हो सकता है कि उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया जाए।
संविधान और शपथ का उल्लंघन, क्या है आर्टिकल 62?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विदेश कार्यालय की ओर से मिली उस गुप्त चिट्ठी पर इमरान खान ने कानूनी सलाह मांगी थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि एक विदेशी देश ने पाकिस्तान के दूत के माध्यम से एक धमकी भरा संदेश भेजा था। सूत्रों की मानें तो कानूनी शाखा ने अपनी सलाह में कहा कि राजनयिक गुप्त दस्तावेज, आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 के दायरे में आता है। इसे न तो भेजने वाला और न ही रिसीव करने वाला साझा कर सकता है। अगर प्रधानमंत्री इस राजनयिक दस्तावेज को साझा करते हैं, तो यह उनकी शपथ का उल्लंघन माना जाएगा और उन्हें संविधान के आर्टिकल 62 के तहत आजीवन अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
इमरान खान ने जो चिट्ठी दिखाई उसमें क्या?
1. सात मार्च है चिट्ठी की तारीख
पाकिस्तान के पत्रकारों के मुताबिक, इमरान खान ने यह चिट्ठी कुछ दूरी से पत्रकारों को दिखाई और सिर्फ इसकी ऊपरी बातों को ही मीडिया के सामने रखा गया। इस पत्र को जिन पत्रकारों को दिखाया गया, उनमें से एक ने एआरवाई न्यूज (ARY News) से बातचीत में कहा कि यह साफ है कि पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए जो घटनाक्रम हो रहा है, उसके बारे में सात मार्च को ही बताया गया था। पत्र में कहा गया था कि अगर अविश्वास प्रस्ताव सफल हो जाता है और इमरान सरकार गिर जाती है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की समस्याएं कम हो जाएंगी। अगर यह प्रस्ताव नाकाम होता है तो पाकिस्तान को बात मनवाने के लिए दबाव बनाना होगा।
2. सेना और आईएसआईए प्रमुख को भी भेजी गई
पत्रकारों के मुताबिक, इस चिट्ठी की भाषा धमकाने वाली थी और इमरान सरकार ने इसे कैबिनेट बैठक में सामने रखा। पत्रकार अरशद शरीफ ने सूत्रों के हवाले से दावा किया कि जब यह चिट्ठी कैबिनेट के सामने रखी गई तो पांच से छह मंत्री रोने लगे। प्रधानमंत्री ने खुद चर्चा के दौरान किसी देश या अफसर का नाम नहीं लिया। लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि इस पत्र को सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा और आईएसआई प्रमुख फैज हमीद के साथ साझा किया गया था। उन्होंने कहा कि इस बारे में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी संसद में बयान भी देंगे।
3. चिट्ठी में रूस-यूक्रेन युद्ध पर पाक के रुख का जिक्र
दूसरी तरफ समा न्यूज से बातचीत में पत्रकार इमरान रियाज खान ने कहा कि इमरान ने जो चिट्ठी मीडिया को दिखाई उसकी सामग्री जरूर साझा की गई है, लेकिन उस चिट्ठी की कॉपी किसी को नहीं दी गई। खान ने बताया कि पत्रकारों को जो चिट्ठी की सामग्री दिखाई गई, उसमें एक पाकिस्तानी अफसर की दूसरे देश के अफसर से बातचीत है। पत्रकार ने अंदाजा लगाया है कि यह बातचीत पाकिस्तानी अफसर और किसी अमेरिकी अफसर के बीच है। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि सरकार ने किसी अफसर या किसी देश का नाम नहीं लिया। सरकार की तरफ से सिर्फ यह बयान आया कि रूस-यूक्रेन संकट को लेकर पाकिस्तान के रुख से अमेरिका और यूरोप काफी नाराज हैं।
4. पाकिस्तान के आगे के दिन मुश्किल होने की धमकी
एक और पत्रकार काशिफ अब्बासी के मुताबिक यह चिट्ठी जिस भी देश या संस्थान की तरफ से आई थी, वह साफ तौर पर पाकिस्तान की नीतियों से खुश नहीं था। इस चिट्ठी में इमरान के रूस दौरे को लेकर जिक्र की बात भी सामने आई है और कहा गया है कि यह दौरा इमरान का निजी फैसला था। अब्बासी ने दावा किया कि चिट्ठी में लिखा था कि अगर अविश्वास प्रस्ताव पास हो गया तो हम सब भुला देंगे, वर्ना आगे के दिन काफी मुश्किल साबित होने वाले हैं। हालांकि, अब्बासी ने भी साफ किया कि सरकार की तरफ से यह चिट्ठी सिर्फ दूर से दिखाई गई और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट का हवाला देकर इसे साझा करने से इनकार कर दिया गया।