न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Wed, 23 Mar 2022 10:02 PM IST
सार
समिति ने यह सुझाव दिया कि भारत को अपना स्थायी मिशन 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र के शेष 48 देशों में भी समयबद्ध ढंग से स्थापित करना चाहिए जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की आकांक्षा के अनुरूप हो।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर।
– फोटो : Social Media
ख़बर सुनें
विस्तार
संसद की एक समिति ने बुधवार को विदेश मंत्रालय के बजटीय आवंटन पर असंतोष जताते हुए कहा है कि वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते कद एवं प्रभाव को देखते हुए इसमें वृद्धि की जाए और इसे भारत सरकार के कुल बजट के कम से कम एक प्रतिशत के स्तर पर लाया जाए।
समिति ने यह भी सुझाव दिया कि भारत को अपना स्थायी मिशन 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र के शेष 48 देशों में भी समयबद्ध ढंग से स्थापित करना चाहिए जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की आकांक्षा के अनुरूप हो। लोकसभा में पेश विदेश मामलों संबंधी स्थायी समिति की वर्ष 2022-23 के अनुदान की मांगों संबंधी रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
भाजपा सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने पाया है कि भारत सरकार के कुल बजट आवंटन में वृद्धि के बावजूद विदेश मंत्रालय के लिये बजटीय आवंटन में पिछले चार वर्षों में गिरावट का चलन देखा गया है और वर्ष 2022-23 में यह भारत सरकार के कुल बजट का केवल 0.44 प्रतिशत है।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति मंत्रालय के बजटीय आवंटन को देश की बढ़ती आकांक्षाओं एवं वैश्विक कदम के अनुरूप नहीं पाती है। समिति इस बात से हैरान है कि विदेश मंत्रालय को बजटीय अनुमान के स्तर पर आवंटन कम रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि मंत्रालय ने समिति को सूचित किया कि उसने 11 देशों की पहचान की है जहां पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद स्थायी मिशन स्थापित किए जा सकते हैं।